तीन घरवा टोला : यहाँ पहुंचने के लिए सालोभर नदी पार कर जाना पड़ता है
बरसात की पहली बारिश ने तीन घरवा टोला का रास्ता किया बंद, तैर कर पार करने को मजबूर ग्रामीण
Patna now Exclusive
आरा,गड़हनी. आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं गड़हनी के तीनघरवा टोला के लोग. सुनकर आश्चर्य जरूर होगा कि विकास की गंगा बहने वाले राज्य में एक ऐसा भी गाँव जहाँ छः दशक बीतने तक सरकार की एक ईंट भी नही लग पायी. सरकार की इच्छा शक्ति होने के बावजूद भी यहां के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का खामियाजा आज तक ग्रमीण भुगत रहें हैं. मुख्य बाजार गड़हनी से मजह एक किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम कोने पर अवस्थित यह टोला भौगोलिक दृष्टिकोण से तीन तरफ से बनास नदी से घिरा हुआ है.
कहाँ है तीनघरवा टोला?
गड़हनी प्रखंड के गड़हनी पंचायत वार्ड नम्बर एक के अंतर्गत आने वाला यह टोला उत्तर-पश्चिम गड़हनी से सटा हुआ है. यहाँ पहुचने के लिए कोई कच्ची/पक्की सड़क नही है और न ही रास्ते में पड़ने वाली बनास नदी एवम सहिला नदी(बरसाती नदी) पर कोई पुल या पुलिया. इस स्थिति में यहाँ पहुँचना लोहे के चने चबाने समान है.
तीन दशक पूर्व यहाँ के ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से बरसाती नदी पर पुलिया निर्माण करने पर पहल की थी.
तीन मोटे-मोटे इट के खंभे बनाये गए है जिसपर जोगाड़ टेक्नोलॉजी के तहत बिजली का खम्बा रख ग्रामीण जान पर जोखिम डाल कर पार करते हैं. हालांकि ग्रामीणों का मनसा पुलिया का ढलाई करना था लेकिन आर्थिक अभाव में काम रुका तो आज तक रुका रह गया. बरसात में 2-3 माह रास्ता जानलेवा हो जाता है. इसी रास्ते के सहारे तीन घरवा टोला,सिहार-बरघारा,हदियाबाद सहित कई गाँवों के लोग गड़हनी बाजार तक आते है हालांकि तीन घरवा टोला को छोड़कर सभी गांव दूसरे रास्ते से गड़हनी तक पहुँच सकते है भले ही लंबा दूरी तय करना पडे.
गड़हनी तीन घरवा टोला की आबादी तकरीबन तीन सौ होगी,जहाँ दो दर्जन से ज्यादा छात्र-छात्रा को पढ़ने के लिए इसी रास्ते मुख्य बाजार गड़हनी तक आना पड़ता है. यहाँ सौ से ज्यादा मतदाता है जो हर साल अपने मत का प्रयोग इसी उम्मीद के साथ करते हैं कि जन प्रतिनिधी और सरकार यहाँ रोड और पुलिया का निर्माण करेगी लेकिन हर बार उनके उम्मीद पर पानी फिर जाता है. स्थानीय विधायक से बहुत थी उमीदें लेकिन अब निराश है ग्रामीण
अगिआंव विधानसभा के विधायक प्रभुनाथ राम से यहाँ के ग्रामीणों को काफी उम्मीदें थी. उन्हें विश्वास था कि विद्यायक जी का गाँव भी यहाँ से महज दो-तीन किलोमीटर दूर है तो वो यहां की समस्याओं से वाकिफ है तो सड़क और पुलिया का निर्माण कराएंगे लेकिन विधायक जी के कार्यकाल का दो वर्ष बीत चुके है लेकिन न त पुलिया निर्माण का कार्य शुरू हुआ न ही सड़क निर्माण कार्य, जिसको लेकर ग्रामीणों में निराशा भी पनप रही है.
बरसात की पहली बारिश से बनास नदी उफान पर हो गयी है. नदी को पार करना मौत को बुलावा देना है. इस स्थिति में वैकल्पिक रास्ता सहिला नदी को पार कर ही ग्रामीण बाजार पहुँच रहे है, लेकिन इस वैकल्पिक व्यवस्था से सिर्फ जवान लोग ही पार कर सकते है बच्चे और बुजर्ग का नदी पार करना खतरे से खाली नही है. क्योंकि लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया ग्रमीणों की मदद से पोल के सहारे पार करने के वैकल्पिक रास्ते मे अगर जरा सी भी चूक हुई तो मौत निश्चित है. वैसे भी तीनघरवा टोला जाने के लिए बरसात तो दूर जेठ-बैशाख में नदी का पानी पर कर जाना पड़ता है.
ग्रामीणों सहित जन प्रतिनिधियों के प्रयास के बाद भी आजतक नदी पर एक पुल नही बन पाया. यहाँ के ग्रामीण सड़क और पुल निर्माण के लिए स्थानीय जिला परिषद, विधायक,सांसद और प्रखंड विकाश पदाधिकारी से गुहार लगा चुके है लेकिन अभी तक न सड़क बना न पुलियापिछले साल पटना नाउ के खबर छपने के बाद इस संदर्भ में गड़हनी BDO ने पुल बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन वह आश्वासन भी हवा-हवाई हो गया. अब देखना यह होगा कि टापुओं की तरह इस टोले के लोग कबतक यूँ ही जिंदगी काटते हैं.
ओ पी पांडेय की रिपोर्ट