भोजपुर क्षत्रिय समागम : राजपूतो को एक होने का दिलीप सिंह ने किया हुँकार
आरा, 27 जनवरी. शाहाबाद क्षेत्र में जनसंघ के संस्थापक सदस्य टोपी वाले बाबू साहब की पूण्य-तिथि को भोजपुर क्षत्रिय समागम के रूप में रविवार को धूमधाम से मनाया गया. चौकिये मत! टोपी वाले बाबू साहब कोई और नही बाबू राम खेलावन सिंह थे. उन्हें टोपी वाले बाबु साहेब के नाम से पूर्व प्रधानमंत्री, भारत-रत्न, स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और जनसंघ का शीर्ष नेतृत्व पुकारते थे. बाबु साहेब और माननीय अटल बिहारी वाजपेयी बहुत ही घनिष्ट मित्र थे. 1971 के लोकसभा चुनाव में बाबु साहेब ने आरा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और उस चुनाव में माननीय अटलजी ने बाबु साहेब के चुनाव का सम्पूर्ण रूप से प्रचार-प्रसार स्वयं किया था. इस दौरान वे बाबु साहेब के साथ उनकी कोठी में ही रहा करते थे.
भोजपुर क्षत्रिय समागम की अध्यक्षता स्व रामखेलावन सिंह के पौत्र दिलीप सिंह ने किया. सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “आप सभी रण बाँकुरे आज अपने और अपने-अपनों के लिए इकठ्ठा हुए हैं. पिछले कई वर्षों से हम पिछड़ते जा रहे है और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम केवल इस्तेमाल हो रहे हैं. हर दूसरा हमे इस्तेमाल कर खुद तो आगे बढ़ जा रहा है और हम पिछड़ते जा रहे हैं. आज कल तो कुछ गीदड़ और सियार भी हमारा इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए करने लगे हैं. उन्होंने हुंकार भरते हुए सभी को सावधान किया और एकत्रित होने का अह्वान किया. उन्होंने चेताया कि अगर एक नही हुआ क्षत्रिय समाज तो वह दिन दूर नहीं कि क्षत्रिय समाज को अपने आप को ही ढूंढना पड़ेगा.” दिलीप सिंह ने कहा कि “न मृत्यु से भय, ना जीवन से प्रीत, धर्म-हित में जीवन बीते, यही है क्षत्रिय रीत.” उन्होंने राजपूतों के रगों में जोश फूंकते हुए कहा कि हम राजपूत हैं, इतिहास लिखते नहीं, हम इतिहास बनाते हैं.
श्रधांजलि देंते पौत्र दिलीप सिंह
शाहाबाद जनसंघ के पहले संस्थापक थे बाबु साहब
राम खेलावन सिंह शाहाबाद क्षेत्र में जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने जनसंघ को अपने खून पसीने से सींचा था. पूरे शाहाबाद क्षेत्र में उनके शख्सियत की सानी नहीं थी. बाबु साहेब का यह मानना था कि अगर क्षत्रिय मजबूत होगा तो समाज व्यवस्थित होगा और उनकी इन्ही सोच को पंख देने के लिए उनके पौत्र दिलीप सिंह ने बाबु साहेब की पुण्य तिथि को प्रत्येक वर्ष भोजपुर क्षत्रिय समागम के रूप में मानाने का निश्चय किया जिसे भोजपुर के सभी रण बांकुरों ने आन, बान और शान के साथ मनाया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बबन सिंह ने की.
समागम में भोजपुर ज़िले के विभिन्न क्षेत्रों से क्षत्रियों ला जुटान हुआ. आरा के चर्चित डा० कुमार जितेन्द्र भी इस समागम का हिस्सा बने और उन्होंने मंच से यह घोषणा किया कि “वे गरीब मेघावी क्षत्रिय छात्रों की पढाई-लिखाई का खर्च वहन करेंगे.” इस मौके पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया गया जिसमें गायक हरिओम व् रजनी शाक्या के ग्रुप ने अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर ऐसा समा बाँधा कि समागम में पहुँचे सभी लोग झूम उठे.
ऐसी थी बाबू रामखेलावन की शख्सियत
बाबु साहेब के साथ बहुत करीब से जुड़े व्यक्तियों ने भी मंच शेयर किया. उन सभी लोगों ने बाबु साहेब के बारे में बखान किया. उनके करीबी लोगों में खास रहे नागदेव सिंह ने बताया कि बाबु राम खेलावन सिंह शाहाबाद कि सबसे बड़ी हस्ती थे. वे भले ही जनसंघ से जुड़े हुए थे लेकिन उनकी इज़्ज़त इस इलाके के हरेक नेता और हर पार्टी वाले किया करते थे.
उन्होंने पूर्व उप प्रधानमंत्री के एक वाक्या का जिक्र करते हुए बताया कि “एक बार उप-प्रधानमंत्री बाबु जगजीवन राम, टोपी वाले बाबु साहेब से मिलने उनकी गद्दी पर गए तो बाबु साहेब ने बड़े प्यार से उन्हें बुलाया और सम्मान देते हुए कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया लेकिन लाख कहने के बावजूद भी जगजीवन बाबु उनके सामने बैठे नहीं. सत्ता में इतने बड़े पद पर आसीन होते हुए भी जगजीवन बाबू द्वारा बाबू रामखेलावन के प्रति यह सम्मान स्व. रामखेलावन सिंह के विशाल व्यक्तित्व व सामाजिक कद को दर्शाता है.
बिहिया में भी मनाई गई पूण्य तिथि
आरा के साथ बिहिया में भी टोपी वाले बाबु साहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. उनके पौत्र दिलीप सिंह सुबह-सुबह ही बिहिया में बाबु साहेब की तैल-चित्र पर माल्यार्पण कर आरा के कार्यक्रम के लिए वापस चले आये. ज्ञात हो कि बिहिया में ही बाबु साहेब ने अपनी अंतिम सांस ली थी. हर दिन की तरह 26 जनवरी 1985 को भी बाबु साहेब अपने निश्चित समय पर बिहिया पहुंचे थे. अपनी दिनचर्या के अनुसार वो हनुमानजी के अपने खानदानी मंदिर में माथा टेकने गए और जैसे ही माथा टेक कर उठने को हुए तभी वो वही गिर पड़े और उनके प्राण पखेरु उड़ गए.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट