वाह रे समय !……. गजब घुमाई धुरी!
22 साल बाद राजनीति का घुमा पहिया
कभी कांग्रेस के देवगौड़ा के हाथों में थी कमान 22 वर्ष बाद अब बीजेपी के वजुभाई वाला के हाथ में
पटना (ओ पी पांडेय) | कहा गया है कि “सब दिन होत न एक समान,समय होत बलवान.” इस बात को हम कई कहानियों व किवदंती में पढ़ते सुनते आए हैं. चाहे भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास गुजारने के दिन हो या फिर पांडवों के 15 वर्ष का वनवास व अज्ञातवास. सबने समय का इंतजार किया और समय ने फिर उसे एक समयावधि के बाद उनके विपक्षियों के समक्ष मजबूत बना खड़ा किया. वर्तमान में भी ऐसी बहुत घटनाएं हैं जिसे साक्षात देखने को मिलता है. अगर राजनीति की बात करें तो 1996 का वो दौर जब वजुभाई वाला गुजरात प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे और एच डी देवगौड़ा कांग्रेस के सहयोग से देश के प्रधानमंत्री. उस समय गुजरात में भाजपा शासित सुरेश मेहता सरकार को विश्वास मत हासिल करना था जो नही हो सका.
विधानसभा के फ्लोर पर,सुरेश मेहता सरकार विश्वास मत हासिल करने के बावजूद सरकार नही बना पाई थी. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल कृष्णपाल सिंह ने गुजरात में कॉन्स्टिट्यूशनल क्राइसिस घोषित कर दिया था और उस समय की वर्तमान एच डी देवगौड़ा की सरकार ने उस पर मुहर लगाकर गुजरात में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करवा दी थी. समय बीतता गया और इस कलयुग में त्रेता और द्वापर की तरह 14 वर्ष से भी ज्यादा वक्त लग गया पुनः वैसी स्थिति आने में. जी हां 22 वर्ष के बाद समय ने दोनों किरदारों को पुनः सामने खड़ा कर इतिहास दोहरा दिया है. आज 22 साल बाद दोनों किरदार वही हैं.अंतर सिर्फ इतना है कि ‘वजुभाई वाला’ तो वही हैं बस एच डी देवेगौड़ा की जगह उनकी पार्टी है JDS. 22 साल पहले समय ने बाजी देवगौड़ा के हाथों में दिया था लेकिन आज बाज़ी कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में वजुभाई वाला के हाथ में देकर इतिहास ने अपना चक्र घुमा बता दिया कि समय से बलवान कोई नही होता है. 37 विधायको के साथ मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले कुमार स्वामी के सपने को क्या इतिहास का चक्र सबक सिखा रहा है या कोई मौका का संकेत यह देखना दिलचस्प होगा.