जहाँ होती रचनात्मकता की भी अग्निपरीक्षा

By om prakash pandey Jan 21, 2019

अजूबा करनामा
ऐसा सुना है कभी… 2 दिनों में 50 फिल्में!
रचनात्मकता की धरातल पर नई सोच को उतारते भोजपुर के अति सकरात्मक लोग

आरा, 20 जनवरी. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने भोजपुर ही है वह धरती जहाँ रचनात्मकता की भी अग्निपरीक्षा होती है. पटना नाउ ने 2 दिन पहले अपने हैडिंग में जिस खबर को लिखा था रचनात्मकता की अग्निपरीक्षा, उस अग्निपरीक्षा में खरे उतरे रचनात्मकता को जन्म देने वाले कुछ जुनूनी लोग जिसके गवाह बने 50 बच्चे और जॉ पॉल हाई स्कूल जिसने इस अनोखी पहल से दुनिया के सामने एक नई मिसाल कायम कर एक अनूठा करनामा कर दिखाया है. जिस फ़िल्म को बनाने में महीनों लग जाते हैं उस फिल्म को 2 दिनों के अंदर 50 बच्चों ने 50 फिल्मे बना कर सबको अच्चम्भित कर दिया है. जी हाँ भले ही ये फिल्में लघु हैं और मोबाइल से शूट की गई हैं लेकिन उन्हें बनाने, उनके कंटेट को लिखने और समझने की सोच को जरूर विकसित किया गया है जो बच्चों के मस्तिष्क में कल्पनाओ की उड़ान ले रहे हैं. क्या पता आने वाले दिनों में ये 50 बच्चे भविष्य के लेखक, निर्देशक, सिनेमेटोग्राफर, आर्ट डायरेक्टर या अन्य विधाओं के माहिर खिलाड़ी बन जाएं! ऐसी संभावनाओ की जननी रहा दो दिवसीय फ़िल्म मेकिंग का कार्याशाला जिसके समापन पर बच्चों के अभिवावकों के साथ शहर के प्रबुद्ध जनों ने बच्चों की फिल्में देखी और सराहा.




18-19 जनवरी तक आयोजित गंगा जगाओ अभियान और जॉ पाल स्कूल आरा के तत्वावधान में कविता लेखन व फ़िल्म मेकिंग की दो दिवसीय कार्यशाला में बनाये गए फिल्मो को आज धनुपुरा स्थित विद्यालय साभागार में प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की निदेशिका डॉ मधु सिन्हा के साथ कार्यशाला के प्रशिक्षकों कवि निलय उपाध्याय, अजय शाह, ओ पी पांडेय,नरेंद्र सिंह,वेद प्रकाश सागर व अमन बाबा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. भोजपुर में यह पहली कार्यशाला रही जहां फिल्म मेकिंग बच्चों को सिखाया गया. इस मौके पर विद्यालय में बच्चों के साथ अभिभावको की खासा उपस्थिति रही, जो मुख्य रुप से बच्चों द्वारा बनाई गई फिल्मों को देखने के लिए उपस्थित हुए. इस मौके पर शहर के कई गणमान्य व्यक्तियों की भी उपस्थिति रही.

कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य शम्भूनाथ मिश्रा ने किया. कार्यक्रम में सबसे पहले स्वास्तिवाचनम,वर्तुल,फसल,माँ का दिल, हेल्पिंग हैंड और डोंट वेस्ट वाटर सहित कुल छः फिल्मो का प्रदर्शन हुआ. इन छः फिल्मों में, 3 फिल्में कविताओं पर आधारित फिल्म थी, जिन्हें बच्चों ने ही लिखा और शूट किया था. बच्चों ने कुल 50 से अधिक लघु फिल्में बनाई, जिनमें कविताओं को भी उन्होंने फिल्म की तरह ही शूट किया. कार्यशाला के दौरान शामिल 50 बच्चों को 7 समूहों में बाटा गया था, जिनका परिचय प्रत्येक फिल्मों के प्रदर्शन के बाद कराया गया. सभागार में उपस्थित जनों के बीच कार्यशाला में सीखे अपने अनुभवों को शेयर किया. मौके पर विद्यालय की निदेशिका ने कहा कि इन शार्ट फिल्मों को देखने के बाद ऐसा लगा ही नहीं बच्चों ने दो दिनों में ये सब किया है.
उन्होंने प्रशिक्षकों के प्रति आभार प्रगट किया और कहा कि अगर इतने काबिल लोगों की टीम बच्चों को मिल जाए देश का भविष्य सुनहरा हो जाएगा.

उन्होंने पुनः इस तरह के आयोजन के लिए इच्छा जताई और अभिभावकों से बच्चों को उनके हुनर को निखारने में उनके योगदान के लिए प्रेरित किया. इस मौके पर प्रोफेसर रणविजय सिन्हा ने कहा कि बच्चों द्वारा इस तरह का कार्य अद्भुत है और इस प्रयोग के लिए पूरे टीम को बधाई. वही संगीतकार वेद प्रकाश सागर ने कहा कि ऐसे कार्यशालाओ से बच्चों के अंदर छुपी हुई प्रतिभाओं का विकास होता है. इस मौके पर सभी बच्चों को प्रमाण पत्र भी दिया गया. विद्यालय की ओर से कवि निलय उपाध्याय को निदेशिका मधु सिन्हा ने स्मृति चिह्न प्रदान किया व अंत मे धन्यवाद ज्ञापन किया. इस मौके पर विज्ञान प्रदर्शनी में मंच संचलन करने वाली दो बच्चियों समेत एक दर्जन विज्ञान प्रदर्शनी में भाग लेने वाले बच्चों उर उसमे बेहतर करने वालो को भी प्रमाण पत्र के साथ कैश पारितोषिक भी वितरित की गई.


इस मौके पर राजेश तिवारी, प्रो दिनेश प्रसाद सिन्हा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे. आज प्रदर्शित फिल्मो में जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, माँ और किसान जैसे मुद्दों पर बच्चों ने फिल्मे बनाई थी वही पक्षी संरक्षण, संवेदना, बाल श्रम, सत्संगति जैसे मुद्दों पर फिल्मे बनकर तैयार हैं जो एडिटिंग टेबुल है. इन शेष बची हुई फिल्मो का प्रदर्शन विद्यालय के बच्चों के बीच शीघ्र ही किया जाएगा .

आरा से अपूर्वा व सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

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