क्या ऐसी देखी है आपने मासिक धर्म के लिए जागरूकता !

संकेतित जागरूकता संदेश का व्यापक असर,

हम मौन ही अपनी बात कह गए, जिसे कुछ पूछना था वे खुद ही आ गये !




आरा, 30 अगस्त. “हम आधुनिक भारत में रहते हैं,लेकिन विडंबना है कि मासिक धर्म आज भी एक चुप्पी सी है. सही जानकारी एवं स्वच्छता का ख्याल नही रखने के कारण कई लड़कियों को शुरुआती दौर में ही भयानक रोग घेर लेते हैं.” ये कहना है युवा और ऊर्जावान भोजपुर की बेटी सुश्री खुश्बू स्पृहा का जिसने पिछले दिनों स्टेशन परिसर में मासिक धर्म के लिए जागरूकता अभियान चलाया.

खुश्बू एक संस्था चलाती हैं जिसका नाम है विनम्रता फाउंडेशन जिसकी वे सचिव हैं. महिलाओं, बच्चों और शिक्षा के लिए तो कभी कला के संवर्धन के लिए हर मोड़ पर किसी वटवृक्ष की तरह डटे रहती हैं. इतना इंट्रोडक्शन देना थोड़ा जरूरी इसलिए कि आमतौर पर युवा जहाँ जिंदगी में पैसे के पीछे भागने में व्यस्त हैं वैसे में खुश्बू ऐसे मुद्दे के लिए अकेले निकल पड़ी सड़को पर जिसपर बात करने के लिए झिझक ऐसी है कि न सिर्फ आप बल्कि सामने वाला भी सुनने के लिए तैयार नही है. जी हाँ महिलाओं की आम समस्या से जुड़ी बात यानि मासिक धर्म के प्रति जागरूकता. खुश्बू ने सोचा क्यों न ऐसा जागरूकता किया जाय कि बात भी न हो और बात कह भी दिया जाय. इसलिए उसने चुना संकेतिक भाषा और इसके लिए उसने तैयार किया स्टेशन परिसर में विशाल रंगोली.

इस रंगोली पर मासिक धर्म से सम्बंधित संकेत और शब्दों के देखने के बाद वहाँ कई लोग खुद आकर बातें करने लगे. चाहे स्त्री हो या पुरुष कैसे मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और शरीर को आराम देने के लिए क्या करें इसपर बाते करने लगे.

आरा की संस्था विनम्रता फाउंडेशन ने भी इस बदलाव में अपनी भूमिका समझी और अपने प्रयासों से यह बेहतर मुकाम हासिल करने हेतु आगे बढ़ रही है. मासिक धर्म पर स्वच्छता एवं इसकी जानकारी हेतु एक जागरूकता रंगोली आरा रेलवे स्टेशन पर बनाई गई जो कि 10 फीट बड़ी है, आकर्षक तरीके से बनाई गई इस रंगोली का मकसद आम जनमानस को मासिक धर्म के लिए जो लज्जा एवं घृणा का भाव उभरता है उसे उसके असली मतलब से अवगत कराना है

मासिक धर्म या महावारी एक महिला के अस्तित्व, साहस और सहनशीलता का प्रतीक है. महावारी एक सामान्य सी प्रक्रिया है जो प्रत्येक महिला के लिए आवश्यक है, क्योंकि वह उसके गर्भधारण से सीधा जुड़ा हुआ है और यह बात शाश्वत है कि सृजन समाज के लिए कितना आवश्यक है. मासिक धर्म इतना आवश्यक होते हुए भी समाज में अभद्र, अल्पभाषी और लज्जापूर्ण माना जाता है. सभ्य समाज में लोग इस पर बात करने से कतराते हैं. एक महिला मासिक धर्म के समय असहनीय शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक कई बदलावों से जूझ रही होती है इस समय उसे विशेष आराम और देखभाल की जरुरत होती है,लेकिन इन सब के अलावा उसे लोगों के बीच सामान्य दिखने की एक मजबूरी होती है ताकि कोई यह ना समझ सके कि उसका मासिक चक्र चल रहा है. यह सभ्य समाज में उसके लिए एक लज्जा की बात हो जाती है. बदलाव के इस समय में कई महिलाएं समाज के बंधनों को तोड़कर इन विषयों पर बोलना शुरू कर चुकी हैं, अपने शरीर को आराम देना, मानसिक बदलाव से लोगों को अवगत कराना, अपने कार्य क्षेत्र में इन मुश्किल दिनों के लिए अवकाश को बाध्य कराना यह सब महत्वपूर्ण पहल है. बेहतर बदलाव के लिए आरा शहर भी हमेशा अग्रसर खड़ा रहा है.

जागरूकता अभियान के दौरान क्या कहा आगन्तुकों ने

इस जागरूकता अभियान में शामिल होने आई डॉक्टर स्वेता सिंह ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि महिलाएं सबसे पहले अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचें,पोष्टिक भोजन, आराम और साफ सफाई ये बहुत महत्वपूर्ण है. मुझे खुशी है शहर में ऐसी संस्था है जो इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम कर रही है और बदलाव की कोशिश कर रही है. चंचला जी ने कहा कि हम अपने समय में झिझक कर इन दिनों में गुजारा करते थे लेकिन आज लड़कियां अपनी बात खुलकर कहती हैं अगर अवसर मिलता रहे तो इस तरह के मुद्दों पर बात करके स्थिति को और ठीक किया जा सकता है. तनूजा ने भी कहा है इसपर बात करना बहुत जरूरी है, अपने घर की लड़कियों को सही समय पर उनके शारीरिक बदलावों के बारे में जानकारी देना हमारा फर्ज है.

कस्तूरबा गांधी स्कूल की छात्राएं रंगोली के साथ

करुणा कुमारी ने कहा कि उन्हें अपने समय में जो आभाव दिखा, उससे सीख लेकर अपनी दोनों बेटियों को इस मासिक चक्र के बारे में अवगत पहले ही कराया था जिसका परिणाम यह रहा उन्होंने इसे सकारात्मकता के साथ अपनाया और इन दिनों अपना खास ख्याल भी रखती है. परिवार को भी इस समय में अपनी लड़कियों और महिलाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

जागरूकता अभियान से सैकड़ों लोग जुड़े एवं संस्था को साधुवाद किया कई महिलाओं ने अपने अनुभव को भी साझा किया. कार्यक्रम की रंगोली में कलाकार अमन राज और रूपा कुमारी मुख्य रूप शामिल थे साथ ही साथ लोकेश कुमार दिवाकर, अशीष, संस्कार कृष्ण, राहुल कुमार, मुकेश कुमार, रोहित कुमार, आशीष गुप्ता, दीपक, आकाश आदि उपस्थित थे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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