एकात्म-मानव का दर्शन दिया
‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ अन्त्योदय का सिद्धांत
आज 25 सितम्बर है, पंडित दीनदयाल उपध्याय जी की जन्म जयंती का आज अवसर है और आज से उनके जन्म के शताब्दी वर्ष का प्रारंभ हो रहा है. मेरे जैसे लाखों कार्यकर्ता जिस राजनैतिक विचारधारा को लेकर के काम कर रहे हैं, उस राजनैतिक विचारधारा को व्याख्यायित करने का काम, भारत की जड़ों से जुड़ी हुई राजनीति के पक्षकार, भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुरस्कृत करने के प्रयास वाली विचारधारा के साथ, जिन्होंने अपना एक राजनैतिक दर्शन दिया, एकात्म-मानव दर्शन दिया, वैसे पंडित दीनदयाल जी की शताब्दी का वर्ष आज प्रारंभ हो रहा है. ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ अन्त्योदय का सिद्धांत – ये उनकी देन रही है. महात्मा गाँधी भी आखिरी छोर के व्यक्ति के कल्याण की बात करते थे. विकास का फल ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को कैसे मिले? ‘हर हाथ को काम हर खेत को पानी’, दो ही शब्दों में पूरा आर्थिक एजेंडा उन्होंनें प्रस्तुत किया था. देश उनके जन्म-शताब्दी वर्ष को ‘गरीब कल्याण वर्ष’ के रूप में मनाए. समाज का, सरकारों का, हर किसी का ध्यान, विकास के लाभ ग़रीब को कैसे मिलें, उस पर केन्द्रित हो और तभी जाकर के देश को हम ग़रीबी से मुक्ति दिला सकते हैं. मैं पिछले दिनों जहाँ प्रधानमंत्री का निवास स्थान है, जो अब तक अंग्रेज़ों के जमाने से ‘रेस-कोर्स रोड’ के रूप में जाना जाता था. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष निमित्त प्रधानमंत्री के निवास स्थान वाले उस मार्ग का नाम ‘लोक कल्याण मार्ग’ कर दिया गया है. वो उसी शताब्दी वर्ष के ‘ग़रीब कल्याण वर्ष’ का ही एक प्रतीकात्मक स्वरूप है. हम सब के प्रेरणा पुरुष, हमारी वैचारिक धरोहर के धनी श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को आदरपूर्वक नमन करता हूँ.