बक्सर से पटना जाने के क्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे की गाड़ी कोइलवर पुल के जाम में फंसा देख स्थानीय लोगों ने उन्हें बधाई तो दी ही लगे हाथ कोइलवर में पहले प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की मांग दुहरा दी . स्थानीय लोगों ने अपनी बात मंत्री के समक्ष रखते कहा कि शुरुआती दौर से ही मानसिक अस्पताल की एक सौ अठाइस एकड़ भूमि में मेडिकल कॉलेज खोले जाने को लेकर जिला प्रशासन कई दौर की बैठकें कर चुका है . राज्य सरकार के हरी झंडी मिलने के बाद कॉलेज का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है.
स्थानीय निवासी व पत्रकार दीपक कुमार सिंह ने काबीना मंत्री को बताया कि स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री आर के सिंह के सुझाव जिलाधिकारी व स्वास्थ्य विभाग स्थल निरिक्षण भी कर चुके हैं . ऐसी परिस्थिति में दूसरे जगह जमीन देखने व ग्रामीणों का सुझाव माँगा जाना अनुचित तो है ही, राज्य व केंद्र सरकार के राजस्व को भी क्षति पहुँचाना है . मौके पर मौजूद पत्रकार आमोद कुमार व दीपक गुप्ता ने मंत्री को बताया कि पूरे बिहार के इकलौते मानसिक रोग संस्थान में अगर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का निर्माण होता तो न किसानों को भूमि का मुआवजा ही देना पड़ता और न ही अस्पताल के पुनर्निर्माण में ज्यादा लागत ही खर्च होती.
जानकारों की मानें तो पूरे बिहार में सिर्फ कोइलवर में ही मानसिक रोगी इलाज कराने आते हैं जबकि मानसिक चिकित्सकों की भी शिक्षा की व्यवस्था कहीं नहीं है जबकि कोइलवर में कॉलेज खुलने के बाद मेडिकल के छात्रों को यहाँ से इंटर्नशिप की सुविधा मिल सकती है जो कहीं और संभव नहीं है . ऐसे में मुफ्त की जमीन को छोड़ जिले में कहीं और मेडिकल कॉलेज की जमीन खोजना समझ से परे है . हालाँकि केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीणों की बात पर सहमति जताते कोइलवर में मेडिकल कॉलेज खोले जाने के सकारात्मक पहलुओं पर स्वीकारोक्ति जताई है . उन्होंने कहा कि वे राज्य व केंद्र सरकार के बीच बात कर सकारात्मक हल ढूंढने का प्रयास करेंगे.
कोइलवर से आमोद कुमार