आज है उपेक्षा का शिकार
आरा शहर से महज 2 किलोमीटर दूर जमीरा गांव में बने शिव मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी विक्रम संवत 1991 में किया था ने किया था. बापू को आरा की धरती पर बुलाने का श्रेय तत्कालीन जज राधामोहन सिंह को जाता है. राधामोहन सिंह जमीरा के भूतपूर्व जमींदार चौधरी भगवत शरण सिंह के पुत्र थे. मंदिर का शिलान्यास विक्रम संवत 1982 में जबकि मंदिर की स्थापना संवत 1988 में हुई थी. स्व राधा मोहन सिंह के भतीजे नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह भोजपुर के लिए गर्व की बात है, कि महात्मा गांधी यहां आये थे. उस दौरान नरेंद्र सिंह की दादी ने गांधी जी को अंगवस्त्र दान किया था. उन्होंने खुद के हाथों से जिस चरखे से सूत कात कर बापू को वस्त्र दिया था वह चरखा आज भी रखा हुआ है. बापू के जमीरा आगमन की गौरव गाथा की कहानी दो वर्ष पूर्व शहर के रमना मैदान स्थित स्टेडियम की दीवार पर प्रशासन ने शिलालेख पर अंकित कराया है. आज भी जमीरा स्टेट की हवेली में उस दौर की पूरी ऐतिहासिक दास्तान यहां की दीवारें व कलाकृतियाँ बयान करती हैं. यहां आज भी उस दौर का जेल, कचहरी, जज की कुर्सियां, वकीलों के टेबल, सब कुछ यथावत पड़ी है. गांव के लोगों को अतीत की यादें गौरवान्वित जरूर करती हैं लेकिन, गांव की राजनैतिक उपेक्षा लोगों को खल रही है.