“जब तक हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा ना बन जाए, देवनागरी में लिखी जाने वाली किसी भी बोली को संविधान की आठवीं सूचि में शामिल ना किया जाए. इस मामले में यथास्थिति बनाई रखी जाए.”
कथा यू.के. एवं प्रवासी संसार सम्मेलन ,लंदन में प्रस्ताव पारित
अगला सम्मेलन टोरोंटो (कनाडा) में आयोजित करने की योजना
ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में तीन दिवसीय प्रवासी सम्मेलन
हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा घोषित हो –तेजेंद्र शर्मा
रिपोर्ट – गीता शर्मा
17 नवम्बर 2016 ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में तीन दिवसीय प्रवासी सम्मेलन के पहले दिन कथा यू.के. ने प्रवासी संसार पत्रिका के एक दशक पूरा होने का जश्न मनाया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि थी गोवा की राज्यपाल महामहिम मृदुला सिन्हा. मेज़बान एवं अध्यक्ष विरेन्द्र शर्मा (ब्रिटिश सांसद). मंच पर मौजूद थे. भारत से किशोरी लाल शर्मा, भारतीय उच्चायोग के सुनील कुमार, काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी (अध्यक्ष – एशियन कम्यूनिटी आर्ट्स), सन्मुख सिंह बख़्शी (अध्यक्ष – काव्यधारा), जय वर्मा (अध्यक्ष – काव्यरंग), राकेश पाण्डेय (संपादक – प्रवासी संसार) ने शिरकत किया.
कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन में सक्रिय संस्थाओं, अध्यापकों, लेखकों आदि को सम्मानित किया गया. इनमें शामिल थे. प्रो. डॉ. कृष्ण कुमार (गीतांजलि), दिव्या माथुर (वातायन), रवि शर्मा (मीडिया), कैलाश बुधवार (मीडिया), श्याम मनोहर पाण्डेय, देविना ऋषि, सुरेखा चोपला, डॉ. अरुणा अजितसरिया एम.बी.ई., गीता शर्मा (सभी शिक्षण), सोहन राही, निखिल कौशिक, अरुणा सब्बरवाल, स्वर्ण तलवाड़, तोषी अमृता, इंदिरा आनन्द, शिखा वार्ष्णेय, एवं अनुपमा कुमारज्योति प्रमुख थे.
गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कथा यू.के. एवं प्रवासी संसार पत्रिका को आयोजन के लिये बधाई देते हुए पत्रिका के 10 वर्ष के इतिहासिक योगदान की प्रशंसा की. उन्होंने आयोजन स्थल यानि कि ब्रिटेन की संसद के सभागार के महत्व को रेखांकित किया व सांसद विरेन्द्र शर्मा को धन्यवाद दिया.
कार्यक्रम की शुरूआत में काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने गोवा की राज्यपाल, भारत से पधारे अतिथियों एवं उपस्थित मेहमानों का स्वागत करते हुए प्रवासी संसार की दशकीय यात्रा का ज़िक्र किया. पत्रिका के संपादक राकेश पाण्डेय ने नॉस्टेलजिक होते हुए भावपूर्ण ढंग से पत्रिका से जुड़े लोगों को याद किया. किशोरी लाल शर्मा ने घोषणा करते हुए कहा कि अगला सम्मेलन टोरोंटो (कनाडा) में आयोजित करने की योजना है.
भारतीय उच्चायोग के चांसरी प्रमुख सुनील कुमार ने कार्यक्रम की भव्यता की तारीफ़ करते हुए इस बात पर संतोष जताया कि कार्यक्रम से ब्रिटेन के हिन्दी जगत के सभी प्रमुख नाम जुड़े हैं. उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी तरुण कुमार भी कार्यक्रम में मौजूद थे. लंदन के अतिरिक्त वेल्स, बरमिंघम, नॉटिंघम जैसे शहरों से भी अतिथियों ने कार्यक्रम में शिरकत की.
कथाकार तेजेन्द्र शर्मा (महासचिव – कथा यू.के.) ने प्रवासी संसार के दशक पूरा होने पर एक पॉवर पाइण्ट प्रेज़ेन्टेशन करते हुए राकेश पाण्डेय की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की. उन्होंने तमाम सम्मानित हिन्दी सेवियों का परिचय भी पॉवर पॉइण्ट प्रेज़ेन्टेशन के ज़रिये दिया. अंत में उन्होंने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया – “जबतक हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा ना घोषित कर दिया जाए, तब तक देवनागरी में लिखी जाने वाली किसी भी हिन्दी की बोली को शामिल ना किया जाए. यथास्थिति बनाए रखी जाए.” यह तय पाया गया कि अगले दिन यानि कि 18 नवंबर को नेहरू सेन्टर में सम्मेलन के दौरान इस प्रस्ताव पर बातचीत कर निर्णय लिया जाए.