नैक की विजिट के बहाने कॉलेज कैंपस में आई बहार

महाराजा कॉलेज में NSUI द्वारा कॉलेज प्रशासन के खिलाफ हंगामे के बाद जब कॉलेज के प्राचार्य से कॉलेज में फैले अनियमितताओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस तरह के सभी आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए नियमित कॉलेज में क्लास चलने की बात कही. उन्होंने कहा कि दो महीने पहले मैंने यहां कार्यभार संभाला तब से लेकर अबतक क्लास और कई गतिविधियों में सुधार किया है. उन्होंने NSUI के जिलाध्यक्ष पर कैंटीन अलॉटमेंट को लेकर निशाना साधा. पटना नाउ ने जब उनसे यह पूछा कि नैक के लिए कॉलेज में बिना टेंडर पोताई रँगाई और कई अन्य कामो को कैसे दे दिया गया? इसपर इसका खंडन करते हुए प्राचार्य ने कहा कि विवि ने मेरे पहले वाले प्राचार्य के काल मे 10 लाख रुपये कॉलेज को सहायता के लिए दिया था साथ ही कॉलेज के अंदरूनी फंड के पैसे से ये सब काम हो रहा है. इसलिए इसमें टेंडर जैसा कोई काम नही है क्योंकि कॉलेज के पास पैसा ही नही है.




NSUI और छात्रों का आरोप

कॉलेज में अध्ययन ठप है
CLC 10 दिनों से नही बन रहा है
पैसों का बंदरबाट हुआ है नैक के नाम पर
पिछले 15 दिनों में जितने पैसे निकाले गए है बैंक अकांउट से उतने पिछले 1 साल में निकाले गए होंगे
दूसरे कॉलेजो से भाड़े पर आया है कुर्सी टेबल और मेंज, जो नैक टीम के जाने के बाद पुनः उन कॉलेजों में भेज दिया जायेगा
अगर नैक की टीम अचानक विजिट कर दे तो इन कॉलेजो का सच सामने आ जायेगा.

क्या कहा NSUI जिलाध्यक्ष ने?
अपने ऊपर प्राचार्य द्वारा लगाए गए आरोप पर NSUI के जिलाध्यक्ष मनीष सिंह उर्फ दुलदुल सिंह ने कहा कि क्या प्रूफ है कि मैंने कैन्टीन के लिए आवेदन किया है. प्राचार्य द्वारा लगाए गए आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है. यह छात्र आंदोलन को कुचलने के लिए प्राचार्य की राजनीतिक चाल है. इसके पहले भी NSUI पर कई पदाधिकारियों द्वारा झूठे आरोप मढ़े गए लेकिन जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. इसका ताजा उदाहरण pre-PHD परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप में परीक्षा नियंत्रक प्रसूनजय सिंह का पदच्युत किया जाना है. किसी नैक की आड़ में कॉलेज में छात्रों के काम को नही करने का आरोप लगाया. छात्रों का आरोप है कि लगभग 10 दिनों से CLC जैसा जरूरी कागज भी कॉलेज निर्गत नही कर रहा है. इस सम्बंध में VC ने कहा कि उन्हें CLC नही मिलने की खबर आज ही पता चला है. वो प्राचार्य से बात कर कल से छात्रों के CLC सम्बंधित शिकायत को दूर करेंगे.

क्या है कैंटीन अलॉटमेंट का नियम

महाराजा कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि आमतौर पर कॉलेज में कैंटीन के अलाटमेंट का कोई खास नियम नही है. कॉलेज प्रशासन किसी को भी दे सकता है लेकिन अगर एक से ज्यादा कैंडिडेट हो तो लॉटरी सिस्टम से उसे अलॉट किया जाता है. वही VC डॉ सैय्यद मुमताजुद्दीन ने कहा कि नैक के लिए कैंटीन मेंडेटरी है.
आरा हाउस इसी बहाने हो गया नया

नैक की अगर टीम नही आने वाली होती तो आरा के इतिहास को अपने अंदर दफन कर रखने वाला आरा हाउस आज भी धूल और गर्द में ही सना होता. भला हो नैक का जिसके आने की आड़ में इस ऐतिहासिक इमारत को भी चकाचक कर दिया कॉलेज प्रशासन ने. भले ही इसके ऊपर लगे कई झाड़ और छोटे पेड़ों को न काटा गया हो. अंदर पढ़ने वाले बच्चे सफाई कर देते हैं क्योंकि उन्हें फ्री में पढ़ने के लिए एक जगह मय्यसर हो जाता है और बाहर दीवार की सफाई और रँगाई कॉलेज ने कर जैसे इसे नया कर दिया.

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आरा से ओपी पांडे

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