राजनीतिक कुंठा छोड़ ऐतिहासिक अवसर को बनायें स्वर्णिम दिन : ऋतुराज सिन्हा

By pnc May 27, 2023 #new sansad #RITURAJ SINHA




सनातन परंपरा और वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों से परिपूर्ण है लोकतंत्र का नया मंदिर

भारत के 140 करोड़ लोग दो वर्षों से इस ऐतिहासिक दिन का कर रहे हैं इंतजार

ऐतिहासिक क्षण में हमें अपने सारे मतभेद भुला लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाएं

स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक, बेहतर अग्निशमन सुविधाएं, और ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता से लैस

नया संसद भवन

भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस ऐतिहासिक दिन का इंतजार भारत के 140 करोड़ लोग दो वर्षों से कर रहे थे. सनातन परंपरा और वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों से परिपूर्ण, हमारे देश के लोकतंत्र का नया मंदिर कई मामलों में पुराने संसद भवन की आधारभूत समस्याओं का निदान करता है. भारतीयों द्वारा भारतीयों के लिए बनाया गया हमारा नया संसद भवन स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक, बेहतर अग्निशमन सुविधाएं, और ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता से लैस है. और जो पुराने संसद भवन में जल रिसाव की समस्या थी, उसका भी निदान नए संसद भवन में किया गया है.

उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है, की जिस ऐतिहासिक क्षण को हमें अपने सारे मतभेद भुलाकर सिर्फ लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाना चाहिए था, उसपर भी कुछ विपक्षी पार्टियां स्वार्थ और पूर्वाग्रह की राजनीति कर रहीं हैं. विरोधाभास एक स्वस्थ लोकतंत्र का अभिन्न अंग है, पर जब कोई निहित स्वार्थ के लिए एक राष्ट्रीय चिह्न और प्रधानमंत्री के अपमान पर उतर आए, तो यह सिर्फ राजनीतिक कुंठा की निशानी है.

आज दुनिया देख रही है, की कैसे भारत एक एक करके ब्रिटिश साम्राज्यवाद की निशानियों को त्याग कर आत्मनिर्भरता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. दुनिया यह भी देख रही है कि कैसे कुछ गुट 75 वर्ष बाद भी लुटियंस का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं, और अमृतकाल की हर उपलब्धि को अपनी विषपूर्ण विचारधारा से कलुषित कर रहे हैं.

बहरहाल, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपना दो टूक दे ही दिया. जिस आर्टिकल 79 को हथियार बना कर, “बॉयकॉट गैंग” प्रधानमंत्रीजी को निशाना बना रहा था, उसका संसद के उद्घाटन से कोई रिश्ता नहीं है यह बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस हास्यास्पद अर्जी को सिरे से खारिज कर दिया.भारत की जनता तो पहले ही इन विध्वंसकारक विचारधाराओं को खारिज कर चुकी है, चाहे वो चुनाव में हो या, शोर गुल से ऊपर उठकर, लोकतंत्र के नए मंदिर का अभिभूषण करने में.

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