आरा. सावन का महीना हो हरी चूड़ियां उर हरे रंग की साड़ियों के साथ भोजपुरी लोकगीत कजरी की बात न हो तो सावन अधूरा लगता है. पहले सावन आते ही झूले और कजरी की गूंज हर तरफ दिखती थी लेकिन आधुनिकता के इस दौर में लोग इसे भूलते जा रहे हैं. लेकिन कुछ सामाजिक संस्था ऐसे हैं जो ऐसे लोकरंग को जीवित रखने में अपना पूर्ण योगदान दे रहे हैं. इस साल सावन महीने में लुप्त होती कजरी को नेशनल साइन्टीफिक रिसर्च एंड सोसल एनालिसिस ट्रस्ट आरा ने अपने कार्यालय कजरी महोत्सव का आयोजन कर किया. कजरी महोत्सव 72वें स्वंतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित की गई.
झंडोतोलन के बाद शाम में कजरी का शानदार आयोजन हुआ. राजा बसंत और अविनाश कुमार पांडे(कुली बाबा) अपने साथियों सहित गायन से कजरी का जलवा बिखेरा. इस मौके पर छाया श्रीवास्तव और शगुन श्री ने भी अपनी प्रस्तुति दी. इस मौके पर वरिष्ठ रंगकर्मी मो.सरूर अली अँसारी संस्था के निदेशक श्याम कुमार ‘राजन’ , संजय पाल, शालिनी श्रीवास्तव, विभूति कुमारी,प्रीति चौधरी,मनोज सिंह,अभिषेक गुप्ता थे.
आरा से रवि प्रकाश सूरज की रिपोर्ट