एक पत्र बिहार की जनता के नाम
मैं दुःखी मन से यह पोस्ट कर रहा हूं. राष्ट्रीय जनता दल अपना 26वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस मौके पर मैं पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सका, इसका मुझे अफसोस है. पार्टी का मूल संदेश सामाजिक न्याय की हिफाजत और जुर्म-अत्याचार, अन्याय के खिलाफ बगावत रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के सिपाही होने के नाते कह सकता हूं कि जुर्म-अत्याचार, अन्याय के खिलाफ मौन रहना कायरपन है और पर्दे के पीछे साजिश रचना विश्वास के साथ धोखेबाजी. वक्त के साथ धोखेबाज पहचान लिये जाएंगे.बहरहाल, गोह में सियासतदानों (सत्ता संरक्षित और विपक्ष) के बीच चोर-चोर मौसेरे भाई की स्थिति है. तभी तो सत्ता संरक्षित सियासतदान प्रशासनिक/पुलिस अधिकारियों से मिलकर जुर्म करवाता है तो विपक्षी सियासतदान मौन रहना मुनासिब समझता है.
अपनों ने मुझे लूटा, गैरों में कहां दम था. मेरी कस्ती वहीं डूबी, जहां पानी कम था.
मैं बात कर रहा हूं 18 जून को गोह में हुए हिंसक प्रदर्शन की. भारत सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध की आग गोह भी पहुंची. गोह में कितनी हिंसा हुई, मुझे नहीं पता. ना तो पुलिस पर हमला हुआ और ना ही दुकानदारों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई. मजिस्ट्रेट (बीडीओ) के साथ कोई बदसलुकी की भी खबर नहीं है. ना तो बसों में आगजनी हुई और ना ही अन्य वस्तुओं की क्षति दिखी. हिंसक प्रदर्शन की कहानी वहां मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार की जुबानी है और मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार पुलिसिया कार्रवाई है.
आज भी मेरे मन में सवाल कौंध रहा है कि आखिर किसके इशारे पर मुझे मुख्य साजिशकर्ता बनाया गया है. मैं तो उस दिन गोह में था ही नहीं. मेरा मोबाइल लोकेशन देखा जा सकता है. मेरे सोशल साइट (फेसबुक, वाट्सअप) खंघाला जा सकता है. किसी को भड़काने का भी साक्ष्य प्रखंड विकास पदाधिकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते. सिर्फ किसी के इशारे पर मनगढंत कहानी ही गढ़ सकते हैं.यह तो वही बात हुई कि मैं जनवरी, 2020 को देवकुंड के जंगल में गया ही नहीं था. उस दिन पटना में था. फिर भी बिहार खुफिया विभाग (स्पेशल ब्रांच) के अधिकारी मुझे देवकुंड के जंगल में आठ माओवादियों के साथ बैठक करते हुए देख रहे थे. खुफिया विभाग मुझे माओवादियों का बुद्धिजीवी मंच का सदस्य बता रहा था. धन्यवाद के पात्र हैं उस वक्त के एसपी सत्य प्रकाशजी, जिन्होंने खुफिया विभाग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था.
बहरहाल, मेरे अलावा 76 छात्र-नौजवान हिंसक प्रदर्शन के लिये प्रखंड विकास पदाधिकारी गोह, मनोज कुमार द्वारा नामजद अभियुक्त बनाये गये हैं. इनमे से कुछ चेहरा जरूर सीसीटीवी फूटेज में आया होगा, इससे इंकार नहीं है. लेकिन अधिकांश नाम थाना चलानेे वाले दलालों के इशारे पर दिये गये हैं. जिस सीसीटीवी फूटेज को आधार बनाया जा रहा है. वह सिर्फ कहनेे की बात है. पांच साल पहले भी गोह थाने पर हिंसक प्रदर्शन हुआ था. उस दौरान भी करीब 60 लोगों को सीसीटीवी फूटेज के आधार पर नामजद अभियुक्त बनाया गया था. आश्चर्य देखिये, उसमें एक ऐसे व्यक्ति का नाम था, जिनकी मौत 10 वर्ष पहले हो चुकी थी. तब भी सियासतदान मौन थे. मैंने सवाल उठाया था- नीतीश कुमार जवाब दो- निहत्थे माओवादी कैसे? और मृत व्यक्ति थाना कैसे लूटा?
मैं साधारण सा व्यक्ति हूं. लोकतंत्र में गहरी आस्था है. संवैधानिक मूल्यों को समझता हूं. नेता-अपराधी-अधिकारी गठजोर से बाहर हूं. गोह विधानसभा क्षेत्र की मासूमियत बचाने के लिये सदा तत्पर रहता हूं. जुर्म-अत्याचार, अन्याय के खिलाफ सदा बगावती तेवर रखता हूं. जिसकी वजह से सात वर्षों के अपने राजनीतिक जीवन में सरकार संपोषित सात मुकदमे झेल रहा हूं. मेरी यही छवि अपनों के साथ ही सत्ता संरक्षित लंपट सियासतदानों को चूभता है. सियासतदानों से मेरा छोटा सा अनुरोध है. अभी भी वक्त है गोह की मासूमियत बचाने का. आम लोगों की हिफाजत ही लोकतंत्र की खूबसूरती है. जिन लोगों को पुलिस जेल भेजी है. अन्य जो पुलिस के डर से फरार चल रहे हैं. उनमें सिर्फ राजद के ही वोटर नहीं हैं. सभी दलों के समर्थक छात्र हैं.
