सफलता सदा उन्हीं लोगों के कदम चूमती है जो अपनी असफलताओं और मार्ग में आने वाली निराशाओं को अपने नियन्त्रण में करके, उनसे शिक्षा लेकर निरन्तर आगे बढ़ते रहते हैं . पीछे मुड़कर देखना उनके स्वभाव में नहीं होता . दिन-रात एक करके अपने लक्ष्य की ओर देखने वाले, ये निस्सन्देह सफल होते हैं . इसका जीता-जागता उदाहरण हैं कोईलवर के सुरौधा कॉलोनी निवासी स्व गणेश चौधरी के पुत्र ब्रजकिशोर चौधरी . जिन्होंने अपने प्रथम प्रयास में ही अपनी मुकाम को हासिल किया . सुरौधा कॉलोनी के दलित बस्ती में रहने वाले ब्रजकिशोर चौधरी सिविल जज के लिये चुन लिए गए हैं .
ब्रजकिशोर छोटे से टोले में रहते हुए भी शुरू से ही बड़े सपने देखने लगे थे . उनके पिता जी एक शिक्षक थे . दो भाई व तीन बहन में ब्रजकिशोर दूसरे नंबर पर थे . छोटी उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ चूका था . माँ राजमती देवी के कंधो पर भारी बोझ आ चूका था . इसके बावजूद भी ब्रजकिशोर अपने पढाई में कोई बाधा नही आने दिए . हालांकि पिता जी के स्थान पर माँ को स्कूल में चपरासी की नौकरी मिल गयी थी . जिसके बाद ब्रजकिशोर के कंधो पर भी बड़ी जिम्मेवारी हो गयी . बहन की शादी जिम्मेवारियों में सबसे ऊपर था .
ब्रजकिशोर की स्कूली शिक्षा प्राथमिक विद्यालय, सुरौधा कॉलनी से हुयी . उसके बाद टीएमबीएस उच्च विद्यालय से 1994 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण किये . इंटरमीडियट व ग्रेजुएशन की पढ़ाई जैन कॉलेज आरा से किया . जिसके बाद सन् 2000 से 2006 तक बीएचयू में रह एलएलबी की पढ़ाई की . लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद ब्रजकिशोर 2008 में कायमनगर ग्राम पंचायत में न्यायमित्र के रूप में कार्य कर रहे है . न्यायमित्र रहते हुए ब्रजकिशोर ने हर साल 70 से 80 मामलो का निष्पादन करते थे . इनकी न्यायिक प्रक्रिया को ग्राम पंचायत के लोग काफी सराहते थे . इसी बीच इस वर्ष होने वाले न्यायिक परीक्षा में यह मुकाम हासिल कर लिया . विपरीत परिस्तिथियों से जूझते हुए अपने प्रतिभा को साबित कर दिखाया है कोइलवर के लाल ब्रजकिशोर ने . ये आज के विधार्थियों के लिए प्रेरणा श्रोत है . एक सबक है, एक मार्गदर्शन है . ब्रजकिशोर चौधरी का सिविल जज के लिए हुए न्यायिक परीक्षा में अनुसूचित जाति कटेगरी में 18 वां रैंक है . उनके इस कामयाबी पर पूरे कोइलवर नगर सहित प्रखण्ड में खुशी का माहौल है .
कोइलवर से आमोद कुमार