प्रेशर पॉलिटिक्स के सहारे खींच रही महागठबंधन की सरकार
आए दिन देते हैं एक-दूसरे के खिलाफ बयान
बीजेपी के बूते राजद पर दबाव बना रहा जदयू
रघुवंश प्रसाद सिंह और भाई वीरेन्द्र के तीखे बयानों ने पहले से ही मुसीबत में पड़े महागठबंधन की सरकार की रही-सही कसर भी पूरी कर दी है. मुख्यमंत्री को निशाने पर रखने वाले राजद के बयानों पर जदयू ने इस बार कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने राजद नेता रघुवंश सिंह और विधायक भाई वीरेन्द्र के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
भाई वीरेन्द्र (File pic) संजय सिंह (File pic)
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि जदयू महागठबंधन की मां है, दाई नहीं. K C त्यागी ने कहा कि 5 साल के लिए गठबंधन हुआ था. पांच साल पूरे होने में काफी वक़्त बचा हुआ है, जो गठबंधन को तोड़ने का काम करेगा जनता उनको जवाब देगी. लालू से उम्मीद नहीं की वे रघुवंश और भाई वीरेंद्र पर कोई कड़ी कारवाई करेंगे. ऐसी गतिविधियों से गठबंधन की उम्र कम होगी.
के सी त्यागी के बयान पर पलटवार करते हुए राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि जदयूू नहीं, बिहार की आवाम है महागठबंधन की मां. मनोज झा ने नरम रूख अपनाते हुए कहा कि राजद और जदयू दोनों पार्टी के नेताओं को बयानबाजी से बचना चाहिए और जदयू नेता इस बहस में न पड़े कि किसके चेहरे पर सरकार बनी.
मनोज झा (File pic)
मनोज झा ने कहा कि महागठबंधन के नेताओं को अनर्गल बयानबाजी से बचना चाहिए. भाजपा तो यही चाहती है कि बिहार में गठबंधन टूट जाए. हमें ऐसे में आपसी बहस से परहेज करना चाहिए. हमने तिनका-तिनका जोड़कर यह गठबंधन बनाया है और महागठबंधन को तोड़ने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी.
इसके बाद भी जब जदयू के तेवर कम नहीं हुए तो एक के बाद एक लगातार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बयान जारी करते हुए कहा कि सिर्फ न्यूज में रहने के लिए बयान दे रहे नेता. महागठबंध को लेकर राजद में अधिकृत बयान केवल लालू यादव ही दे सकते हैं. महागठबंधन की सरकार को बिहार में कोई खतरा नहीं.
दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश कुमार ने जब रामनाथ कोविन्द को सपोर्ट करने का एलान कर दिया तो राजद और कांग्रेस तिलमिला उठे. इसके बाद राजद नेताओं ने ना सिर्फ जदयू बल्कि नीतीश कुमार पर भी जमकर हमले किए. जाहिर है इसमें लालू की खीझ साफ दिख रही थी.
इन सबके बाद फिलहाल जदयू की प्रेशर पॉलिटिक्स का खासा असर राजद खेमे पर देखने को मिल रहा है. लेकिन आने वाला जुलाई का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ना सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बल्कि बिहार में महागठबंधन के भविष्य पर भी जुलाई में बड़ा असर देखने को मिल सकता है.
नीतीश कुमार की इमेज पर जब भी हमला हुआ या फिर उन्हें लेकर जब भी विवाद हुआ, नीतीश ने सामने वाले को, चाहे वो नरेन्द्र मोदी हों, शहाबुद्दीन हों या फिर लालू, किसी की नहीं चलने दी और अपना रास्ता खुद बना लिया. वर्तमान में बीजेपी खुलकर नीतीश को न्योता दे रही है NDA में शामिल होने के लिए. लेकिन नीतीश फिलहाल इसी बहाने प्रेशर पॉलिटिक्स से काम चला रहे हैं. नतीजा ये हो रहा है कि प्रेशर पॉलिटिक्स के चक्कर में एक-दूसरे को मात देने का खेल हावी है और काम ठप है.
So, जुलाई तक वेट एंड वॉच.
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