कोरोना के विरुद्ध जंग में किट विश्वविद्यालय मोर्चे पर सबसे आगे
प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न जन समुदाय की पीड़ा को दूर करने या उस पर काबू पाने के लिए कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, (केआईआईटी) भुवनेश्वर और उसकी सहयोगी संस्थान कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने अपने संस्थापक प्रोफेसर अच्युता सामंत के अथक प्रयास के बदौलत इस बार भी कोविड-19 महामारी के प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित लोगों तक पहुंचने और सही उपचार का हर संभव प्रयास किया जा रहा है साथ ही उस पर अनवरत काम भी चल रहा है.
यह जगजाहिर है कि किट डीम्ड विश्वविद्यालय एक प्रख्यात संस्थान है और यह भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त भी है. इसमें देश के कई राज्य साथ ही 50 के आसपास देशों से लगभग 30000 छात्र और छात्राएं यहां अध्ययन करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि किट के ही भी सहयोगी संस्थान किश जो देश का पहला और एकलौता आदिवासी विश्वविद्यालय में तीस हजार के आसपास असहाय और विशेषकर आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं. यह सारे बच्चे केवल ओडिशा के ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड और नॉर्थ ईस्ट के बच्चे हैं. किश की खासियत या है कि यहां पर बच्चे निशुल्क पढ़ते हैं और यह आवासीय विश्वविद्यालय है. कोरोना के चलते जैसे ही संपूर्ण लॉक डाउन की भनक संस्थान की संस्थापक को लगी उन्होंने सभी बच्चों को सुरक्षित अपने-अपने घरों पर वापस भेज दिया था. पूरे लॉकडाउन के दौरान इन सारे बच्चों को किसी भी तरह का शैक्षणिक नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि किट देश का पहला ऐसा संस्थान है जो अपने सारे बच्चों को ऑनलाइन के जरिए ही बच्चों को घर बैठे ही पढ़ाना शुरू किया और अब तक बिना रुके चल रहा है. कुछ इसी तरह ही किश के सारे बच्चों को भी कलिंग टेलीविजन के माध्यम से ई-लर्निंग की क्लास हर रोज संचालित की जा रही है, साथ ही बचे व्हाट्सएप के माध्यम से भी शिक्षकों के साथ निरंतर संपर्क में है.
इन दिनों किश, अपने ‘प्रोजेक्ट उदय’ के तहत ओडिशा के 6 सबसे पिछड़े जिले से रायगड़ा, मलकानगिरी, कंधमाल, बलान्ग्गिर, कोरापुट और गजपति जिलों के लोगों में कोरोना महामारी से निजात पाने के उपाय जैसे 2 गज की दूरी बनाए रखना, मास्क का हमेशा उपयोग करना, हमेशा हाथ धोना और अपने आसपास हर हमेशा स्वच्छता बनाए रखने को लेकर बड़े पैमाने पर एक जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया है. इस परियोजना में 500 से अधिक स्वयंसेवक इन सभी जिलों के 220 गांव में स्वच्छता अभियान चला रहे हैं.
ओडिशा की अगर बात की जाए तो कोविड-19 के विरुद्ध इस मुहिम की अगुवाई किट के ही एक महत्वपूर्ण सहयोगी संस्थान किम्स ‘कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस’ जो एक मेडिकल कॉलेज है, ने ओडिशा सरकार के सहयोग से कोरोना मरीजों के लिए 50 ‘क्रिटिकल केयर बेड्स’ सहित 500 बिस्तर वाला भारत का पहला अत्याधुनिक स्वचालित सुविधा केंद्र स्थापित किया है. इसके अतिरिक्त किट विश्वविद्यालय ने ओडिशा के कंधमाल, बलांगगिर और मयूरभंज जिलों में 200 बिस्तर विशिष्ट तीन और अस्पताल स्थापित किए. कोरोना महामारी के इस विषम परिस्थिति के बावजूद इतने कम समय में समर्पित अस्पतालों के निर्माण से इन्हें राज्य और केंद्र सरकार द्वारा काफी प्रशंसा भी मिली है. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों समेत भारत के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ किट स्कूल ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी के अंतर्गत कीट के और एक घटक किट टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर (KIIT-TBI) को कोविड-19 संकट के साथ युद्ध विस्तार केंद्र (CAWACH) ‘कवच’ के रूप में मान्यता दी गई है. पूर्व और पूर्वोत्तर में इस कार्यक्रम के लागू करने के लिए ‘के आईआई टी- टी बी आई’ (KIIT-TBI) स्वयं उत्तरदायी है.
