कैसे हुआ “भारत-बंद” के दौरान ‘भोजपुर’ हिंसक ?

By om prakash pandey Apr 11, 2018

युवाओं के आक्रोश में उबला भोजपुर: पथराव,फायरिंग व लाठीचार्ज

बन्द समर्थकों से भिड़े आरक्षण विरोधी गुट, फैली हिंसा SDO, और SDPO की गाड़ियों पर पथराव
कई पुलिसकर्मियों सहित 3 दर्जन से अधिक हुए चोटिल
महिला सहित 56 की हुई गिरफ्तारी, 1 लाख की निजी मुचलके पर देर शाम छोड़े गए




आरा, 11 अप्रैल. सुप्रीम कोर्ट द्वारा  SC/ST कानून  संशोधन को लेकर  2 अप्रैल  को किये गए भारत बंद के जवाब में सवर्णों और OBC द्वारा संयुक्त रुप से मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया गया. मंगलवार को  भारत बंद करा रहे  लोगों ने  किसी भी  बैनर या  पार्टी का  कहीं कोई नाम नहीं लिया लेकिन सभी  सुप्रीम कोर्ट  के लिए गए फैसले के समर्थक ही दिखे. बंद समर्थकों का कहना था कि  देश के सर्वोच्च न्यायालय पर उंगली उठाने वाले उस देश के नागरिक नहीं हो सकते. जिनको अपने देश के न्यायालय पर भरोसा ना हो  और जो  उसके आदेशों के खिलाफ  बगावत करें  उसे  दंड के अलावा  कोई अधिकार नहीं होना चाहिए.  बंद समर्थकों ने  इस दौरान  सुप्रीम कोर्ट के  फैसले का स्वागत करते हुए  आरक्षण पर भी एकमत होकर कहा कि आरक्षण  जातिगत नहीं बल्कि  आर्थिक  आधार पर  होना चाहिए. आने वाले दिनों में  बन्द समर्थकों ने  माननीय  सर्वोच्च न्यायालय  से  इस दिशा में  सकरात्मक  पहल की  उम्मीद भी जताई.

मीडिया से बात करते युवा बुजुर्ग और बन्द समर्थक

स्वामी विवेकानंद योग संस्थान के सदस्यों ने भी अहले सुबह भारत बंद का समर्थन में न्यायालय पर टिप्पणी करना बन्द करो, न्यायालय का सम्मान करना सीख लो समेत कई नारो के साथ रमना मैदान के चारो ओर घूम अपना समर्थन जताया.

भारत बंद के दौरान सबसे ज्यादा छात्र  और युवा  बंद के दौरान सड़कों पर नजर आए. पूरे शाहबाद में  जगह-जगह सड़कों पर ट्रक,ट्रैक्टर,बांस-बल्ले और ठेला लगाकर मार्गों को अवरुद्ध किया गया. साथ ही सड़कों पर  काफी मात्रा में  टायर भी जलाए गए. भोजपुर में आक्रोशित युवाओं ने सड़क और रेल यातायात को बाधित कर परिचालन ठप कर दिया. बंद समर्थको ने अहले सुबह NH-84, आरा-बक्सर मुख्य मार्ग को सुबह से ही टायर जला जाम कर दिया.

हालांकि आज के भारत बंद में कोई भी बड़ी पार्टी या बड़ा चेहरा कही नही दिखा लेकिन जिस तरह से आम जन और युवाओं का बंद के लिए समर्थन देखा गया उसने बन्द को पूर्ण रूप से सफल बनाया. बन्द के दौरान पत्रकारों को कवरेज के लिए जाने के दौरान पसीने छूट गए क्योंकि हर चौराहे और मोड़ को बंद समर्थकों ने बाधित कर रखा था.  पत्रकारों को कवरेज के दौरान कहीं कहीं फजीहत का सामना करना पड़ा आनंद नगर में तो पटना नाउ के पत्रकार का मोबाइल तक छीन लिया गया. हालांकि मोबाइल पुनः वापस मिल गया लेकिन ऐसा इसलिए किया गया कि कोई वीडियो फुटेज न बना सके.

आनन्दनगर में पुलिस द्वारा आग बुझाने के बाद 144 कि सूचना देती पुलिस
धनुपरा के पास खड़े छात्र बन्द के समर्थन में

आरक्षण मुक्त भारत बनाने और जाति विशेष के तौर पर आरक्षण दिए जाने के विरोध में जमकर सड़को पर नारेबाजी करने वाले युवाओं में आक्रोश आरक्षण की वजह से दिखा. सड़को पर हर जगह  बंद के समर्थन में ये वो युवा थे जो कम्प्टीशन की तैयारियों के बावजूद भी नौकरियों में जगह सामान्य वर्ग होने की वजह से नही पा रहे हैं. पटना नाउ ने कई जगह युवाओ से जब सड़को पर उतरने का कारण पूछा तो जवाब में यह तथ्य सामने आया.

