विभाग के छात्रों से हो हर हफ्ते एक विषय पर समीक्षा व असाइनमेंट : VC
कुलपति ने कहा अपराध से बचाव के लिए सजगता जरूरी
भागलपुर,19 दिसम्बर. पुस्तक ज्ञान का केंद्र है. शब्दों की रचना के बाद से ही हमने अपने ज्ञान को संचित करने का काम ताम्र पत्रों से लेकर पुस्तकों तक किया है. हमने अपने समस्त ज्ञानों को इन्ही पुस्तकों में समेटने की शुरू से ही कोशिश की है जो विभिन्न कालों से अबतक जारी है. हम अपने एकत्रित ज्ञान को इन्ही पुस्तकों से ग्रहण करते हैं और इसी को समर्पित भी करते हैं. ज्ञान को ग्रहण और संचित करने की इसी कड़ी में कभी इन पुस्तकों का संग्रह अनुभवों और लगातार रिसर्च से निकले रचनाओं के कारण पाठकों के लिए इतना प्रगाढ़ हो जाता है कि वह पुस्तक सर्वप्रिय बन जाती है. पिछले दिनों मनोविज्ञान पर आधारित एक ऐसे ही एक पुस्तक का लोकार्पण हुआ जिसके लोकार्पण में ही कुलपति ने विभाग के छात्रों के बीच उक्त पुस्तक के किसी एक विषय को हर हफ्ते समीक्षा व असाइनमेंट कराने के लिए सुझाव तक दे दिया. यही नही उन्होंने ऐसे पुस्तक की कई कड़ियों में लिखने की बात तक कह डाली.
“राजेश कुमार तिवारी ‘अपराध मनोविज्ञान: एक परिचय ‘ के लेखन के लिए बधाई के पात्र हैं”. इसकी और कड़ियां लिखे जाने की जरूरत है जिससे लोगों में और जागरूकता फैले और साथ ही साथ विभाग के छात्रों को हर सप्ताह पुस्तक से संबंधित किसी एक विषय पर समीक्षा और असाइनमेंट कराने की जरूरत है जिससे उनमें अभी से सजगता और ज्ञान बना रहे. ये उद्गार ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संजय कुमार चौधरी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में व्यक्त किये. वे शहर के एक स्थानीय होटल में बीते दिन आयोजित सीनेटर तथा टीएनबी कालेज के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ राजेश कुमार तिवारी की पुस्तक के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम की शुरुआत दरभंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ चौधरी, उप मेयर डॉ सलाउद्दीन, लेखक डॉ राजेश तिवारी की मां मीना तिवारी,एसएसभी कॉलेज कहलगांव के प्राचार्य डॉ मिहिर मोहन मिश्रा, साहित्यकार डॉ शिव शंकर सिंह पारिजात और पुस्तक के लेखक डॉ राजेश कुमार तिवारी के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलन से हुई. संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन श्वेता पाठक ने तथा इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय रेलवे रेल यात्री संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु खेतान ने किया.
इस मौके पर डॉ तिवारी की मां व साहित्यकार मीना तिवारी ने कहा कि आज एक प्यारा सपना पूरा हुआ और पुस्तक में राजेश ने अपने कानून और मनोविज्ञान के ज्ञान को एकीकृत करके बहुत ही सुंदर तरीके से पुस्तक को रूप दिया है. इस मौके पर स्वागत भाषण में डॉ तिवारी ने कहा कि उनके लिए यह लोकार्पण नहीं सामूहिक आशीर्वचन की आकांक्षा का कार्यक्रम है.
इस मौके पर विधि महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ धीरज, अधिवक्ता राजेश राय, सबौर कॉलेज के शिक्षक डॉ मनोज कुमार, बड़ी बहन और अधिवक्ता रूपम, एस एम कॉलेज के डॉ मिथिलेश कुमार तिवारी, ताडर कॉलेज के डॉ भगत, हर्षवर्धन दीक्षित, प्रकाश पाठक, दीपक कुमार सिंह, डॉ वीरेंद्र कुमार मिश्रा, पीयूष झा,जयंत,अनुराधा खेतान,जिया और मिष्टी,प्रदीप भास्कर, अजीत चौबे, नंदकिशोर भारती, अभिषेक आदि शामिल थे.
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