देश टीबी.चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियों से जूझ रहा है
प्रधानमंत्री और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी ने सीएसआईआर की प्लैटिनम जुबली के उद्घाटन अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सीएसआईआर भारत और उसकी विविधता का प्रतीक है. सीएसआईआर ने अपने समग्र अनुसंधान और विकास दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए राष्ट्र की सारी गतिविधियों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि सीएसआईआर 2022 तक ,जब देश की आजादी के 75 वर्ष होंगे , देश के किसानों की आय दोगुना करने के सरकारी कदम में महत्वपूर्ण योगदान करेगी. उन्होंने देश के वैज्ञानिकों से कहा कि किसानों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जा रहा है उनका तकनीकी समाधान निकाला जाना चाहिए. यह काम उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से ही नहीं बल्कि ‘प्रति बूंद और फसल’ जैसे कार्यक्रम के जरिए बंजर भूमि में फसल उगाने की दृष्टि से भी किया जाना चाहिए. हमारा ल्क्ष्य ‘ एक इंच भूमि और गांठ भर फसल’ होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि पिछले 75 वर्षों के सीएसआईआर के योगदान के अनुरूप देश को संस्थान से समयबद्ध सेवा की अपेक्षा है. परिषद यह केवल अपनी गतिविधियों और परिणामों की सहक्रियता से सरकार, उद्योग, समाज सहित जन-जन तक टेक्नोलॉजी ले जाकर ही कर सकती है. मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय का आह्वान करते हुए कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से विज्ञान के विद्यार्थियों का मार्ग निर्देशन करें ताकि विद्यार्थियों के विचारों तथा ऊर्जा को दिशा मिल सके और भविष्य में भारत ‘अनुसंधान उद्यमियों’ का हो.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएसआईआर ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है. लेकिन आज जब देश टीबी.चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियों से जूझ रहा है सीएसआईआर को किफायती नैदानिक उपाय पर बल देना चाहिए ताकि इन बीमारियॆं को रोका जा सके.
इससे पहले विज्ञान और टेक्नोलॉजी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्द्धन संसथान को समर्थन और निर्देशन के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि विश्व की शीर्ष 100 अनुसंधान संस्थानों में शामिल सीएसआईआर समयबद्ध रूप से देश के लोगों की सेवा करेगी.प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में विकसित सात पौधों की नई किस्मों को जारी किया.