‘‘इस मुल्क में पिछले कुछ दिनों से नारों के जरिये ही संवाद हो रहा है। कुछ नारों के जरिये हमारी भारतीयता तय की जा रही है, तो कुछ नारे इस मुल्क में कुछ नया गढ़ने की बात कह रहे हैं। नारों के जरिये कैसा देश बनाने की कोशिश हो रही है?….देशभक्ति का पैमाना यही है कि भारत माता की जय बोलें.जो नहीं कहा वह राष्ट्रद्रोही है.पटना इप्टा के 30वें नगर सम्मेलन के अवसर पर आयोजित सेमिनार ‘हम कैसा हिन्दुस्तान चाहते हैं?’ विषय पर अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ पत्रकार नसीरूद्दीन ने उक्त बातें कहीं. नसीरूद्दीन ने अपनी बात की शुरूआत करते हुए कहा कि‘‘आज का सबसे बड़ा सवाल है हम कैसा देश बनाना चाहते हैं? और आज मैं इसके साथ एक और लाईन जोड़ रहा हूँ किसके लिए हम कैसा देश बनाना चाहते हैं? एक लाईन देश के मौजूदा हालात की बात करता है तो दूसरा भविष्य में हम देश को कैसा देखना चाहते हैं, इसका भी संकेत देता है? ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने की जबरदस्ती की व्याख्या करते हुए पत्रकार नसीरूद्दीन ने भारत माता शब्द के इतिहास को 1866 ई0 के उनाम्बिसा पुराण, 1873 ई0 में के0 सी0 बंद्योपाध्याय के नाटक ‘भारत माता’ और 1880 ई0 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ‘आनंदमठ’ से प्रारंभ करते हुए जवाहरलाल नेहरू के ‘भारत एक खोज’, सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘भारत माता ग्रामवासिनी’, उर्दू के मशहुर शायर ‘भारत माता’ की शायरी, अजीमुल्ला खाँ और अमृता शेरगिल की पेंटिंग तक व्याख्यित किया. उन्होने बताया कि प्रकार एक खास समझ,खास सोच के साथ ‘भारत माता’ के बेमेल तस्वीर बना कर क्षद्म देशभक्ति को देश की जनता पर थोपने की साजिश है. भारत माता की जय के नारे के जरिये एक साथ कई निशाना किया जा रहा है. गो हत्या, घर वापसी, लव जिहाद, आरक्षण और फिर भारत माता और फिर गौहत्या का मुद्दा राष्ट्रवाद के नाम पर उन्माद बढ़ाने की कोशिश है। किन्तु इसके विरूद्ध आज हिन्दुस्तान का दो समूह इसे चुनौती दे रहा है. यह समूह है- लड़कियों का और दलितों का.
पटना इप्टा के नगर सम्मेलन का उद्घाटन वरिष्ठ संगीतकार सीताराम सिंह ने किया. अपने उद्घाटन सम्बोधन में सीताराम सिंह ने कहा कि आज इप्टा देश के युवा संस्थाओं में से एक है, जहां रोज युवा अपने तरीके से सच दिखाने की कोशिश कर रहे है. इप्टा ही एक ऐसा सांस्कृतिक संगठन है जहां कलाकारों के साथ डाक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, वैज्ञानिक और साहित्यकार कंधा मिलाते हैं. आज ज़रूरत इप्टा को और मजबूत करने की है और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने की है.इससे पूर्व पटना इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष तनवीर अख्तर ने आई.एम.ए. सभागार में इप्टा का झण्डा फहराया और इप्टा के सदस्यों ने शंकर शैलेन्द्र की रचना ‘तू जिंदा है तो जिन्दगी की जीत में यकीं कर’ का गायन प्रस्तुत किया.
पटना इप्टा के 30वें नगर सम्मेलन के दूसरे दिन 26 अगस्त, 2016 को आई0एम0ए0 सभागार में अपराह्न 4 बजे से रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचना ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पर परिचर्चा का आयोजन किया जायेगा। पटना विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो0 तरूण कुमार और मगध विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो0 जावेद अख्तर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे. इस आशय की जानकारी इप्टा पटना के कार्यकारी अध्यक्ष तनवीर अख्तर ने दी .
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचना ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पर परिचर्चा
26 अगस्त, 2016,
आई0एम0ए0 सभागार में अपराह्न 4 बजे