‘मनीषा’ यू हीं नही बनी ‘मनीषा दयाल’

By om prakash pandey Aug 17, 2018

‘आसरा शेल्टर होम’ की संवासिनियों को किया ‘बेआसरा’

बिहार में शेल्टर होम्स में स्कैंडल थमने का नाम ही नहीं ले रहे. इस बार शर्मसार होने की बारी राजधानी पटना की थी जहाँ ‘आसरा होम’ में बीते शुक्रवार दो इनमेट महिलाओं की मौत के बाद कुछ ऐसी सनसनी मची कि शेल्टर होम के  संचालक चिरन्तन कुमार और मनीषा दयाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना पड़ा.




मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर की तरह मनीषा दयाल के बारे में सनसनीखेज खुलासे सामने आ रहे हैं. मनीषा दयाल के नेताओं के साथ फोटो लगातार वायरल हो रहे हैं जिससे एक बार फिर सियासी हलकों में बेचैनी देखी जा रही है.

 

संवासिनियों की मौत ने खड़े किये कई सवाल

इन दो मौतों के मामले में पीएमसीएच के डॉक्टर का कहना है कि लड़कियों की अस्पताल लाए जाने से पहले ही मौत हो चुकी थी. यह सवाल भी उठ रहा है कि पोस्टमार्टम के बाद शव का डिस्पोजल क्यों नहीं हुआ और इस पूरे प्रकरण में  कौन-कौन से लोग शामिल हैं? 10 अगस्त से जांच चलने के बावजूद किसी के बीमार होने की बात सामने क्यों नहीं आई?

राजीवनगर थाना के नेपाली नगर में स्थित इस शेल्टर होम का मामला सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग और जिला प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है. 

कौन है ग्लैमरस ‘समाजसेवी’ मनीषा

‘आसरा शेल्टर होम’ की सचिव बेहद खूबसूरत मनीषा समाजसेवी के तौर पर राजधानी के सोशल और पोलिटिकल लॉबी में पिछले कुछ सालों से चर्चा में थी. हालांकि कुछ सालों पहले तक मनीषा एक अनसुना सा नाम था पर जल्दी पैसा कमाने की ललक और शोहरत की चमक के चक्कर में यह जल्द ही पोलिटिकल लोगों की चहेती बन गई. जदयू और आरजेडी क नेताओं के साथ रोज़ इनकी तस्वीरें वायरल होने लगी हैं जिनमें बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक (जेडयू), पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम (आरजेडी ) और आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का नाम सामने आ रहा है. इस मुद्दे पर आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र और कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहते हैं कि नेताओं के साथ कोई भी तस्वीर ले सकता है. श्याम रजक भी कहते हैं कि पार्टियों में तो कोई भी किसी के साथ तस्वीर ले सकता है. मनीषा एनजीओ अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन की डायरेक्टर थी जिसे शेल्टर होम चलाने के लिए सरकार से फण्ड मिलता था.

मनीषा के कैरियर का ‘रोचक’ सफर

बिहार के गया की रहने वाली मनीषा दयाल ने होमटाउन से इंटरमीडियट की पढ़ाई की और उसके बाद 1995  में पटना आयने के बाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन वह किन्ही वजहों से मेडिकल की पढ़ाई नही पूरी कर पायी. 1996 में बिजनेस मैन जीवन वर्मा से मनीषा दयाल की शादी हो गयी. कुछ समय तक परिवार की देखभाल के बाद फिर से पढ़ाई शुरू हुयी और वर्ष 1996 में बीकॉम में दाखिला लिया और इसके बाद मनीष ने एमबीए फाइनांस की पढाई पूरी की.  मनीषा ने बिज़नस में पति का साथ दिया और वर्ष 1997 में गारमेंट फैक्ट्री की नींव रखी. मनीषा कंपनी में फायनांस और मार्केटिंग काम देखती थी.

वर्ष 2009 में मनीषा दयाल दिल्ली की नशा मुक्ति से जुडी संस्था स्पर्श फाउंडेशन से जुड़ीं, वर्ष 2011 में  अपने पिता की  मौत के गम में एक साल तक डिप्रेशन में चली गयी.  2012 में मनीषा फिर सक्रिय हुई और रेडक्रास और यूनिसेफ के साथ और महिला और बाल विकास के मुद्दों पर काम करने लगी.

वर्ष 2016 में मनीषा दयाल का जुड़ाव अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन (एचआरएफ)  से बतौर सचिव हुआ और वह महिला सशक्तीकरण , वृद्ध आश्रम , बच्चों की शिक्षा , झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के जीवन सुधारने से सम्बन्धित कामों को देखने लगी.

मनीषा दयाल का झुकाव पर्यावरण संरक्षण की ओर भी था और इसी को देखते हुये उन्होंने वर्ष 2016 में कॉरपोरेट क्रिकेट लीग-२  का आयोजन मनीषा ने  चिरंतन कुमार के साथ मिलकर  किया जो अबतक तक बिहार का सबसे बड़ा इवेंट माना गया. सीसीएल 02 की अभूतपूर्व सफलता के बाद मनीषा दयाल ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा उसके बाद उन्होंने सॉकर प्रीमियर लीग का आयोजन वाइल्ड आर्मी एंटरटेनमेंट क साथ  का प्लान किया. इस अभियान के तहत से नो टू ड्रग और से नो टू डाइरी अभियान भी चला.

 कई अन्य सामाजिक संस्थाओं से रहा जुडाव

अनुमाया हयूमेन रिसोर्सेज फाउंडेशन के अलावे आत्मा फाउंडेशन, भामाशाह फाउंडेशन, स्पर्श डी एडीक्शन एंड रिसर्च सोसायटी और नव अस्तित्व फाउंडेशन जैसी संस्ताहों से विभिन्न पदों पर जुडी रही है.

 

यूथ आइकॉन मनीषा का ऐसा ‘रूप’?

बिहार की आयरन लेडी और युवाओं की प्रेरणास्रोत मानी जाने वाली मनीषा का ऐसा रूप भी होगा यह किसी ने नहीं सोचा था. बुलंदी पर जाने के लिए शॉर्टकट रास्ता तलाशती मनीषा कहती थी कि मौके मिलते नहीं, बनाये जाते हैं. यही नहीं उनका मानना रहा है कि कामयाबी हम तक नहीं आती, हमें कामयाबी तक जाना होता है. मनीषा दयाल अपनी सारी सफलता का श्रेय अपने पिता विजय दयाल को देती हैं और उन्हें ही अपना सुपर हीरो मानती हैं. यही नहीं पिता की याद में मनीषा ने अपने पिता के पेट्रोलंपप से  21 लड़कियों की पढाई की पूरी व्यवस्था की है  और हर साल कैंसर के दो मरीजों की चिकित्सा की पूरी जिम्मेवारी उनकी संस्था (एचआरएफ) की ओर से की जाती है.

पर कौन जानता था कि ऐसे खूबसूरत और सोशलाईट चेहरे के पीछे कुछ ऐसे खौफनाक सच छिपें होंगे जिसके बाहर आते ही सबका सिर शर्म से झुक जाएगा. यही नहीं राज्य क शेल्टर होम्स से लगातार बाहर आ रही ऐसी कह्ब्रों ने सरकार और एनजीओ के मिलेजुले तंत्र पर भी सवालिया निशान कहदे कर दिए हैं. जाहिर है ऐसे कारनामे बिना राजनीतिक संरक्षण के मुमकिन नहीं हैं. कई अनसुलझे सवालों के जवाब तो एक निष्पक्ष जांच के बाद ही सामने आ पायेगी.

 

रवि प्रकाश सूरज और ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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