आरक्षण विरोधियों का “विरोधियों” ने बिगाड़ा खेल

बंद के दौरान शहीद भवन चौक समेत हर चौक का यही नजारा था
उपद्रवियों को खदेड़ने के बाद हवा में पिस्टल लहराती पुलिस.
पकड़ी चौक का कुछ ये था नजारा

आनंद नगर में उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए पिस्तौल लहराती पुलिस और पत्थर फेंकते उपद्रवी

बंद के दौरान भोजपुर जिले के नगर थाना क्षेत्र के आनंदनगर में बाईपास रोड जाम कर रहे बन्द समर्थकों से आरक्षण विरोधी गुट सड़क जाम खाली कराने को ले भीड़ गए और पथराव एयर फायरिंग कर दहशत फैलाया, जिसके बाद दोनों गुटों की ओर से जमकर पथराव हुआ.  जिसमें दर्जनों लोग घायल हुए. घटना की सूचना के बाद पुलिस ने वहां पहुच स्थिति को नियंत्रित किया. ठीक इसी तरह की घटना चँदवा मोड़ और गिरिजा मोड़ पकड़ी के पास भी बन्द समर्थकों और दूसरे गुट के बीच भी घटी जिसके बाद हिंसा फैली और पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी. वही आनन्द नगर में पुलिस को उस समय लाठीचार्ज करनी पड़ी जब दो गुटों के आपसी टकराव को शांत करने के कुछ घण्टे बाद पुनः उपद्रवियों ने बन्द समर्थकों की भीड़ का चेहरा बन आगजनी करने लगे और आसपास के छोटे दुकानों से बांस, बल्ला और गुमटियों को क्षति पहुचाने लगे. पुलिस द्वारा ऐसे उपद्रवियों को रोकने पर भीड़ ने जब पुलिस पर हल्ला बोला तो पुलिस को मजबूरन स्थिति संभालने के लिए लाठीचार्ज कर हवा में पिस्तौल लहराना पड़ा.

पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंच कर प्रदर्शनकारियों और उपद्रवियों पर काबू पाने में सफल रही. उसके बाद भोजपुर जिलाधिकारी संजीव कुमार, SP अवकाश कुमार, SDO अरुण प्रकाश, और SDPO सहित थानाध्यक्ष ने भी घटना का जायजा लिया. जिसमें हाउसिंग कॉलोनी चँदवा मोड़ से एक महिला सहित 56 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया जिन्हें देर शाम तक 1 लाख का बॉन्ड भराकर छोड़ा गया.

पुलिस ने लगायी निषेधाज्ञा, पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को जानकारी दी

पुलिस ने दो गुटों के आपसी टकराव और लाठीचार्ज के बाद धारा 144 लागू कर दिया. प्रशासन ने पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को जानकारी दी तथा बन्द समर्थकों और अन्य को शांति बनाए रखने की अपील की. इसके बाद भी जब समूह में लोगो ने उत्पात मचाया तो उनकी गिरफ्तारियां पुलिस द्वारा की गयी. इस आपसी हिंसा और पथराव में SDO और SDPO  की गाड़ी भी उपद्रवियों ने गिरिजा मोड़ पकड़ी के पास क्षतिग्रस्त कर दिया. उपद्रवियों के साथ कई निर्दोष भी इस दौरान गिरफ्तार किए गए, जिसमे चँदवा स्थित सुभद्रा पेट्रोल पंप के मालिक कमलेश तिवारी और उनके पेट्रोल पंप के स्टाफ भी थे. पेट्रोल पंप मालिक अपने पेट्रोल पंप की देखरेख के लिए अपने स्टाफ ले साथ बैठे हुए थे, जिन्हें निषेधाज्ञा उलंघन में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस संदर्भ में SDO ने ऐसे किसी घटना की जानकारी नही होने की बात कही, साथ ही इसे पता करने की भी बात कही. वही SP अवकाश कुमार ने कहा कि फिलहाल बॉन्ड भरवाकर सबको छोड़ा जा रहा है, उसके बाद गिरफ्तार लोगों के बारे में सच्चाई पुलिस पता करेगी. चँदवा मोड़ के पास ही बीमार विजयालक्ष्मी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया लिया. उसे छुड़ाने के लिए उनकी दो बेटियां रोती बिलखती रह गईं लेकिन पुलिस ने थोड़ी भी मर्सी नही दिखायी और उसे भी शाम को ही छोड़ा गया.

आरा से ओ पी पांडेय और सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

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