कोविड-19 महामारी न केवल एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल है अपितु लंबे समय तक लॉकडाउन और लाखों लोगों की आजीविका के कारण यह एक गंभीर मानवीय संकट का जन्मदाता भी है. मानवता की दृष्टि से किट द्वारा इस कोरोना काल में कोरोना से मृत्यु हो चुके परिजनों के बच्चों को किट और किश में मुफ्त शिक्षा दी जाएगी. यह सुविधा दो शैक्षणिक वर्षो 2020 – 2021 एवं 2021 – 22 के लिए उपलब्ध होगी.
एक सहायता की ओर हाथ बढ़ाते हुए इन दिनों की विश्वविद्यालय उन लोगों के पास पहुंच रही है जो बार-बार लॉकडाउन बढ़ाए जाने के कारण मुश्किल दौर से गुजर रहे थे. कोरोना महामारी के कारण झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले वंचित लोगों, फंसे हुए प्रवासी मजदूरों एवं कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लगभग तीन लाख से ज्यादा लोगों को खाद्य सामग्री और आवश्यक वस्तुओं का वितरण करने के साथ-साथ उन्हें अस्थाई आश्रय भी प्रदान कराया गया है. लॉकडाउन के दौरान अपने मेहनत और तत्परता के कारण किट विश्वविद्यालय राजधानी भुवनेश्वर, पूरी और कटक जिले में ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों को पका हुआ भोजन पहुंचाने की भी पहल की. ओडिशा और आसपास के राज्यों में फंसे हुए सैकड़ों मजदूरों और कर्मियों की निकासी में किश विश्वविद्यालय ने अमेरिकी दूतावास के साथ मिलकर अत्यंत सराहनीय कार्य किया है.
अन्य सामुदायिक गतिविधियों के तहत ओडिशा के चंद्रगिरी इलाके में तिब्बती आबादी और जिरांग में पद्यसंभव मठ में 1 महीने की खाद्य आपूर्ति की गई थी, साथ ही चंद्रगिरी में दो वृद्धाश्रम को गोद लिए जाने का प्रावधान किया गया है. इन दिनों किश विश्वविद्यालय जिरांग में एक अस्पताल को सहयोग कर रहा है और स्वास्थ्य कर्मियों को पि पि इ किट उपलब्ध करा रहा है. इसके अतिरिक्त किट और किश विश्व विद्यालय कंधमाल जिले के 40 से अधिक अनाथालय, वृद्ध आश्रम और कुष्ठ सेवा आश्रम को खर्च के लिए नगदी एवं किराने का सामान मुहैया करा रहा है.
राजधानी भुवनेश्वर के दूरदराज इलाकों में कीट और किस विश्वविद्यालय ने जरूरतमंदों के लिए सहायता का हाथ बढ़ाया है, उन्हें किराने के सामान के अलावा अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराया गया है. किट और किस विश्वविद्यालय साथ ही देश के जाने माने उद्योगपति अजीम प्रेमजी के सहायता से ओडिशा के भुवनेश्वर और रायगढ़ा जिलों में किन्नर समुदाय के लिए राशन और आवश्यक सामानों का वितरण करने के लिए आगे आए.
किट और किश विश्वविद्यालय परिसर के आसपास के इलाकों में बंदरों, मवेशियों और कुत्तों जैसे जानवरों को बिस्किट, फल, सब्जी और अन्य खाद्य सामग्री बांटने के लिए एक टीम का भी गठन किया गया था, जो हर रोज इन जानवरों को खाना खिलाता था. यह टीम परिसर के आस पास के जंगल झाड़ियों में बसने वाले 140 के आसपास मोर पक्षियों की भी देखभाल कर रहे हैं. और तो और पूरी, भुवनेश्वर और कटक जिले के 10 गौशालाओं में आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं.
कोविड-19 महामारी वर्तमान पीढ़ी में समय का सबसे गंभीर विश्वस्तरीय स्वास्थ्य संकट है, और यह कठिन चुनौतियों से भरा हुआ है. महामारी ने अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका देते हुए विश्व के लगभग सभी देशों में आर्थिक संकट पैदा कर दिया है. महामारी एक प्रकार से मानव कर (Human Toll) वसूल कर रहा है. किट और किश के संस्थापक डॉ अच्युता सामंत का कहना है ‘कोरोना काल में हमारा यह छोटा सा प्रयास अथाह सागर की एक बूंद के समान है जबकि हमारा लक्ष्य और उद्देश्य उन सभी के चेहरों पर मुस्कान लाना है जहां तक हम पहुंच सकते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि हम एकजुट होकर इस गंभीर महामारी संकट को दूर कर सकेंगे.’
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