संकट बढ़ा रहे हैं कोईलवर पुल पर लगातर हर दिन खड़े रहने वाले ओवर लोडेड ट्रक

आरा, 8 जून (ओ पी पांडेय). भोजपुर प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी बालू से जुड़े कारोबारियों
का खनन से लेकर अवैध ढुलाई का कार्य रुकने का नाम नही ले रहा है. आलम यह है कि दिन हो या रात ट्रकों की लंबी कतारें रोड से हटने का नाम ही नही ले रही हैं. सड़क पर बालू से ओवर लोडेड हजारों ट्रकों का सड़क के किनारे कई किलोमीटर तक लगने वाली कतार यातायात के लिए एक नासूर बन गयी है. कोइलवर के आसपास के इलाके से होकर गुजरने वाले यात्रियों को इन लंबी कतारों में घँटों इंतजार करना पड़ता है. कई बार तो इस जाम की वजह से शाम को फंसी गाड़ियां अगले दिन सुबह ही निकल पाती है. रात के वक्त न तो कोई इस जाम को चालू करने वाला ही दिखता है न पुलिस प्रशासन.




जबकि परिवहन मंत्रालय द्वारा ओवरलोड वाहन पकड़ने के लिए लगातार जांच अभियान चला कर कार्रवाई करने का निर्देश है. ओवरलोडिंग के कारण ही आधारभूत संरचना क्षतिग्रस्त होती है. एक्सीडेंट में मानवीय क्षति के साथ प्रदूषण बढ़ता है. सड़क, पुल-पुलिया के क्षतिग्रस्त होने से राजस्व की क्षति होती है.

कैसे फँसते हैं लोग इस जाम में
ट्रकों का सड़क के एक तरफ ओवरलोड बालू के खड़े होने से प्रथम दृष्टया तो ऐसा लगता है जैसे इन निरीह खड़े ट्रकों का क्या दोष? जाने के लिए रास्ता तो छोड़ा ही है बेचारा. लेकिन आपको बता दें कि इन बचे हुए रास्ते मे 3-3 कतारें ओवरटेक कर पीछे से आने वाले ट्रक और अन्य छोटी गाड़ियाँ खड़ी कर देती है जिससे एक तरफ का रोड पूरी तरह बाधित हो जाता है. फिर शुरू होता है इस जाम से बाहर निकलने की तिकड़मबाजी.

लोग अपनी लेन से दूसरी जाने के लिए डिवाइडर को ईंट और मिट्टी की मदद से गाड़ी के लिए उचित बना देते हैं और इस पार से उस पार यानि आने वाले में विपरीत दिशा जाने के लिए जोखिम में जान डाल चल देते हैं. इसका कई बार खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. रॉंग साइड की ओर से जाने के चक्कर में कई छोटे से बड़े एक्सीडेंट हो चुके हैं जिसमें कई जाने भी जा चुकी है.

सिक्सलेंन पर बालू लोडेड ट्रक पुल के लिए घातक

भोजपुर जिले से पटना जिले को जोड़ने वाला एक सबसे महत्वपूर्ण पुल है कोईलवर पुल. कोईलवर पुल अंग्रेजो के जमाने से बना अपने अस्तित्व से ऊपर सांस ले रहा है. सड़क और रेलवे दोनो का लोड थामने वाले इस ऐतिहासिक पुल पर लोड कम करने औऱ यात्रियों के आवागमन के लिए भोजपुर के सांसद सह मंत्री आर. के. सिंह ने कोईलवर में एक नया सिक्सलेन पुल बनाया. आने के लिए तीन लेन और जाने के लिए तीन लेन युक्त इस पुल का निर्माण शायद इसी उद्देश्य से भविष्य को देखते हुए किया गया कि आने-जाने वाले को आवागमन में सहूलियत हो.

लेकिन सिक्सलेंन बनने के बाद भी रॉड पर ट्रकों से लेकर छोटे- बड़े वाहनों की इतनी लंबी कतार लगी रहती है कि प्रतीत ही नहीं होता कि कोईलवर में सिक्स लेन पुल भी है आलम यह है की पुल के आरपार तो दूर पुल पर आए दिन बालू से लदे ट्रकों की लंबी कतारें लगी रहती है जिससे पुल को खतरा है इतना ही नहीं लंबी कतारों से बचने के लिए रॉन्ग साइड से वाहनों का आना जाना भी बदस्तूर जारी है, जिसका खामियाजा कई दुर्घटनाओं में लोगों ने अपनी जान गवा कर भुगता है.

अब सवाल यह उठता है कि आखिर नो एंट्री के टाइम के बाद भी ये बालू लदे ओवर लोडेड़ ट्रक पुल पर घंटों कैसे खड़े रहते हैं? कौन है जो इन्हें पुल पर खड़ा होने की अनुमति देता है? क्या बालू घाटों से ही ओवरलोड कर इन ट्रकों को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है? पुल पर entry-point के पास पुलिस क्या करती है? क्या इंट्री-पॉइंट पर नजराना देकर रॉन्ग साइड में वाहन चालक अपने वाहनों को लाते हैं?

ऐसे कई सवाल है जो बालू घाटों से लेकर सड़क तक अपने ठसक भरे अंदाज में जाम में खड़े ट्रक दे देते हैं कि इन सबका आपस में सांठगांठ तो है वरना सिक्सलेन बनने के बाद भी क्या जाम लगता है? अगर इस पर जल्द लगाम न लगा तो ओवरलोडेड ट्रकों के इन काफिलों के नीचे सांसद द्वारा जिले को दिया गया सौगात, नया सिक्स लेन पुल कहीं अंग्रेजों के बने पुराने पुल से पहले ही जमींदोज ना हो जाए.

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