झूमने लगा जब यज्ञ मंडप

By om prakash pandey Mar 14, 2018

 

 




यज्ञ के दौरान शास्त्रीय कार्यक्रम का हुआ आयोजन
शास्त्रीय गायन व कथक नृत्य से झूम उठी महफिल


द्रौपदी चीरहरण दिखा सोनम ने किया चकित, तो आठवी की वन्दिता ने अपनी प्रस्तुति से मोहा दिल

बक्सर,14 मार्च. ब्रह्मपुर प्रखंड के भदवर गाँव में हनुमत प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ में “शास्त्रीय संगीत समारोह” का आयोजन हुआ.कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व भगवान श्रीराम की आरती की गई. इस दौरान श्रीराम बने कलाकार की आरती की गयी.

कार्यक्रम में नृत्य व संगीत का अनूठा समागम रहा. गायन, वादन व कथक नृत्य की त्रिवेणी में देर रात तक श्रोताओं ने गोते लगाये. सर्वप्रथम जगदीशपुर के वरिष्ठ तबला वादक राणा जी ने तीन ताल में स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत करते हुये पेशकार,रेला, कायदा सुनाकर श्रोताओं कॊ मंत्रमुग्ध कर दिया. वही कथक गुरु बक्शी विकास ने राग गावती में छोटा ख़याल “मुरलिया बाजी मधुवन में श्याम सुंदर की” व चैती “एही ठैया टिकुली हेराई गईल रामा कहवा मैं ढूंढूं” सुनाकर समा बाँधा.

इसके बाद गुरु बक्शी विकास के शिष्यों ने कथक व तालमाला की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया. एकल प्रस्तुति में अमित कुमार ने राम स्तुति व तीन ताल, अनीश कुमार ने झपताल, युगल में सोनम कुमारी व शैलेन्द्र कुमार धमार ताल तथा रविशंकर व वंदिता ने द्रुत तीन ताल में उपज , आमद , परन , टूकड़ा , गत , लरी इत्यादि की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का आयोजन पंडित राधेश्याम तिवारी ने किया था. उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत जीवन मे सत्य की खोज करने का सशक्त माध्यम है. यह वर्षों से आध्यात्मिक यात्रा की आधार रही है. शास्त्रीय संगीत से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज किये जाने का वर्णन वेदों में मिलता है.

कार्यक्रम के उद्घाटन के उपरांत आगत अतिथियों का स्वागत यज्ञाचार्य महंथ श्री रघुनाथ दास जी उर्फ अलगू बाबा ने किया. वहीं कार्यक्रम के आयोजक राधेश्याम तिवारी ने अंगवस्त्र देकर कलाकारों को सम्मानित किया. मंच संचालन जेपी तिवारी ने किया. हारमोनियम पर संगत रौशन कुमार ने किया कार्यक्रम में जितेंद्र तिवारी, अविनाश तिवारी, जयप्रकाश शर्मा, अमित, नंदिता आदि का योगदान सराहनीय रहा.

कत्थक नृत्य के जरिये दिखाया द्रौपदी चीर-हरण

कत्थक नृत्यांगना सोनम ने महाभारत में पांडवो द्वारा खेले गए चौसर खेल में द्रौपदी को हारने के दृश्य को दिखाया. पासे फेंकने के बाद पलटी बाजी में द्रौपदी के चीर- हरण और भगवान कृष्ण द्वारा किये गए रक्षा को भी सोनम ने अपने एकल नृत्य नाटिका में अपने भाव-भंगिमाओं से दर्शकों की टकटकी को अपने पर केंद्रित करा लिया.

आठवी की छात्रा वन्दिता ने मोहा दिल

कहा जाता है कि कला उम्र की मोहताज नही होती.इसका उदाहरण शास्त्रीय कार्यक्रम के दौरान उस समय देखने को मिला जब आठवी की स्टूडेंट वन्दिता ने अपनी कत्थक की प्रस्तुति से दर्शको को मन्त्रमुग्ध कर दिया. रोहतास के आवाढ़ी गांव की वन्दिता आरा में रहती है और कत्थक गुरु बक्शी विकास से कत्थक की तामील ले रही है. वन्दिता ने अपनी छोटी सी इसी उम्र में पूर्व सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता की ओर से भारत सांस्कृतिक यात्रा के तहत उत्तराखंड, यूपी, बिहार, आसाम,वर्धा, उड़ीसा,कोलकाता आदि जगहों पर अपनी लोकगीत और लोकनृत्यो कि प्रस्तुति दी है. वन्दिता नृत्य के अतिरिक्त एक अच्छी गायक, और अभिनेत्री भी है. उसने कई नाटकों की प्रस्तुति भी भारत के विभिन्न हिस्सों में की है. कत्थक में यह उसकी पहली प्रस्तुति थी.

भदवर से ऋतुराज व ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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