पटना (ब्यूरो रिपोर्ट)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र के ज्ञान भवन में कृषि वानिकी समागम कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर विधिवत उदघाट्न किया. मुख्यमंत्री ने वन एवं पर्यावरण विभाग को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई दिया और कहा कि इससे कृषि वानिकी नीति तैयार करने में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि प्रथम कृषि रोडमैप (2008-12), द्वितीय कृषि रोडमैप (2012-17), तृतीय कृषि रोड मैप (2017-22) को तैयार करने के पहले सभी विशेषज्ञों एवं किसानों से विमर्श करके इसमें सभी क्षेत्रों को समाहित किया गया है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रथम कृषि रोड मैप से बिहार राज्य में उपज एवं उत्पादकता दोनों बढ़ी, किसानों की आमदनी भी बढ़ी जबकि द्वितीय कृषि रोडमैप में पर्यावरण एवं वन के संरक्षण एवं विस्तार को इसका प्रमुख हिस्सा बनाया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में वन क्षेत्र काफी कम है. देश के क्षेत्रफल का 3.6 प्रतिशत हिस्सा बिहार का है, जबकि देश की आबादी का 8.6 प्रतिशत हिस्सा बिहार में निवास करता है. आम धारणा है कि प्लेन लैंड में 20 प्रतिशत वन क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन बिहार में उस लिहाज से जमीन की कमी है. राज्य में वन क्षेत्र 8 प्रतिशत से कम था. बटवारे के बाद बिहार में राज्य के बिहार-झारखंड के सीमवर्ती जिले एवं चंपारण इलाके में ही वन क्षेत्र रहे थे. राज्य में हरित आवरण बढ़ाने के लिए सरकार ने काफी काम किया है. पहले जब सर्वे कराया गया था तो हरित आवरण लगभग 9.7 प्रतिशत था, जिसे 2017 में 15 प्रतिशत तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. इसके लिए हरियाली मिशन की शुरुआत की गई. सड़क के दोनों तरफ, बांध, नहर, सार्वजनिक स्थलों एवं सरकारी आवास के आस पास वृक्ष लगाने के लिए काम किया गया. कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 15 प्रतिषत का लक्ष्य लगभग प्राप्त कर लिया गया है.
नीतीश ने कहा कि नये कृषि रोड मैप में अब यह लक्ष्य 17 प्रतिषत निर्धारित कर कृषि वानिकी के लिये लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. साथ ही पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में सुविधा होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में औसतन 1200 से 1500 मिमी वर्षा होती थी परन्तु वास्तविक स्थिति यह है कि आज बिहार में 800 से 900 मिमी के बीच ही वर्षा होती है. वर्षापात की गणना कराने की आवश्यकता है. राज्य में अतिवृष्टि नहीं बल्कि नेपाल, उत्तराखंड एवं मध्यप्रदेश में वर्षा के कारण बाढ़ आती है. राज्य में वृक्षारोपण के द्वारा हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाकर पर्यावरण संतुलन कर बाढ़ एवं सुखाड़ से बचा जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि वानिकी को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक काम किए गए जिसमें पौधारोपण के लिए योजना बनी, बाहर से भी पौधा मंगा कर पौधे की उपलब्धता सुनिश्चित की गई. फॉरेस्ट साइंस ऑफ इंडिया के साथ राज्य के हरित आवरण के आंकलन के लिए समझौता किया गया है. उन्होंने कहा कि बिहार ने 15 प्रतिशत के हरित आवरण के लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है और अब 17 प्रतिशत के लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि द्वितीय कृषि रोडमैप में 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 18 करोड़ 60 लाख पौधा रोपण किया जा चुका है. कृषि वानिकी के लिए जो 6 करोड़ पौधा लगाने का लक्ष्य रखा गया था, इसके विरूद्ध 6 करोड़ 10 लाख पौधे लगाये जा चुके हैं. कृषि वानिकी के अंतर्गत प्रतिबंधित पौधों को विमुक्त कर दिया गया है ताकि उनका विपणन आसानी से हो सके. सरकार का यह प्रयास है कि किसानों के फसलों से होने वाली आमदनी में जो अनिश्चितता बनी रहती है उसकी भरपायी कृषि वानिकी के माध्यम से हो. उन्होंने कहा कि फसल के साथ-साथ किसान पेड़ पौधे लगाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कृषि वानिकी समागम में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने में आने वाली कठिनाईयों के बारे में विचार सामने आएंगे. पेड़ों की बिक्री, बाजारों तक सुलभ पहुंच एवं अन्य कठिनाइयों के बारे में सुझाव आएंगे और उसके बाद नीति बनाने में सुविधा होगी. पॉप्लर वृक्ष, जिससे हम कागज बनाते हैं, के साथ-साथ अनेक प्रकार के पेड़ लगाए जा रहे हैं. बांस लगाने की भी संभावना बढ़ी है. उन्होंने कहा कि चीन की तरह यहाँ भी हाईवे पर दोनों तरफ पॉप्लर के पौधे लगाये जा सकते हैं. यहां भी कृषि वानिकी को प्रोत्साहित कर किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण असंतुलन में कमी लायी जा सकती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुदरत के साथ छेड़छाड़ से बचना चाहिए. आज गंगा, सोन नदी का प्रवाह प्रभावित हुआ है. हमलोगों का फर्ज है कि पर्यावरण की रक्षा करें ताकि आने वाली पीढ़ी को सबकुछ अच्छी स्थिति में प्राप्त हो सके. उन्होंने उम्मीद जताई कि संवाद का नतीजा बेहतर आएगा और हम 17 प्रतिशत के लक्ष्य से भी आगे बढ़ेंगे.
कृषि वानिकी समागम कार्यक्रम के बाद पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब में मुख्यमंत्री ने आतंकियों का मुकाबला करते हुए देश के लिये अपना प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई तथा कहा कि उनके परिवार के साथ पूरा बिहार है. उन्होंने उन शहीदों के परिवारों की हर संभव सहायता की भी बात की.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री को वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण ने पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया तथा प्रतीक चिन्ह् स्वरूप पाटली का पौधा भेंट किया. आयोजित कृषि वानिकी समागम में मुख्यमंत्री ने पांच किसानों, नरकटियागंज के विजय कुमार पांडेय, विहपुर के सौरभ कुमार, हसनपुरा के मो. हामिद खान, भगवनापुर के मुन्ना सिंह पटेल और नूरसराय के परमानंद सिंह को सम्मानित किया. कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री एवं वन एवं पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण, प्रधान मुख्य वन संरक्षण डी0के0शुक्ला ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो0 ए0के0घोष, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि सहित अन्य अधिकारीगण, राज्य के विभिन्न भागों से आए किसान बंधू एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.