78 साल में 100 करोड़ में सिमट जाएगी भारत की आबादी

By pnc Jul 27, 2022 #population of india

41 करोड़ तक घट जाएगी भारत की आबादी
49 करोड़ हो जाएगी चीन की आबादी
चीन में रह जाएंगे सिर्फ 49 करोड़ लोग:  स्टैनफोर्ड
प्रजनन दर में गिरावट के कारण जनसंख्या में गिरावट

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है लेकिन अगले 78 वर्षों में इसकी आबादी 41 करोड़ घटने का अनुमान है. स्टैनफोर्ड की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2100 तक भारत के जनसंख्या घनत्व के भी गिरने की उम्मीद है. यही नहीं साल 2100 में चीन की आबादी में और ज्यादा गिरावट होने की उम्मीद है. चीन की आबादी अगले 78 सालों में महज 49 करोड़ में सिमट जाएगी. जानिए, रिसर्च में क्या-क्या दावे किए गए हैं.





स्टैनफोर्ड के एक अध्ययन से पता चला है कि जब जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक होती है, तो उस आबादी के लिए ज्ञान और जीवन स्तर स्थिर हो जाता है लेकिन, यह धीरे-धीरे गायब भी हो जाता है. बेशक, यह एक हानिकारक परिणाम है. आने वाले वर्षों में भारत का जनसंख्या घनत्व काफी कम होने का अनुमान है. इस वक्त भारत और चीन की आबादी एक जैसी दिखती है लेकिन उनके घनत्व में बहुत बड़ा अंतर है.
भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर में औसतन 476 लोग रहते हैं, जबकि चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर केवल 148 लोग हैं. वर्ष 2100 तक, भारत का जनसंख्या घनत्व 335 व्यक्ति प्रति किमी वर्ग तक गिरने की उम्मीद है. भारत के जनसंख्या घनत्व में गिरावट पूरी दुनिया के अनुमान से कहीं अधिक होने का अनुमान है. भारत के जनसंख्या घनत्व अनुमान में गिरावट देश की जनसंख्या कम होने का कारण है. संयुक्त राष्ट्र परियोजनाओं के जनसंख्या प्रभाग की नवीनतम रिपोर्ट है कि भारत की जनसंख्या 2022 में 141.2 करोड़ से घटकर 2100 में 100.3 करोड़ होने की उम्मीद है.

इस बीच, चीन और अमेरिका जैसे अन्य देशों में भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखने की उम्मीद है. चीन की जनसंख्या वर्ष 2100 में आश्चर्यजनक रूप से 93.2 करोड़ घटकर 49.4 करोड़ रह सकती है. ये अनुमान कम प्रजनन दर पर आधारित हैं. प्रजनन दर में गिरावट के कारण जनसंख्या में गिरावट की आशंका है. कम प्रजनन दर प्रक्षेपण परिदृश्य के आधार पर, भारत की प्रजनन दर 1.76 जन्म प्रति महिला से 2032 में 1.39, 2052 में 1.28, 2082 में 1.2 और 2100 में 1.19 होने की उम्मीद है. स्टैनफोर्ड अध्ययन में कहा गया है कि भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक तेज गिरावट की प्रवृत्ति स्पष्ट है. जैसे-जैसे देश अमीर होते जाते हैं, प्रजनन दर लगातार घटती जाती है.

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