‘‘बोलने की आज़ादी का मतलब है, दूसरों की बात का सुनना’’
भिखारी ठाकुर रंगभूमि में आयोजित हुआ कार्यक्रम
‘‘बोलने की आज़ादी का तात्पर्य सिर्फ अपनी बोलना ही नहीं बल्कि दूसरों के विचारों को स्थान देना और उसको सुनना भी है. लोकतंत्र का यह आदर्श है और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाले सभी ताकतों को इससे मानना ही होगा. इप्टा के सम्मेलन में भी एक अनुभवी और चिंतनशील कलाकार ने अपनी बात कलाकारों के बीच रखने की कोशिश की थी. और इस बात पर किसी संगठन या व्यक्ति को देशद्रोही करार देना और कार्यक्रम में बाधा पहुँचाना शर्मनाक है. यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के मौलिक अधिकार का हनन है.”
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिफाजत के लिए पटना की 33 सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक संगठनों के द्वारा भिखारी ठाकुर रंगभूमि, पटना में ‘सांस्कृतिक प्रतिरोध’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रो0 डेजी नारायण ने उक्त बातें कहीं. उन्होने कहा कि वैचारिक अराजकता देश को आगे नहीं बढ़ाती बल्कि एक खास किस्म की अराजकता की ओर ले जाती है. इतिहास इसका हमेशा से साक्षी रहा है.
सांस्कृतिक प्रतिरोध कार्यक्रम की शुरूआत विहान सांस्कृतिक मंच की गायिका वारूणी द्वारा ‘वे हमें गीत गाने नहीं देते पॉल राबसन’ गीत के गायन से हुई. इसके बाद रंगकर्मी अजीत कुमार, रविकांत सिंह, विशाल तिवारी, शोवित श्रीमंत, प्रशांत ठाकुर, सुमित ठाकुर और रेनबो होम की बच्चियों के द्वारा बर्तोल्त ब्रेख्त, अवतार सिंह पाश, रामकृष्ण पाण्डेय, गोरख पाण्डेय, कैफी आजमी, फैज अहमद फैज की कविताओं और नज़्मों पाठ किया गया.
सांस्कृतिक प्रतिरोध के तहत पटना इप्टा के कलाकारों ने जनगीतों ‘वे सारे हमारी कतारों में शामिल’, ‘ये वक्त की आवाज है’, ‘हम होंगे कामयाब एक दिन’ की प्रस्तुति की. कार्यक्रम को जनवादी लेखक संघ के घमण्डी राम, जन संस्कृति मंच के सुधीर सुमन और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता परवेज अख्तर ने भी संबोधित किया.इस अवसर पर पटना की 33 सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थें. कार्यक्रम में शिक्षाविद् विनय कुमार कंठ, सामाजिक कार्यकर्ता वसी अहमद, इश्त्याक अहमद, मोना झा, रणधीर कुमार, मृत्युजंय शर्मा, जय प्रकाश, जितेन्द्र चौरसिया, गगन कुमार, रूपेश, अरशद अजमल आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थें.
विदित हो कि इंदौर में 2 से 4 अक्टुबर, 2016 तक आयोजित इप्टा के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन आनंद माथुर सभागृह में समापन सत्र के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित संगठनों के कुछ युवाओं ने सत्र की कार्यवाही को रोकने का प्रयास किया, जिसका सभागृह में उपस्थित देश भर के इप्टाकर्मियों ने सशक्त विरोध कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया. इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं इससे जुड़े संगठन (भाजपा) इप्टा के विरोध में खुलकर आये और अख़बारों में प्रतिक्रिया दी. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विजय वर्गीय ने इन्दौर के दैनिक अखबार में संपादीय आलेख के द्वारा इप्टा और इप्टा से जुड़े कलाकारों को धमकी दी.यह आयोजन पूरे देश में कलाकारों, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा आयोजित किये जा रहे प्रतिरोध कार्यक्रम की कड़ी थी.कार्यक्रम के तहत् 33 संगठनों के द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि हमारा संकल्प ‘सबके लिए सुन्दर दुनिया’ है जहां आपस में प्रेम, भाईचारा, सहिष्णुता हो और लिखने, पढ़ने, बोलने की आज़ादी हो. कार्यक्रम का संचालन इप्टा के राष्ट्रीय सचिव फीरोज़ अशरफ खाँ और रंगकर्मी विनोद कुमार ने किया. कार्यक्रम का संयोजन बिहार इप्टा के महासचिव व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तनवीर अख़्तर ने किया .