37वां पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव 2022-23
प्रायोगिक और लोक कला आधारित शिल्प का जादू दिख रहा है नाटकों में
प्रांगण द्वारा आयोजित पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव 2022-23 के चौथे दिन (5 फरवरी 2023) संस्कार भारती नाट्य केंद्र, आगरा, उत्तर प्रदेश की प्रस्तुति हरी भाई बड़गांवकर लिखित और चन्द्रशेखर बहावर निर्देशित नाटक गधे की बारात का मंचन किया गया.
नाटक में वर्ग विभाजन एवं शोषित समाज के हृदय का दर्द जैसे न समाप्त होने वाला घाव है. सामाजिक ताना-बाना और राजनीतिक दुष्चक्र इसमें घी का ही काम करते रहे हैं. इसलिए कभी-कभी शुद्ध अंतःकरण से किया गया प्रयास भी विफल होता रहा है और खाई को पाट नहीं पाया है. समस्या और विकराल होती चली गयी है. सरकारें आती हैं और चली जाती हैं, किंतु वर्गीय खाई नहीं पाट सकीं. इसी विषय-वस्तु को मनोरंजक शिल्प में नाटक में दिखाने की कोशिश की गयी है. इसके लिए भगवान इंद्र द्वारा शापित चित्रसेन की पौराणिक कथा का सहारा लिया गया है. चित्रसेन मृत्युलोक में गधा बनकर अवतरित होता है. राजनैतिक ताने बाने के कारण राजकुमारी प्रियदर्शनी से उसका विवाह होता है.
मंच पर
कल्लूः पंकज शर्मा, गंगी : निमिषा जैन, राजा : चंद्रशेखर बहावर, दीवान : राहुल शर्मा, बृहस्पति : मोंटी, राजकुमारी: दिव्यता, इंद्र : अरुण भारद्वाज, चित्रसेन : दिव्यांश मिश्रा, जासूस/डोंडी वाला :ओम गुप्ता, द्वारपाल : करण यादव,वहीँ नेपथ्य से संगीत : दीपक जैन और पुनीत कपूर का था.
नुक्कड़ नाटक
एच० एम० टी०, पटना की प्रस्तुति भारतेन्दु हरिश्चन्द्र लिखित व सुरेश कुमार हज्जु निर्देशित नाटक अंधेर नगरी
अंधेरी नगरी आधुनिक नाटक के अद्वितीय सूत्रधार ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द’ की कालजयी कृति है. इस नाटिका के माध्यम से नाटककार ने तत्कालीन भारत देश में व्याप्त गोरी सरकार के अनीतिपूर्ण शासन पर कटाक्ष किया था, परंतु सृजन के इतने वर्षों बाद भी ‘अंधेरी नगरी’ अभी तक ताजा और प्रासंगिक है.अपने दो चेलों गोवर्धनदास और नारायणदास के साथ गुरूजी पहुँचते हैं एक ऐसे देश में जिसका नाम था ‘अंधेरी नगरी और जिसे चलाता था ‘चौपट राजा’ जहाँ भाजी भी बिकती थी टके सेर और टके सेर ही बिकता था मीठा खाजा. गुरूजी के मना करने के बाद भी गोवर्धन रूक जाता है ‘अंधेरी नगरी में. इधर गिर जाती है एक दीवार और दबकर मर जाती है एक अदद बकरी . मामला पेश होता है ‘चौपट राजा’ के दरबार में और मुकदमा दर-मुकदमा आगे बढ़ते-बढ़ते पकड़ लिया जाता है गोवर्धन दास को और उसे मिलता है मृत्युदंड बेचारा गोवर्धन पुकारता है अपने गुरूजी को, गुरूजी आते हैं और सुझाते हैं एक ऐसी अनोखी तरकीब कि सदा के लिए मिल जाता है और राजा खुद को फाँसी पर चढ़ जाता है.
पात्र-परिचय
राजा – गोपी कुमार, मंत्री-रोहित मेहता, सिपाही (1) सुजाता कुमारी, सिपाही (2)- नेहा कुमारी. गुरुजी- सिमरन कुमारी, गोवर्धन दास-विवेक कुमार, नारायण दास मुस्कान कुमारी, बकरीवाली रिंकी कुमारी / नेहा कुमारी (1) मछली वाली मुस्कान कुमारी / सिमरन कुमारी / नेहा कुमारी (2) चना वाला-विवेक कुमार, कबाब वाला – गोपी कुमार चुड़न वाला-विवके कुमार सपेरा रोहित मेहता, साँप – हर्ष कुमार / बादल कुमार / शशि कुमार सहयोगी कलाकारः- साजन कुमार शशी कुमार, हर्ष कुमार, रिया कुमारी, शिवम कुमार, शिबू कुमार, कुमार गौरव सिन्हा,आदित्य कुमार ठाकुर, आयुष कुमार, नितिश कुमार, आशिक कुमार, अंकित कुमार, बादल कुमार, आदित्य राज, रौनक कुमार, आर्यन कुमार आदि. संगीत – राजु मिश्रा, हारमोनियम- रोहित चन्द्रा / चंदन उगना, नाल-स्पर्श मिश्रा / चंदन घोष .
आशा रिप्रेटरी व द एक्टर्स स्पेस एन एक्टिंग स्कूल, पटना की प्रस्तुति
भोलाराम का जीव
लेखक : हरिशंकर परसाई
निर्देशक : जहाँगीर खान
यह नाटक सरकारी व्यवस्था पर गहरी चोट करता है, इस नुक्कड नाटक में यही दिखाया गया है कि कैसे एक आम आदमी अपने अधिकारों के लिए उन सारे सरकारी तंत्रों से लड़ते-लड़ते अंत में उसी व्यवस्था के नीचे दबकर मर जाता है. नाटक की शुरुआत चित्रगुप्त के फाइल में एक जीव यानी मनुष्य की आत्मा के गायब होने से शुरू होता है जिसका नाम भोलाराम है. भोलाराम 5 साल से पृथ्वी लोक पर पेंशन के लिए अनशन पर बैठा रहता है, अनशन पर बैठे बैठे ही उसकी मृत्यु हो जाती है. यमराज अपने यमदूत को आत्मा लाने के लिए पृथ्वी लोक पर भेजते हैं तब पता चलता है कि भोलाराम की आत्मा पेंशन के फाइलों में अटक गयी है और उसका वही मन लग गया है. ये नुक्कड़ नाटक वर्तमान सामाजिक परिदृश्य का सटीक चित्रण है.
पात्र परिचय:- अमन आर्या, प्रिंस प्रणव, आकाश केशरी, विक्की कुमार, विक्की ज्वेल, अभिषेक कुशवाहा, आलोक मिश्र हाफिज अली, तन्नू सिंह, गोविंदा कुमार, विकास कुमार, शाहबाज अली, अमर कुमार, राखी कुमारी, सोनू कुमार, विश्वजीत कुमार .
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