मुजफ्फरपुर से अपहृत पुत्र की 24 घण्टे के भीतर हुई बरामदगी
अपहरणकर्ता निकला किरायेदार, भोजपुर से जुड़ा अपहरण का तार
पटना/आरा, 19 मार्च. बिहार में फिर से अपहरण का मामला सामने आने लगा है. बीते कुछ दिनों से लापता NMCH के डॉक्टर संजय का मामला अभी सुलझा नही था कि 17 मार्च(शुक्रवार) की शाम को एक अपहरण का मामला सामने आ गया. बिहार के मुजफ्फरपुर के जाने-माने होमियोपैथी चिकित्सक के बेटे का अपहरण हो गया जिसे पुलिस ने तकनीक और अपनी फुर्ती दिखाते हुए 24 घंटे के भीतर ही अपहरणकर्ताओं सहित डॉक्टर के बेटे को बरामद कर लिया. साथ ही चार अपहर्ताओं को भी गिरफ्तार कर लिया है, जिसमें तीन भोजपुर और उसका मास्टरमाइंड अरवल जिले का आदित्य कुमार उर्फ रवि है जो डॉक्टर के मकान में ही किरायेदार था.
लेकिन 24 घंटे के भीतर दो अपहरण हो जाने के बाद से न सिर्फ सरकार की फजीहत हो रही है बल्कि बिहार की भी देश मे एक बार फिर से फजीहत ही हो रही है. 2022 के नवंबर में महागठबंधन सरकार ने अपने 100 दिन पूरे किए. बस यही से शुरू होती है अपराध में वृद्धि की दर. नवंबर से बिहार में अपराध की घटनाओं में इजाफा देखा जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि अपराध बेलगाम हो गया है. वही सूत्र बताते हैं कि बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार भी हैरान हैं कि अपराध की घटनाओं में इतना इजाफा कैसे हो रहा है. हालांकि नीतीश कुमार ने लॉ एंड ऑर्डर को लेकर बेहतर व्यवस्था के लिए कड़क अधिकारी आरएस भट्टी को बिहार का डीजीपी बनाया पर उसके बाद भी हत्या, लूट और फिरौती के लिए अपहरण की घटना बढ़ी है. महज 24 घंटे के भीतर दो लोगों का अपहरण बिहार के लोगों के लिए दहशत का माहौल है. विपक्ष विधानसभा में लगातार हंगामा कर रहा है.
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा की मानें तो 2022 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद केवल अगस्त में हत्या की घटनाओं में इजाफा दर्ज किया गया. श्री सिन्हा ने तो सरकार पर क्राइम के आंकड़े छिपाने का भी आरोप लगाया था.
अपहरण की ऐसे बनी योजना
मुज्जफरपुर के कांटी से अपहृत डॉक्टर पुत्र के अपहरण का साजिशकर्ता कोई और नही बल्कि उसका अपना किरायेदार ही था. जिसे डॉक्टर फैमिली ने अपने घर में रहने की जगह दी थी वही उसका अपहरणकर्ता निकला.
मुजफ्फरपुर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एसपी सिंह के पुत्र विवेक कुमार के अपहरण की कहानी दिलचस्प और किसी फिल्मी कहानी से कम नही है. अपहरण की साजिश रचने वाला मास्टर माइंड आदित्य कुमार उर्फ रवि है जो अरवल जिला का रहने वाला है. रवि डॉक्टर के घर मे किरायेदार था. कोरोना में काम बंद हो जाने की वजह से रवि ने 1.5 लाख का लोन बैंक से ले रखा था जिसे चुकाने में वह असमर्थ था. इस कर्ज से उबरने के लिए उसने अपने पनाह देने वाले डॉक्टर S P सिंह के बेटे को ही अपने टारगेट पर रख लिया. रवि की दोस्ती भोजपुर के सत्यम से थी जो पुलिस के अनुसार एक अपराधी था. रवि और सत्यम के बीच पूर्व से दोस्ती थी.
अपहरण का मास्टरमाइंड रवि अपने भोजपुर जिले के रहने वाले सभी दोस्तों के साथ इस अपहरण का प्लान बनाया. उसके सभी दोस्तों को जब इस अपहरण में सहयोग के लिए 70- 70 हजार रुपए का ऑफर सुना तो लालच के मारे इस अपराध के लिए हाँ कर दिया.
रवि का अपहरण गैंग तैयार हो चुका था और विवेक इसे लीड कर रहा था क्योंकि डॉक्टर के घर मे रहते हुए उसे डॉक्टर पुत्र विवेक के हर बात की जानकारी थी. विवेक उसके लिए आसान शिकार इसलिए था क्योंकि वह थोड़ा सुस्त था. विवेक को अपने दोस्त के यहाँ तिलक में फलदान के बाद एक पार्टी में जाने का बुलावा आया. शुक्रवार को शाम में विवेक जैसे ही अपने घर से निकला पहले से उसकी गतिविधियों को स्कैन कर रहा उसका किरायेदार रवि उसे अपनी गिरफ्त में लेने को तैयार था. उसके घर से निकलते ही रवि अपने साथियों के साथ उसे अपनी गाड़ी में बैठाया. परिचित रवि को देखकर विवेक उसके गाड़ी में बैठ गया. फिर क्या था विवेक के फोन से ही अपहरण कर्ताओं ने डॉक्टर से 30 लाख की फिरौती मांगी और फ़ोन बन्द कर जिले के बाहर निकल गए.
शुक्रवार की रात जब अपहरणकर्ता मुजफ्फरपुर से आरा पहुंचे तो उनके पास छुपने का कोई सुरक्षित जगह नही होने की वजह से विवेक को नारायणपुर थाना क्षेत्र के नारायणपुर के खेत में ही रखा. अगली सुबह उसे लेकर अगिआंव बाजार के मोड़ के पास देवी स्थान के मंदिर के ऊपर रखा.
लेकिन अपहरणकर्ताओं को इस बात की भनक ही नही थी कि तकनीक के इस युग में उनके किये गए एक फोन कॉल ने उनका सुराग पुलिस के लिए छोड़ दिया है. पुलिस ने लोकेशन और टॉवर डंपिंग के आधार पर उनका लगातार मॉनिटरिंग कर रही थी.
फिर क्या था मुजफ्फरपुर की पुलिस अपहरण के इस मामले की पड़ताल करते हुए भोजपुर के गड़हनी थाना क्षेत्र पहुंची जहां से भोजपुर और मुजफ्फरपुर पुलिस ने डॉक्टर के अपहृत पुत्र विवेक कुमार को देवी स्थान के छत से बरामद कर लिया. साथ ही तीन अपहरणकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया.
अपहरणकर्ताओं में सत्यम कुमार,नारायणपुर थाना क्षेत्र के नारायपुर गांव निवासी राधेश्याम और चरपोखरी निवासी चंदन कुमार है. अपहरण का मुख्य मास्टर माइंड रवि सहित अब तक चार आरोपी पुलिस के शिकंजे में हैं.
आरोपी पकड़े तो गए लेकिम सवाल यह है कि क्या कोविड या किसी महामारी की वजह से घाटे में चले जाने के बाद जुर्म का रास्ता चुनना चाहिए? मेहनत ही एक ऐसी कड़ी है जो पुनः जीरो से किसी को बुलंदी पर पहुंचती है.
PNCB