आपदा जोखिम में कमी लाने संबंधी एशियाई देशों के सातवें मंत्री स्तरीय सम्मेलन
दस सूत्री एजेन्डा भी सम्मेलन में प्रस्तुत किया
आपदा जोखिम से निपटने के लिए ठोस नीतियां और योजनाओं को बनाना प्रमुखता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि तेजी से हो रहा शहरीकरण आपदाओं की आशंकाओं को जन्म दे रहा है लेकिन ठोस नीतियों, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परस्पर सहयोग तथा लोगों को जागरुक बनाकर हम इस बड़ी चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं और दुनिया को आपदाओं से सुरक्षित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं. मोदी ने आपदा जोखिम में कमी लाने संबंधी एशियाई देशों के सातवें मंत्री स्तरीय सम्मेलन में यहां अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत 2015 में जापान में इस बारे में अपनाये गए सेन्डई फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत किसी भी आपदा की घड़ी में अपने पडोसियों और अन्य देशों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम करने के लिए पूरी तरह तैयार है.
उन्होंने आपदा जोखिम कम करने के लिए एक दस सूत्री एजेन्डा भी सम्मेलन में रखा. तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में मोदी ने कहा कि तेजी से हो रहा शहरीकरण कई तरह की आपदाओं की आशंका पैदा कर रहा है. उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में यह खतरा और अधिक है. आपदाओं से होने वाले खतरों को कम करने तथा इस चुनौती से निपटने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच व्यापक सहयोग को उन्होंने बेहद जरुरी करार दिया. उन्होंने कहा कि सभी देश प्रौद्योगिकी और अपनी विशेषज्ञता को दूसरे देशों के साथ बांटकर आपदाओ से होने वाले खतरे को कम कर सकते हैं और आपदा प्रबंधन के काम को आसान बना सकते हैं. इसी के साथ मोदी ने यह भी कहा कि आपदा के बाद उससे जो सीख होती है वह पन्नों में तो दर्ज हो जाती है, लेकिन शायद ही उसका कोई प्रयोग होता हो. हमें कभी भी आपदा से सीखने वाली चीजों को छोड़ना नही चाहिए.
मोदी ने कहा कि आपदा जोखिम से निपटने के लिए ठोस नीतियां और योजनाओं को बनाना और उन्हें शहर बसाते समय मुख्य योजना में शामिल करना जरुरी है. उन्होंने कहा कि लोगों को शिक्षित और जागरूक बनाकर भी इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है. इस अवसर पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में शिरकत करने वाले बच्चों को भी उन्होंने प्रोत्साहित भी किया .
पीएम मोदी का 10 सूत्री एजेंडा-
1.सभी विकास क्षेत्र आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को अपनाएं.
2.गरीब परिवार से लेकर, एसएमई से लेकर एमएनसी तक रिस्क कवरेज की तरफ काम करें.
3.आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं के नेतृत्व और अधिक से अधिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए.
4.विश्व स्तर पर रिस्क मैपिंग में निवेश किया जाए.
5.आपदा जोखिम प्रबंधन के प्रयासों की दक्षता बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाया जाए.
6.आपदा मुद्दों पर काम करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क तैयार किया जाए.
7.सोशल मीडिया और मोबाइल टेक्नोलॉजी द्वारा दी गई सुविधाओं का उपयोग किया जाए.
8.स्थानीय क्षमता और पहल पर निर्माण करें.
9.किसी भी आपदा से सीखने का मौका नहीं गवाना चाहिए.
10.आपदाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया में अधिक से अधिक सामंजस्य लाया जाए.