सत्ता संरक्षित सियासतदानों!
18 जून को हिंसक झड़प का गुनाहगार मुझे बनाना ही चाहते हो तो बना दो. मैं साजिशसन जेल जाने का आदी हो चुका हूं. तुम्हारी हर साजिश नाकाम करूंगा. अपनी जान की बाजी लगाकर भी गोह की मासूमियत बचाऊंगा. लेकिन अन्य 76 मासूमों को बचा लो. उनमें से अधिकांश निर्दोष हैं. देश के भविष्य हैं.
जब-जब जुल्मी जुल्म करेगा, सत्ता के हथियारों से ,हम उसे ध्वस्त करेंगे एकताबद्ध कतारों से.
आखिर मेरा क्या गुनाह है कि सत्ता संरक्षित सियासतदानों के इशारे पर नाचने वाले अधिकारी मुझे ही बार-बार टार्गेट करते हैं?
याद कीजिए उपहारा थानाक्षेत्र के बेला में सड़क के बीचोबीच जीर्ण-शीर्ण अवस्था में बाबा साहेब की प्रतिमा को. इस प्रतिमा को मैं नहीं, बल्कि 80 के दशक में तत्कालीन विधायक कामरेड रामशरण यादव स्थापित किये थे. पांच वर्ष पहले बाबा साहेब की मूर्ति को दाऊदनगर के तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा उखाड़ा जा रहा था. मैंने उसका विरोध किया. मुझपर मुकदमा दर्ज कर दिया गया.मैं आज भी कानून का दंभ भरने वाले अधिकारियों के साथ ही सियासतदानों से जानना चाहता हूं कि जिले के अन्य हिस्सों में सड़क के बीचोबीच महापुरुषों और शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित हो सकती हैं तो फिर बेला में बाबा साहेब की प्रतिमा क्यों नहीं? क्या देश में बाबा साहेब से भी बड़ा सम्मान दूसरे महापुरुषों का है?
दोस्तों, हमने जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया- बंदेया थाना नक्सल की फैक्ट्री कब तक? तब मेरी आवाज जेल भेजकर बंद करने का प्रयास किया गया. मुझे सुकून है कि मेरे जेल भेजे जाने के बाद से अबतक बंदेया थाना द्वारा निर्दोष को साजिशसन नक्सल कहकर जेल नहीं भेजा गया है. साथियों, गोह पोखरा पिंड पर अवैध जमाबंदी और अवैध कब्जा है. यह मैं नहीं, अंचल कार्यालय, गोह बोल रहा है. यह सवाल सिर्फ मेरा नहीं, हर जिंदादिल इंसान जिनको कानून पर भरोसा है और गोह की मासूमियत बचाना चाहते हैं, उन सभी का है. फिर भी स्थानीय जन प्रतिनिधियों की चुप्पी क्यों? हालांकि ओबरा विधायक ऋषि कुमार जरूर गोह पोखरा पिंड का सवाल बिहार विधानसभा में उठाये हैं. जब मैं अवैध जमाबंदी रद्द करने का सवाल उठाया, तक भी सत्ता संरक्षित लंपटों के इशारे पर खुफिया विभाग द्वारा मुझे नक्सल घोषित करने का प्रयास किया गया.
बीते विधानसभा चुनाव के ठीक दो महीने बाद 30 दिसंबर, 2020 को उपहारा थानाक्षेत्र के महद्दीपुर में राजद को वोट दिलवाने के सवाल पर अपराधियों ने कपड़ा व्यवसायी सकलेश यादव को गोलियों से भून दिया था. पुलिस पर हत्यारों को बचाने का आरोप लगा. इस खबर से ग्रामीण आक्रोशित हुए. पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई. घटनास्थल से पुलिस भाग खड़ी हुई. स्थानीय विधायक भीम यादव के मोबाइल पर एसडीपीओ, दाऊदनगर राजकुमार तिवारी का फोन आया. पुलिस साजिशसन मुझे बुलाई और जेल भेज दी. तब भी माननीय ही चुप रहे. महद्दीपुर यादवविहीन हो गया. तब भी माननीय की संवेदना नहीं जागी.
अंत में, गोह में 18 जून को हुए उपद्रव में 50 से अधिक छात्र हिरासत में लिये गये. इनमें से अधिकांश को जेल भेज दिया गया. हिरासत में बेइंतहा जुर्म ढाया गया छात्रों पर. पुलिस पिटाई से बेहोश हो जा रहे आधा दर्जन छात्रों को रिमांड होम, गया परिजनों के साथ घर लौटा दिया. वे सभी इलाजरत थे. हाजत में हुई पिटाई का आफ रिकार्ड इलाज गोह थाने में करवाया गया. मुझे भरोसा था कि राजद के स्थापना दिवस पर 18 जून को गोह में हुए पुलिसिया जुर्म के खिलाफ आवाज आमलोगों की मासूमियत बचाने का सवाल उठेगा. लेकिन वह भरोसा भी टूट गया.
श्याम सुंदर