मैं तो हर मोड़ पर तुमको दूंगा सदा ….
तमाम उम्र चला हूँ मगर चला न गया
तेरी गली की तरफ़ कोई रास्ता न गया
उर्दू के लोकप्रिय शायर और हिन्दी फिल्मों के गीतकार नक्श लायलपुरी का आज मुम्बई में निधन हो गया. नक़्श साहब का जन्म 24 फरवरी 1928 को लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में हुआ था.उनके वालिद मोहतरम जगन्नाथ ने उनका नाम जसवंत राय रखा था, लेकिन शायर बनने के बाद उन्होंने अपना नाम नक्श लायलपुरी रख लिया था. और इसी नाम से वह उर्दू अदब और हिन्दी फिल्मों में लोकप्रिय हुए. वह सालों फिल्म राइटर्स एसोसिएशन से भी जुड़े रहे और लेखकों-गीतकारों के हक के लिए आवाज उठाते रहे.
1947 में देश आजाद हुआ तो वह बेवतन हो गये. अपनी मातृभूमि लायलपुर छोड़कर हिन्दुस्तान आना पड़ा और वह भी पैदल. वह लखनऊ में आकर बस गये. नक़्श लायलपुरी 1951 में रोज़गार की तलाश में मुम्बई आए और फिर यहीं के होकर रह गए. 1952 में उन्होंने पहली बार ‘जग्गू’ नामक फिल्म के गाने लिखे और फिर फिल्म इंडस्ट्री में रम गये. जग्गू से लेकर राजकपूर की ‘हिना’ तक उन्होंने साढ़े 3 सौ के करीब गीत लिखे. 40 से अधिक पंजाबी फिल्मों के गीत लिखे. जब सीरियल का जमाना, तब सीरियलों के लिए खूब लिखा.
चेतना फिल्म से बी आर इशारा के साथ उनकी जोड़ी जमी, और दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया. फ़िल्म ‘चेतना’ का गीत – ‘मैं तो हर मोड़ पर / तुझको दूँगा सदा / मेरी आवाज़ को / दर्द के साज़ को / तू सुने ना सुने’ भला कौन भूल सकता है.
नक्श साहब आपको हमारी ओर से श्रद्धांजलि !