BPSC के एक्सपेरिमेंट से PT में छात्र हुए परेशान
एक तो बेरोजगारी, उसपर से सरकार के रुख़ से व्यथित हैं युवा
सरकारी नौकरी के मौके लगातार कम हो रहे
सरकार की बेरुखी से डिप्रेशन में हैं छात्र
अब तो जागिए सरकार
शराबबंदी और दहेजबंदी से ज्यादा जरुरी है रोजगार
कैसा लगता है जब आप परीक्षा की तैयारी करें और वैकेंसी ही ना आए. कैसा लगता है जब हर बार नेता रोजगार के अवसर देने का वायदा करके चुनाव जीतें और कुर्सी मिलते ही रोजगार शब्द से ही नाता तोड़ लें. इसका दर्द तो उन्हें ही पता होगा जिनके पास उम्र सीमा का बंधन हो और वक्त पर वैकेंसी ना आने के कारण वे बेरोजगार रह जाएं.
शायद इसका अहसास भी आज किसी राजनीतिक पार्टी को नहीं है. क्योंकि आज रोजगार से बड़े मुद्दे जीएसटी, नोटबंदी, शराबबंदी और दहेजबंदी हैं. बिहार की बात करें तो BSSC जैसा आयोग एक-एक परीक्षा लेने में वर्षों लगा देता है.. और रिजल्ट तो भूल ही जाइए. वहीं BPSC एक साथ तीन-तीन बैकलॉग की परीक्षा (56-59वीं परीक्षा और 60-62वीं परीक्षा) लेता है. जिनका रिजल्ट आने में भी वर्षों लग जाते हैं.
जरा सोचिए… जब तीन साल की परीक्षा एक साथ ली जा रही हो तो जाहिर है इस दौरान कई उम्मीदवारों की उम्रसीमा खत्म हो चुकी होती है या फिर उनके लिए आखिरी अटेम्ट होता है. फिर भी अगर बीपीएससी जैसा आयोग पीटी परीक्षा में बिना बताए एक्सपेरिमेंट(परीक्षा में 4 की बजाय 5 ऑप्सन दे) करे और रिजल्ट देने में भी कंजूसी करे तो अभ्यर्थी क्या करेंगे. यही नहीं रिजल्ट में महिला रिजर्वेशन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
बीपीएससी ने 60-62वीं परीक्षा में इस बार क्या किया. 60-62वीं पीटी परीक्षा में 2.43 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए. हर बार पीटी में कुल शामिल अभ्यर्थियों का 10 फीसदी रिजल्ट दिया जाता था, लेकिन इस बार कुल वैकेंसी का 10 गुना यानि करीब 8000 रिजल्ट ही आयोग ने दिया. यही नहीं बिना किसी पूर्व घोषणा के आयोग ने पीटी परीक्षा के प्रश्नों के चार उत्तर की बजाय 5 उत्तर दे दिए जिससे परीक्षार्थी कन्फ्यूज हुए. अब छात्र एक बार फिर से आयोग से कुल अभ्यर्थियों का 10 फीसदी रिजल्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं. इसे लेकर शनिवार को छात्रों ने पटना के कारगिल चौक पर जोरदार प्रदर्शन किया. छात्रों का ‘न्याय के लिए पैदल मार्च’ NIT मोड़ से शुरू हुआ जो कारगिल चौक पर आकर समाप्त हुआ.
बीपीएससी संघर्ष मोर्चा के नरेन्द्र ने कहा कि बिहार में हर वैकेंसी और परीक्षा में कदाचार चरम पर है. ना तो परीक्षा समय पर होती है और ना ही रिजल्ट समय पर. इसके साथ ही हर परीक्षा में गलत प्रश्नों या उत्तरों की भरमार होती है जिसका असर रिजल्ट पर पड़ता है. नरेन्द्र ने कहा कि वे लोग जल्द ही एक और बड़ा प्रदर्शन करेंगे और बीपीएससी की मनमानी और गलतियों के खिलाफ कोर्ट की शरण लेंगे. नरेन्द्र ने बताया कि नियम के विरूद्ध महिलाओं को 35 की बजाय 38 फीसदी रिजर्वेशन दिया गया. यही नहीं 2014 की वैकेंसी में भी 2016 के रिजर्वेशन को लागू किया गया जो सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि बीपीएससी ने बिहार के बाहर की महिलाओं को भी महिला आरक्षण का लाभ दिया जो सीधे-सीधे बिहार के छात्रों के साथ अन्याय है.
इस बारे में सिविल सेवा की तैयारी के लिए मशहूर अदम्य अदिति गुरुकुल के संस्थापक और परीक्षा विशेषज्ञ डॉ एम रहमान से बात की patnanow ने. डॉ रहमान ने बताया कि छात्र वैकेंसी नहीं आने की वजह से डिप्रेशन में हैं. ना तो पब्लिक सर्विस कमीशन और ना ही CPO, SSC या फिर रेलवे की वैकेंसी पहले की तरह आ रही है, जिसके कारण प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगे छात्र परेशान हैं. और सरकार का इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. डॉ रहमान ने कहा कि इस परेशानी को और बढ़ाने का काम कर रहे हैं BPSC और BSSC. जो ना तो समय पर परीक्षा लेते हैं और ना ही समय पर रिजल्ट देते हैं. इसके साथ ही पीटी परीक्षा में भी तमाम तरह के प्रयोग करके छात्रों को तनाव देते रहते हैं. डॉ रहमान ने कहा कि छात्रों की मांग बिल्कुल जायज है. BPSC को पीटी परीक्षा का रिजल्ट फिर से जारी करना चाहिए और कुल शामिल अभ्यर्थियों का 10 फीसदी रिजल्ट देना चाहिए. क्योंकि ये परीक्षा को सिर्फ स्क्रीनिंग के लिए होती है. इसके साथ ही सरकार को रेगुलर वैकेंसी देनी चाहिए और एक निर्धारित समय के भीतर उसकी प्रक्रिया पूरी करके बहाली हो जानी चाहिए, तभी छात्रों का मनोबल बढ़ेगा.
पटना से अमित वर्मा