कानून मंत्री पर है अपहरण का केस, शपथ ग्रहण के दिन करना था सरेंडर!

बाहुबली नेता हैं नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह

अनंत सिंह के करीबी समझे जाते हैं कानून मंत्री




पटना विधानपरिषद से बने हैं विधायक

एक सितम्बर तक दानपुर कोर्ट से मिली रहत

बिहार के कानून मंत्री को कोर्ट में उसी दिन सरेंडर करना था जिस दिन वे कानून मंत्री की शपथ ले रहे थे जी हाँ ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कोर्ट का आदेश कह रहा है. राजद के विधायक और नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट में सरेंडर करने का वारंट जारी किया गया था, लेकिन कोर्ट में सर्रेंडर करने की जगह उन्होंने कानून मंत्री के लिए शपथ ले ली लेकिन वो सरेंडर करने नहीं गए. 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया है। कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है.वैसे आपको बता दें कि उन्हें दानापुर कोर्ट से 1 सितम्बर तक राहत मिलने की बात की जारही है .

बिहार में नई सरकार के गठन के बाद से मीडिया से बात करते हुए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ एक भी एक भी एफआईआर नहीं है न ही उनके खिलाफ कोई केस दर्ज है. मुझपर लगे आरोप झूठे हैं. चुनावी हलफनामा में सारी जानकारी चुनाव आयोग को दी है. चुनाव आयोग से कुछ छुपा नहीं है.

मैं खुद को बेकसूर मानता हूं. केस होना, नहीं होना अलग बात है. मैं निर्दोष हूं. आरोप लगना और साबित करने दोनों में अंतर हैं. अभी कुछ साबित नहीं हुआ है.कार्तिकेय सिंह ने कहा कि मुझ पर कोई आपराधिक केस नहीं है. आचार संहिता से संबंधित एक केस पर हुआ था. एमएलसी पहली बार बना. मंत्री बना हूं.उन्होंने कहा कि धरना प्रदर्शन का कोई मामला होगा वो तो हर नेता पर होता है. लेकिन जिस दिन वे कानून मंत्री बने उसी दिन उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था. लेकिन जनाब ने सरेंडर करना उचित नहीं समझा और कानून मंत्री की शपथ ले ली.इस घटना के बाद से विपक्षी दल भाजपा ने उन्हें अविलम्ब गिरफ्तार करने की मांग की है.

भाजपा नेता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार में अपराधियों की सरकार है और बिहार का कानून मंत्री अपहरण कांड का भगोड़ा है. बिहार में महागठबंधन सरकार का नया मंत्रिमंडल एक भयावह तस्वीर पेश करता है. उन्होंने कहा कि ऐसे मंत्रिमंडल के हाथों बिहार की जनता के मान- सम्मान को गिरवी कतई नहीं रखा जा सकता. इससे सुशासन के तमाम दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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By pnc

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