बदलें दिनचर्या और खानपान
आधुनिक तकनीक एवं बदलती हुई खानपान में हमने आज जिस चीज़ को सबसे अधिक उपेक्षित किया है, वह है हमारा स्वास्थ्य.यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आधुनिक समय में लगातार उन्नत होती तकनीक ने हमारी जीवन शैली को अधिक सुगम बना दिया है. विभिन्न माध्यमो एवं उपकरणों ने दिन प्रतिदिन के कार्यो को सुचारू रूप से करना और आसान कर दिया है. पर इसी तकनीक के दुरप्रयोग ने हमारे शरीर पर नकरात्मक प्रभाव डाला है. इसी के साथ हमारी बदलती हुई खानपान में पौष्टिकता का स्थान ले लिया है स्वाद ने. आज खाने को अधिक से अधिक स्वादिष्ट बनाने के चक्कर में हमने अत्यधिक शक्कर, तेल, मसालों आदि का सहारा ले लिया है, साथ ही हमारे खानपान में जैविक खाद्य पदार्थ के बजाय प्रसंस्कृत खाद्य प्रदार्थो की भरमार है, और इसी स्वाद के कारण यह भूल रहे है कि हम अपने शरीर में क्या डाल रहे है एवं उसका क्या परिणाम हमें भुगतना पड़ेगा. पर क्या हम इस बात से सचेत है कि जीवनशैली में इन नए परिवर्तन के द्वारा हम किस और जा रहे है?
आज के ज़माने में इस नई जीवनशैली द्वारा उत्पन्न रोगों ने समाज को घेरना शुरू कर दिया है. खासकर मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप!! विभिन्न वैश्विक स्वास्थ्य संगठनो के रिपोर्ट्स के अनुसार मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप संभावित महामारी का रूप लेने की कगार में है. खासकर अगर हम भारतीय स्थिति देखे तो अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन कि 2013 रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगो की संख्या लगभग 6.5 करोड़ है, एवं 2030 तक भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगो की संख्या 10 करोड़ से पार कर जाएगी.
विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी 2012 के मुताबिक भारत में 25 साल से बड़ी जनसँख्या में 23.10% पुरुष एवं 22.60% महिलाएँ उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, जो वैसे तो अपेक्षाकृत कम आंकी गयी है पर इसके अबतक और बढ़ने की पूरी सम्भावना है.इनके अलावा और भी रोग जैसे अवसाद आदि भी बदलती हुई जीवनशैली की देन मानी जा रही है.पर अब सवाल यह उठता है कि कैसे हम स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही के रूप में उत्पन्न इन बिमारियों से अपने आप को बचा सकते है?जवाब आसान है – जीवनशैली में कुछ छोटे आधारभूत परिवर्तन करके.आप एक बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह निम्नलिखित कदम उठा कर एक समग्र संतुलित स्वस्थ जीवन जी सकते है –
जल्दी उठना एवं जल्दी सोना
“शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान,भाग्यवान और ज्ञानवान होता है”. यह महावाक्य से हम सभी वाकिफ है पर क्या आप इसका पालन करते है? एक अच्छे दिन एवं अच्छे स्वास्थ्य की शुरुआत होती है प्रातःकाल से. सही समय में जागना एवं सोने को अपने दिनचर्या में शामिल करे
व्यायाम
दिन में खासकर प्रातः अथवा संध्या में कुछ हल्का फुल्का व्यायाम जैसे की सैर, जॉगिंग आदि को सिर्फ आधा घंटा करके भी आप एक नई स्वस्थ पहल कर सकते है. अगर आप जिम में कसरत अथवा कोई खेल जैसे फूटबाल खेलते है तो वह और भी उत्तम हो सकता है.
संतुलित आहार
एक ऐसा आहार ले जिसमे समस्त पोषक तत्त्व हो और दिन भर में तीन बार भोजन जरूर करे, जिसकी विशेषतः शुरुआत एक पौष्टिक नाश्ते से हो. कई लोग सबेरे की व्यस्तता के कारण नाश्ते को तरजीह नहीं देते, यह नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि नाश्ते के द्वारा आप दिन की शुरुआत में एवं कार्यों के लिए ऊर्जा प्राप्त करते हो.इस भाग में एक बात उल्लेखनीय है कि डाइटिंग के नाम पर अपने को भूखा न रखे, डाइटिंग का अर्थ है – भोजन शैली में व्यवाहरिक परिवर्तन कर सारे पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन लेने का नियम का पालन करना एवं यदा-कदा रूप में कुछ भी खा लेने की आदत से बचना.
अध्यात्म
अध्यात्म मानव चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उसके भावनात्मक पक्ष को प्रभावित करता है. इसे उपेक्षा का शिकार न होने दे. इसके लिए विशेष रूप से ध्यान को अपने दिनचर्या में शामिल करे.. इसके द्वारा आप दिन प्रतिदिन की नकरात्मकता से दूर रहेंगे और यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य के बेहतरी में भी सहायक होगा.
स्वास्थ्य परीक्षण
एक निर्धारित समय में अपने स्वास्थ्य का व्यापक परीक्षण करवाते रहे. यह आज के माहौल में बहुत जरुरी है, इसके द्वारा आप चिकित्सक से अपने स्वास्थ्य की संपूर्ण जानकारी ले सकते है एवं बेहतर दिनचर्या विकल्पों के ज्ञान से अपने आप को भविष्य में हो सकने वाली रोगो से समय रहते बचा सकते है. ध्यान रखे , “पहला सुख निरोगी काया” अगर स्वास्थ्य ही सही नहीं है तो जीवन के अन्य सुख-समृद्धि का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा.. इसलिए समय रहते ही आपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपने हाथ में ले. हम आशा करते है कि यह आलेख के द्वारा आप एक बेहतर जीवन जीने के प्रति जागरूक एवं सचेत हुयें होंगे क्योंकि एक स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज एवं देश का आधार होता है.
डॉ कुमार निर्मल से खास बातचीत