ॐ नमः शिवाय
जीवन-यापन के लिए हर व्यक्ति को कोई न कोई रोजी रोजगार, व्यवसाय तो अवश्य करना पडता है और हर व्यक्ति यही कामना करता है कि वह जो भी कार्य करता है उसमें दिन-दूनी और रात चौगुनी उन्नति हो.
किन्तु यदि किसी को अपने कार्य-व्यवसाय में निरन्तर हानि-परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो, लगातार घाटा उठाना पड़ रहा हो और इस कारण व्यक्ति आर्थिक संकटों में घिरा हो तो उन्हें निम्नलिखित मन्त्र की शरण लेनी चाहिए. यह मन्त्र उसके घाटे-नुकसान की भरपाई तो करेगा ही, साथ ही व्यापार में आशाजनक लाभकारी वृद्धि भी करेगा.
।। ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परमां सिद्धि श्रीं श्रीं श्रीं ।।
विधि – किसी भी महीने की त्रयोदशी तिथि अर्थात प्रदोष के दिन निराहार रहें और केवल फलाहार ही करें. सांयकाल शिवलिंग पर शुद्ध घी का आटे का दीपक जलायें. रात्रि में इस मन्त्र की 5 माला जाप करें. यह क्रिया लगातार 7 प्रदोष वारों तक करें तो इससे व्यापार के समस्त अवरोध समाप्त हो जायेंगें तथा वह खूब फलने-फूलने लगेगा. तीसरे प्रदोष से ही आपको इसके शुभ फल दिखाई देने लगेंगे.
।। इति शुभम ।।
प्रस्तुति – निखिल के डी वर्मा
सौजन्य – पंडित श्री अजय दूबे,
महाकालेश्वर, उज्जैन