नहीं नपे जिलाध्यक्ष तो प्रदेश पार्टी दफ्तर में धरने पर बैठेगा बागी गुट
बागी गुट की बैठक में हुआ निर्णय
मनमाने तरीके से जिलाध्यक्ष चलाते हैं पार्टी संगठन – रूमी
ऐसी किसी बैठक की कोई जानकारी नहीं .. नो कॉमेंट्स – गोपाल मंडल
घटना छोटी, राजनीतिक निहितार्थ बड़े
ऐतिहासिक निर्णय नीतीश के, तो जेडीयू हो यश का प्राकृतिक भागी
संजय मिश्र,दरभंगा
बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में हलचल मची है और नीतीश की पार्टी कैच 22 सिचुएशन में है. जेडीयू को फिर से ज्ञान हुआ है कि सीएम नीतीश ऐतिहासिक निर्णय लिए जा रहे हैं लेकिन पार्टी संगठन में उसका लाभ लेने की क्षमता नहीं है. जिद्द है कि आगामी चुनावों में लाभ तो लेना है. छटपटी है कि वैसे वर्कर और नेता की जिम्मेदारी बढ़ाई जाए जो नीतीश कुमार के प्रति वफादार हैं साथ ही समता पार्टी के समय से संगठन से जुड़े रहे हैं. अविश्वास की घटाटोप के बीच कोशिश है कि दूसरी पार्टियों से आयात किए गए नेताओं से परहेज रखा जाय. इन बातों की प्रतिध्वनि गुरुवार नवंबर 23, 2023 को दरभंगा में सुनाई दी जब पार्टी के कई वरीय नेताओं की अगुवाई में ये तय पाया गया कि दरभंगा के मौजूदा जेडीयू जिलाध्यक्ष गोपाल मंडल को उनके पद से हटवाया जाए.
जोर देकर कहा गया कि गोपाल मंडल दूसरी पार्टी (आरजेडी पढ़ें) से आए हैं और कि उनकी दिलचस्पी संगठन विस्तार में नहीं है जिस कारण जेडीयू निर्बल है. वे मनमौजी तरीके से पार्टी चलाते हैं जिस कारण नीतीश के तमिलनाडु मॉडल अपनाने के बाद भी जेडीयू को उसका फायदा नहीं होगा. प्रदेश राजनैतिक सलाहकार समिति सदस्य एजाज अख्तर खां “रूमी” ने बैठक में कहा कि जेडीयू को बचाना है तो समता पार्टी काल के पुराने कार्यकर्ताओं को आगे लाना होगा.उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी का जिला संगठन ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जिनका संगठन विस्तार में योगदान नहीं है. कहा कि विरोधी दल की राजनीति करनेवाले गोपाल मंडल जैसे व्यक्ति के चंगुल में फंसा हुआ है जेडीयू.
दरअसल पुराने कार्यकर्ताओं तथा जाति आधारित गणना जैसे ऐतिहासिक कदम के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार कार्यक्रम की बैठक आयोजित की गई थी. रूमी ने कहा कि जातीय सर्वे और फिर उस आधार पर नौकरी तथा शिक्षा में अपेक्षित आरक्षण की व्यवस्था का निर्णय कर नीतीश ने इतिहास कायम किया है. सामाजिक न्याय के साथ विकास के अपने लक्ष्य को पुष्ट किया है.पार्टी के राजनैतिक सलाहकार सदस्य गंगा प्रसाद सिंह की अध्यक्षता एवं एजाज अख्तर खां रूमी के संचालन में हुई बैठक में निशाना साधते हुए कहा गया कि ठेकेदारी संस्कृति में शामिल रहने वाले जिला अध्यक्ष के भरोसे लोकसभा चुनाव खातिर बूथ स्तर पर संगठन स्थापित करने की जिम्मेदारी छोड़ना भूल होगी. बैठक में इस बात पर क्षोभ जताया गया कि जिला बीस सूत्री के गठन में जिला अध्यक्ष ने उन लोगों को तरजीह दी जिनकी नीतीश कुमार के प्रति वफादारी संदिग्ध रही है.
बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए. इनमें एक प्रतिनिधिमंडल का गठन कर अभिलंब प्रदेश कार्यालय को सूचना देने कि दरभंगा जेडीयू जिला अध्यक्ष गोपाल मंडल दूसरे दल से आए हैं और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता को पहचानने से इनकार करते हैं. लिहाजा इनको जिला अध्यक्ष पद से हटाया जाए तथा दल के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में से किसी सदस्य को अध्यक्ष नियुक्त किया जाए. कहा गया कि इस पर अमल नहीं हुआ तो बैठक में शामिल नेता प्रदेश कार्यालय में धरना पर तब तक बैठेंगे जब तक गोपाल मंडल को पद मुक्त नहीं किया जाता है. सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि दरभंगा जिला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की सीट जेडीयू के खाते में जाए. यह निर्णय लिया गया कि गोपाल मंडल द्वारा बुलाए गए किसी भी बैठक में वे लोग (बागी गुट) सम्मिलित नहीं होंगे. आखिरी प्रस्ताव में जातीय सर्वे जैसे ऐतिहासिक कार्य करवाने के लिए सीएम नीतीश का आभार व्यक्त किया गया है.
बैठक में शमशाद अली कमर ,पप्पू महासेठ, गौरव कुमार राय, कन्हैया प्रसाद शाह, अली हसन अंसारी, एस एम रजी हैदर , श्याम रेखा मिश्रा, लक्ष्मण प्रसाद , चानो देवी, धीरेंद्र चौधरी , संजय पोद्दार, विकास यादव, पप्पू चौधरी , जागेश्वर महतो , जवाहरलाल शर्मा, दीपक सिन्हा, विकास यादव, वली इमाम बेग, जमीदुल, विनय कुमार चौधरी, विमल कुमार चौधरी, सरफराज आलम, ठाकुर इश्वर प्रसाद सिंह, राम बहादुर सिंह, ख्वाजा फरीदुद्दीन, प्रेम कुमार झा, अनिल कुमार मिश्रा, नवीन कुमार सिंह, संजीव झा लालू , मृदुला राय, प्रभु नारायण दास, इकबाल राईन, अशरफ , रामजी विश्वकर्मा, रघुवंश प्रसाद सिंह, सोती यादव, महेश महथा, विद्यानंद सिंह आदि ने अपने विचार रखे.
जब इस संबंध में गोपाल मंडल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी किसी बैठक की कोई जानकारी नहीं .. नो कॉमेंट्स.
असल में गोपाल मंडल पहले आरजेडी में थे. मंत्री रह चुके अली अशरफ फातमी भी पहले आरजेडी में थे. गोपाल मंडल के बारे में कहा जाता है कि वे फातमी के करीबी हैं. दोनो ही अभी जेडीयू में हैं. सियासी जानकारों पर यकीन करें तो असल में नीतीश जिस मास्टर स्ट्रोक के आसरे राहुल गांधी को प्रभावित कर विपक्षी एकता मंच का कन्वेनर बनना चाहते थे वो अरमान पूरा नहीं हुआ. आखिर में उसी मास्टर स्ट्रोक के तहत नीतीश ने बिहार में आरक्षण सीमा 75 फीसदी तक बढ़ा दी है. अब जेडीयू इस फसल को खुद काटना चाहती है. आरजेडी का मजबूत वोट आधार इसमें बाधक हो सकता है. जेडीयू में आरजेडी तत्वों की पैठ नीतीश समर्थकों को बेचैन करता है. जेडीयू के लिए आरजेडी शब्द पर दवाब बनाए रखना मजबूरी है. अधिकारियों के जरिए जन संवाद की श्रृंखला से अपेक्षित राजनीतिक लाभ की एक सीमा तो होगी ही.