भोजपुरी क्षेत्र के सामाजिक इतिहास का आइना है ‘फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया’

भोजपुरी क्षेत्र का सामाजिक इतिहास दर्ज है ‘फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया’ में

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में डॉ रंजन विकास के संस्मरण पर परिचर्चा




आरा,3 अप्रैल. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग में भोजपुरी साहित्यांगन ई-लाइब्रेरी के सह-संस्थापक डॉ रंजन विकास के आत्म-संस्मरण पर आधारित पुस्तक ‘फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. छात्रों, शिक्षकों और भोजपुरी आंदोलन से जुड़े साहित्यप्रेमियों से भरे नाथ सभागार में परिचर्चा की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक जितेंद्र कुमार ने की.

उन्होंने कहा कि यह किताब सिर्फ रंजन जी का आत्म-संस्मरण नहीं बल्कि भोजपुरी क्षेत्र का सामाजिक इतिहास भी है. इस पुस्तक में समाज के हर पहलू और समस्याओं पर पैनी नजर डाली गई है.

भोजपुरी की ठेठ शब्दावली को रेखांकित किया गया

साहित्यकार रामयश अविकल और पूर्व विभागाध्यक्ष अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने पुस्तक में भोजपुरी की ठेठ शब्दावलियों के प्रयोग को रेखांकित किया. वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र गुंजन सिन्हा ने कहा कि यह पुस्तक साबित करती है कि भोजपुरी साहित्य समृद्ध है और हर विधा में स्तरीय लेखन हो रहा है.

पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नीरज सिंह ने कहा कि डॉ रंजन विकास जिस परिवार से आते हैं, उसका भोजपुरी साहित्य के विकास में अभूतपूर्व योगदान रहा है. यह पुस्तक केवल रंजन जी का संस्मरण नहीं बल्कि भोजपुरी साहित्य के एक युग का इतिहास है.

विभागाध्यक्ष दिवाकर पाण्डेय ने पुस्तक के रोचक प्रसंग साझा किए और भोजपुरी विभाग के पुस्तकालय के लिए पुस्तक दान में डॉ रंजन विकास की भूमिका की सराहना की.

भोजपुरी विभाग को दान में मिली बहुमूल्य किताबें

सीनेटर एवं पूर्व प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने डॉ रंजन विकास को पुस्तक प्रकाशन के लिए शुभकामनाएं दीं. कार्यक्रम का संचालन शोधछात्र राजेश कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन भोजपुरी छात्र संघ के संयोजक स्यंदन सुमन ने किया.

कार्यक्रम के बाद उपस्थित साहित्यसेवियों ने भोजपुरी विभाग के पुस्तकालय में बहुमूल्य किताबें दान करने के लिए भोजपुरी साहित्यांगन ई-लाइब्रेरी और डॉ रंजन विकास को शुभकामनाएं दीं.

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शोधार्थी सोहित सिन्हा, रवि प्रकाश सूरज, ढुनमुन सिंह तथा विभाग के कर्मचारी उत्तम तिवारी, मनोज, नीलम का विशेष योगदान रहा.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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