“मिथिलेश्वर की पुरस्कृत कहानियां” पुस्तक अब बाज़ार में

By pnc Sep 24, 2016

कई कहानियाँ मिलेंगी एक साथ

पुरस्कार से किसी भी लेखक का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता.कहने की आवश्यकता नहीं कि अधिकांश पुरस्कार कृति -सापेक्ष और कृतिकार-सापेक्ष की अपेक्षा व्यक्ति-सापेक्ष और सम्बन्ध-सापेक्ष होते हैं,इसलिए अक्सर बड़े से बड़े पुरस्कार विवादों के विषय बनते रहे हैं.पूरी दुनिया जानती है कि टाल्सटाय को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला लेकिन नोबेल पुरस्कार प्राप्त अनेक लेखकों से वे अधिक महत्वपूर्ण हैं.अधिक पढ़े जाते हैं.समय और समाज के निकष पर उनका साहित्य कालजयी साबित हो चुका है.




mithileshwar
मेरे जानते पुरस्कारों का सबसे बड़ा महत्व इस बात में निहित होता है कि जैसे ही किसी लेखक की कोई कृति पुरस्कृत होती है, सहसा पाठकों का ध्यान उस पर चला जाता है. पाठक उसे उपलब्ध करने और पढ़ने की कोशिश में लग जाते हैं. कहने की आवश्यकता नहीं कि किसी भी लेखक के लिए इससे सुखद पक्ष और कुछ हो ही नहीं सकता,जब उसकी कृतियां व्यापक पाठकों के बीच पहुंच जाए.

प्रसिद्ध कहानीकार मिथिलेश्वर की कहानी संग्रह “बाबूजी”को वर्ष 1976के “अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार”‘,दूसरे कहानी संग्रह”बंद रास्तों के बीच”को वर्ष 1979के “सोवियत लैण्ड नेहरु पुरस्कार” तथा अगले संग्रह “मेघना का निर्णय “को वर्ष 1981 के”यशपाल पुरस्कार” से पुरस्कृत किया गया. इसके बाद उनके तीनों कहानी-संग्रहों के अनेक संस्करण हुए सजिल्द एवं पेपर बैक भी. अब इन्दप्रस्थ प्रकाशन,दिल्ली ने इन तीनों संग्रहों को पाठकों की सुविधा के लिए”मिथिलेश्वर की पुरस्कृत कहानियां” नाम से एक ही जिल्द में प्रकाशित कर दिया है.

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