दलित के आईपीएस बनने और जाति पॉलिटिक्स की कहानी है गाँठ
पटना, 15 अगस्त(ओ पी पांडेय). कला जागरण के कलाकारों ने रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी गाँठ नाटक का मंचन कालिदास रंगालय, पटना में किया. संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित समारोह में विवेक कुमार नाट्य रूपांतरित नाटक गाँठ को परिकल्पित और निर्देशित सुमन कुमार ने किया.
नाटक की शुरुआत दलितटोली में बच्चे के जन्म से शुरू होती है. बच्चे का जन्म होते ही नवजात की नाक छेदने की बात सुनकर पिता फगुनी राम बदहवास हो जाता है. लेकिन अंधविश्वास और सामाजिक जकड़न के कारण फगुनी इस हृदयविदारक घटना को रोक नहीं पाता. छोटी जाति में जन्म लेकर स्कूल जाने पर नकछेदी को बबुआन टोला का रामप्रताप सिंह उसके नाक में नथुनी डालकर प्रताड़ित करता है. नकछेदी को जाति और रंग साफ होने के कारण उसे जलील करता है. इधर नकछेदी अपने पिता फगुनी और मास्टर साहब की बात मानकर पढ़ाई-लिखाई में मन लगा रहा था. समय ने करवट बदला और नकछेदी मैट्रिक में जिला टॉप हो गया. यह खबर सुनते ही दलितटोली में उत्सव का माहौल हो जाता है तो बबुआन टोला में तो इस खबर ने ठनका ही गिरा दिया. वह यूपीएससी की परीक्षा में लगन और मेहनत से पढ़ाई कर पास हो जाता है और आईपीएस बन जाता है. इधर गांव में एक दिन खबर आती है कि एसपी नकछेदी आ रहा है. खबर आग के तरह पूरे इलाके में फैल जाती है. लेकिन इस बार बबुआन टोला में चन्द्रमा सिंह के यहाँ भी जश्न की तैयारी होती है. नाच का इंतजाम किया जाता है क्योंकि बबुआन टोला का रामप्रताप सिंह शहर में नकछेदी नहीं एसपी एनसी राम का मित्र बन गया है. विदेश से वकीली की पढ़ाई करने के बाद वह भी उसी शहर के कोर्ट में प्रैक्टिस करता है. नकछेदी गांव आता है लेकिन वह बबुआन टोला के ड्योढ़ी पर ही ठहर जाता है. इधर फगुनी राम बेटे का इंतजार अपने मड़ईया में ही करता है. काफी मान मनौवल के बाद एसपी एन सी राम अपने घर अपनी पत्नी फगुनी के साथ तो जाता है लेकिन ड्योढ़ी का मान सम्मान दलितटोली पर भारी पड़ जाता है. नकछेदी फिर बाबूसाहब के पास ही चला जाता है.
मेघा किताबों में पढ़ी बातों को गांव में आकर जमीनी हक़ीक़त से वाकिफ होती है, लेकिन वह भी कश्मकश में कुछ कहने की स्थिति में नहीं होती है. घटरा और टेटनराम के जिद की वजह से मेघा नकछेदी को खाने के लिए घटरा के घर ले जाती है. लेकिन नई थाली देखकर नकछेदी चौंक जाता है और पुछने पर जो जवाब घटरा देता है उससे वह सन्न रह जाता है. एसपी एनसी राम को अपने जाति की सच्चाई और बबुआन टोला की असली पालिटिक्स का पता चल जाता है.
समाज में व्याप्त जाति प्रथा के कुरीतियों को दर्शाता गाँठ में मंच पर मिथिलेश कुमार सिन्हा, शशांक कुमार, कौशिक कुमार, संजय राय, रणविजय सिंह,चंद्रावती कुमारी,कुणाल कुमार,विभूति भूषण, अभिषेक कुमार, ऋतु कुमारी, परितोष कुमार, मनीष कुमार, नागेंद्र कुमार, अभय कुमार, सुनीत पाण्डेय, अरविन्द कुमार,रजनीकान्त,राजा बाबू, निरंजन कुमार,सहजानंद और हरि कृष्ण सिंह मुन्ना सहित सभी कलाकारों के सशक्त अभिनय दर्शकों को काफी प्रभावित किया.
मंच परे- पार्श्व स्वर- स्वाति जायसवाल, मंच व्यवस्था- सुनील कुमार, मंच सज्जा- आदर्श वैभव, रूप सज्जा-अंजू कुमारी,मनोज मयंक, संगीत निर्देशन-राहुल राज,ध्वनि नियंत्रण- उपेन्द्र कुमार, राजेश कुमार, प्रकाश परिकल्पना- राजीव रॉय, प्रकाश संचालन- राज कुमार शर्मा,वस्त्र विन्यास-रीना कुमारी, प्रस्तुति सहयोग- रणविजय सिंह, शैलेन्द्र कुमार,रोज सिंह, प्रस्तुति प्रभारी- रोहित कुमार और मार्गदर्शन-गणेश प्रसाद सिन्हा,अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा,डा.किशोर सिन्हा,नीलेश्वर मिश्रा, कन्हैया प्रासाद ने किया.