आरा. 26 दिसंबर. आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है. ग्रहण के दौरान दिखने वाला सूर्य वलयाकर होगा जो कंकण के रूप में नजर आएगा, इसलिए इसे कंकण सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है. यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 3 मिनट से प्रारम्भ होगा और 9 बजकर 30 मिनट पर अपने चरण पर होगा. ग्रहण काल 2.53 घंटे का होगा जिसका मोक्ष 10 बजकर 56 मिनट पर हो जाएगा. ग्रहण का सूतक 25 दिसंबर के शाम से ही प्रारंभ है जो ग्रहण के मोक्ष के साथ समाप्त हो जाएगा.
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी राजेश पांडेय के मुताबिक, यह सूर्यग्रहण संपूर्ण भारत में दिखेगा. ग्रहण का आरंभ सबसे पहले द्वारका में होगा, लेकिन कंकण रूप में सूर्य को केवल दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में देखा जा सकता है. शेष भारत में यह खंडग्रास के रूप में देखा जा सकेगा.
ग्रहण आरंभ काल: सुबह 8:03 बजे
ग्रहण मध्य काल: सुबह 9.22 बजे
ग्रहण का मोक्ष काल : सुबह 10:56 बजे
ग्रहण काल : 2 घंटे 53 मिनट
26 दिसम्बर 2019 कंकण एवम् खण्डग्रास सूर्य ग्रहण सम्बन्धित आवश्यक सूचना
संम्पूर्ण पृथ्वी पर कंकण एवम् खण्डग्रास सूर्यग्रहण की कूल अवधि =5 घण्टे 36 मिनट
केवल कंकण की अवधि 3 मिनेट 34 सैकेण्ड
कंकण सूर्य ग्रहण केवल दक्षिण भारत मे दृश्य होगा ! खण्डग्रास सूर्य ग्रहण प्रारम्भ और समाप्ति का निम्न: स्थानों का इस प्रकार हैं :-
कपूरथला(पंजाब) : प्रा. 8:18 am से 10:52am तक,
हरियाणा : 8:18 am से 10:56 am तक ,
कुरुक्षेत्र में : 8:18am से 10:55am तक,
चण्डीगढ मे : 8:21am से 10:55am तक ,
फरीदाबाद ( हरियाणा) : 8:16am से 10:58am तक,
रोहतक में : 8:16am से 10:56am तक,
दिल्ली में : 8:17am से 10:57am तक,
वाराणसी ( उ प्र ) : 8:20am से 11:14am तक,
रायपुर छ्त्तीसगढ : 8:14 am से 11:16am तक
ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें खास ख्याल:
पुजारी राजेश पांडेय के अनुसार सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लगता है. इस दौरान किसी भी धार्मिक कार्य को नही किया जाता है. ऐसे कार्यो को सूतक काल से पहले ही कर लेना चाहिए.
ग्रहण के समय क्या करें?
ग्रहण शुरू होने से पहले खाने की बनी हुई चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें. दूध में भी तुलसी डालना न भूलें. इससे भोजन ग्रहण की वजह से दूषित नहीं होते हैं.
पानी में साफ किए हुए तुलसी के पत्ते के साथ कुछ बूंदें गंगाजल की मिला दें.
गर्भवती महिलाओं को चाकू और कैंची का प्रयोग नही करने देना चाहिए.
मंदिर या घर के मंदिर में पूजा न करें. भगवान की मूर्ति को स्पर्श न करें. किसी स्वच्छ स्थान पर बैठकर मन ही मन भगवान का स्मरण करें.
ग्रहण खत्म होने के बाद पूरे घर में झाड़ू लगाकर गंगाजल का छिड़काव करें. भगवान के मंदिर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें और और धूप-दीप कर उन्हें भोग अवश्य लगाएं और यथाशक्ति दान-दक्षिणा करें.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट