टर्की के माउंट अरारत की पूरी चढ़ाई 41 घंटे में पूरी की
हड्डी गला देने वाली -15 डिग्री का टेंपरेचर भी उन्हें नहीं टिका पाया
राष्ट्रीय ध्वज को देखकर मिलती थी शक्ति,साथ ही आरके सिन्हा का आशीर्वाद था साथ
पटना ,बिहार के सहरसा जिले के बनगांव की रहने वाली लक्ष्मी झा 12 अगस्त 2023 को आर के सिन्हा भाजपा के पूर्व सांसद एसआईएस कंपनी के संस्थापक से फ्लैग ऑफ लेकर टर्की के सबसे ऊंची चोटी (16854 फीट) अरारत पर अपने देश के तिरंगा को फराने के लिए दिल्ली से इस्तांमबुल से दोगुबेयाजित सिटी पहुंची. वहां पहुंचते ही लक्ष्मी झा को पता चला की अरारत चोटी पर मौसम खराब बर्फबारी तेज तूफान हो रहे हैं. इसलिए 15 अगस्त समिट करने का प्लान कैंसिल करना पड़ा 18 को पता चला मौसम सही है, फिर लक्ष्मी झा ने 18 को ही निकल पड़ी समिट के लिए 6 घंटे चढ़ाई करने के बाद पहले पहले बेस कैंप पहुंची. जिसकी ऊंचाई 3000 मीटर है .अगले दिन 3 घंटे की चढ़ाई करके बेस कैंप 4200 मीटर की ऊंचाई पर पहुंची लक्ष्मी को इस मिशन को कम से कम टाइम में पूरी करनी थी. बेस कैंप के ऊपर केवल बादल ही दिखाई दे रहे थे .
मौसम काफी खराब था लक्ष्मी अन्तत: समिट के लिए 21 तारीख के रात को 1:00 बजे निकली . कठिन व खरीद चढ़ाई पर समिट करने में परेशानी हो रही थी. पूरा का पूरा पत्थरों से भरा हुआ रास्ता था जहां पर एक दो बार पत्थर ऊपर से भी आए और एक दो बार खिसक के नीचे भी गिरे बहुत डर भी लग रही थी. ऊपर से हड्डी गला देने वाली -15 डिग्री का टेंपरेचर थी. हिम्मत भी टूट रही थी लेकिन लक्ष्य को पूरा करनी थी. इसी बीच में मेरे गाइड भी मेरे साथ छोड़ दिया. वो बोल रहे थे चलो नीचे चलते हैं. मौसम खराब हो रहा है. लेकिन लक्ष्मी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, लक्ष्मी ने बताया कि कभी-कभी चलते-चलते हिम्मत भी टूट रही थी लेकिन लक्ष्य को पूरा करनी थी. राष्ट्रीय ध्वज को देखकर शक्ति मिलती थी कुछ घंटे चलने के बाद जब सवेरा हुआ मंजिल सामने दिखाई दिया तो हौसला और बुलंद हुआ की नहीं अब तो फतेह करके ही जिंदा वापस जाना है. 6 घंटे चलने के बाद भारत का गौरवशाली तिरंगा माउंट अरारत पर फहराया. माउंट अरारत की पूरी चढ़ाई 41 घंटे में पूरी की लक्ष्मी माउंट अरारत की चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय बेटी है. जिसने तुर्की देश के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट अरारत पर भारत का तिरंगा लहराया.
एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने वाली बनी है पहली बेटी
लक्ष्मी झा एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने वाली बिहार की पहली बेटी बनी है. उन्हें ये सफलता बहुत संघर्ष के बाद मिली है. जिसमें उनकी मां सरिता देवी का काफी सहयोग रहा है. लक्ष्मी झा के इस उपलब्धि को लेकर परिवार में खुशी का माहौल है. बता दें कि लक्ष्मी झा सहरसा जिले के बनगांव की रहने वाली है और इनके पिता का नाम स्व. बिनोद झा है. जिनकी 17 वर्ष पहले ही मौत हो चुकी है. लक्ष्मी झा 4 भाई बहन में सबसे छोटी है. पिता की मौत के बाद रोजी रोटी का कोई सहारा नहीं होने के कारण उनकी मां काफी मेहनत से अपने चार बच्चों का लालन पालन करती रही और सभी बच्चों को पढ़ाई भी करवाई.
दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भारत का झंडा लहराया
लक्ष्मी झा ने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि भारत की ओर से सबसे पहली महिला है जिसने कम से कम समय में किलिमअंजारो पर्वत की चढ़ाई की है . उन्हें शिखर पर चढ़ने में भी सिर्फ 36 घंटे लगे जबकि अभी तक अन्य लोगो ने 6 से 8 दिन का समय लगाया है. विश्व की सबसे कठिन चढ़ाई में एक चढ़ाई किलिमअंजारो पर्वत को भी माना गया है . इसकी ऊंचाई 58.95मीटर है जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई 88.48 मीटर है.
क्या कहते हैं पूर्व सांसद आर के सिन्हा
मुझसे कई लोग आकर मिलते है जिनके सपने अधूरे होते हैं और वो चाहते हैं कि उनके सपने पूरे हो.एक दिन पर्वतारोही बिहार की बिटिया लक्ष्मी झा मुझसे मिली और उन्होंने अपनी इच्छा बताई , तब मैंने इन्हे उतर काशी के एनआईएएम इंस्टीट्यूट में पर्वतरोही का प्रशिक्षण करवाया जिसका नतीजा है कि सुश्री लक्ष्मी झा ने तुर्की के माउंट अरारत की चोटी पर तिरंगा फहराने वाली पहली भारतीय बेटी बनी .इससे पहले वो दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भारत का झंडा लहरा कर बिहार के साथ साथ पूरे देश का नाम रौशन करने का काम किया है हम सभी को बिहार की बेटी लक्ष्मी झा पर गर्व है. आर के सिन्हा ने कहा कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है हर क्षेत्र में बिहार के लोग अव्वल है बस जरूरत है उन्हे सही मार्गदर्शन और सुविधा प्रदान करने की. बिहार सरकर के उदासीनता के कारण बिहार के ये प्रतिभावान खिलाड़ी / पर्वतारोही आगे नही बढ़ पा रहे है. पूर्व सांसद ने कहा की बिहार के छोटे से गांव से आने वाली इस बिहार की बेटी ने पूर्व में काला पत्थर चोटी और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप में तिरंगा लहराया है . आर के सिन्हा ने आश्वासन दिया की वे पर्वतारोही लक्ष्मी झा को हर संभव मदद करेंगे जिससे वे आगे भी इसी प्रकार बिहार का नाम पूरी दुनिया में रौशन करते रहें.
रवीन्द्र भारती