ब्रेन स्ट्रोक से बचाता है मॉर्निंग वॉक !

लकवा(स्ट्रोक) की जागरूकता के लिए पैदल मार्च

नवंबर से अब आरा में भी लगेगा टिनेक्टिप्लेज इंजेक्शन




आरा, 29अक्टूबर. सुबह मॉर्निंग वॉक करने से हमें ताजी हवा मिलती है और हमारा मूड फ्रेश होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मार्निग वॉक ब्रेन स्ट्रोक को कम करता है. एक रिसर्च के मुताबिक पूरे हफ्ते में दो से ढाई घंटे का मार्निंग वॉक भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम करता है. इसी बात को ध्यान में रखकर वर्ल्ड स्ट्रोक दिवस के मौके पर आज आईएमए आरा और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रणजीत कुमार सिंह द्वारा स्ट्रोक के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से एक पैदल मार्च का आयोजन किया गया. पैदल मार्च क्लब रोड स्थित डीएम कोठी के पास से प्रारंभ हुई जो पीर बाबा, जज कोठी मोड़,संस्कृति भवन गोलंबर होते हुए सिविल कोर्ट आरा, शहीद भवन होते हुए रमना मैदान का चक्कर लगाते हुए पुनः अपने गंतव्य स्थान पर आकर खत्म हुआ. पैदल मार्च में आईएएम के सचिव डॉ मधुकर प्रकाश, डॉ जीवेश कुमार, डॉ विकास कुमार, डॉ ओ पी राजिंद्र, डॉ अनिल सिंह और डॉ के एन सिन्हा शामिल थे. डॉक्टरों के अलावें शहर के कई समाजसेवी और युवाओं को भी इस यात्रा में देखने को मिला. पैदल मार्च का प्रारंभ हरी झंडी दिखाकर आईएएम के सचिव डॉ मधुकर प्रकाश और डॉ के एन सिन्हा ने किया.

इस मौके पर एक डॉ मधुकर प्रकाश ने कहा लकवा(स्ट्रोक) के प्रति लोग अभी भी उतने सजग नही हैं जितना अन्य बिमारियों और चीजों के प्रति सजग हैं. वही डॉ के एन सिन्हा ने कहा कि किसी भी चीज के प्रति सजगता ही उसके बचाव की पहली सीढ़ी होती है इसलिए लोगों को इसका ध्यान रखना चाहिए.

इस मौके पर एक प्रेस कांफ्रेंस का भी आयोजन किया गया जिसमें डॉ रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि लकवा से बचने के लिए Be Fast होइए. पिछले एक दशक में लकवा के मरीजों की संख्या में 25% का इजाफा हुआ है लेकिन सतर्कता न के बराबर है. यह सब हमारे खान पान और बदलती जीवन शैली के कारण हुआ है. जबतक कोई अपना इसका शिकार नही होता तबतक हम पर कोई असर नहीं होता. यह बीमारी छोटी उम्र से लेकर युवाओं और 50 वर्ष तक के लोगों में बढ़ा है.

क्या है स्ट्रोक की पहचान?

जब भी आपका अचानक बैलेंस रखने में समस्या, आंख से कम दिखना, चेहरे में टेढ़ापन ,हाँथ या पैर में कमजोरी आती दिखाई पड़े तो जितनी जल्दी हो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. स्ट्रोक आने के 4.5 से 6 घंटे के भीतर डॉक्टर से संपर्क अति आवश्यक समझें क्योंकि लकवा के ब्लॉकिज वाले (इशकिमिक स्ट्रोक) प्रकार में ब्लॉकिज को साफ करने वाली दवा उपलब्ध है..उन्होंने बताया कि पहली बार इस तरह का जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जागरूकता का यह कार्यक्रम पिछले 25 अक्टूबर से ही बैनर और पोस्टर के जरिए स्ट्रोक सप्ताह के तौर पर चल रहा है.आज पैदल मार्च के जरिए जागरूकता किया गया जहां शहर के कई लोगों ने इसमें अपनी हिस्सेदारी निभाई. कल शनिवार को लकवा(स्ट्रोक) से बचने के उपाय को पैंफलेट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाएगा और इसी के साथ साप्ताहिक जागरूकता कार्यक्रम का समापन होगा.

नवंबर महीने से अब टिनेक्टिप्लेज का इंजेक्शन भी होगा उपलब्ध

डॉ रणजीत ने बताया कि स्ट्रोक के मरीजों को अगले माह से ब्लाकिज साफ करने की दवाई टिनेक्टिप्लेज का इंजेक्शन भी अगले महीने से लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि पहले ये इंजेक्शन बहुत महंगे आते थे लेकिन पहले की तुलना में अब इनकी कीमत लगभग एक तिहाई कम हो गई. बस लोगों में जागरूकता की कमी है. उन्होंने कोरोना का उदाहरण देते हुए बताया कि कोरोना के जिसप्रकार लोग सजग हैं ऐसी सजगता ही लकवा(स्ट्रोक) के प्रति लोगों को लानी पड़ेगी.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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