नालंदा में रविवार को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव का समापन हो गया. तीन दिवसीय महोत्सव के आखिरी दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी शामिल हुए. इनके साथ बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि सौभाग्य की बात है कि यही वह जगह है, जहॉ पहली बार बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया गया था. महात्मा बुद्ध का राजगीर से गहरा संबंध रहा है. ज्ञान की प्राप्ति के पहले एवं ज्ञान प्राप्ति के बाद वे यहीं रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा, अषांति के वातावरण एवं हर जगह अविष्वास, असहिष्णुता एवं नफरत के माहौल में बौद्ध धर्म सही राह दिखा सकता है. महात्मा बुद्ध ने शांति एवं मध्य मार्ग की बात कही थी. महात्मा बुद्ध के विचार आज भी प्रासंगिक हैं.
समारोह को कुलपति नवनालंदा महाविहार एमएल श्रीवास्तव, सारनाथ विष्वविद्यालय के कुलपति नवांग सेमटेन ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार और सांसद कौशलेन्द्र कुमार सहित विभिन्न देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
इससे पहले, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का गया हवाई अड्डा पर भव्य स्वागत किया गया. राज्यपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने राष्ट्रपति का गया हवाई अड्डा पर फूलों का गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया.
बता दें कि 21वीं सदी में बौद्ध धर्म की प्रासंगिकता पर हुए इस आयोजन में दुनिया के अनेक देशों के लोगों ने विमर्श किया, जिसका उद्घाटन दलाईलामा ने किया. नालंदा महाविहार में अनेक मूल्कां के लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिये आते थे. इसकी प्रणाली अद्भूत थी. इस महाविहार को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही थी. बिहार सरकार की पहल पर नव नालंदा महाविहार की स्थापना की गयी, जिसे बाद में भारत सरकार ने इसे अपनाया और डिम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में अंगीकार किया.