भगवान राम और कृष्ण को भी लोगों ने जातीय आधार पर बांट लिया
मन ही दूषित हो गया है बिहार में
आदमी देखकर देश का कानून काम करता है
अब सिस्टम आम लोगों के लिए नहीं रह गया है बिहार में
औरंगाबाद: बिहार के डीजीपी रहे कथावाचक गुप्तेश्वर पांडेय औरंगाबाद के देवकुंड मठ में कई सामाजिक-वैचारिक और पारिवारिक मुद्दों पर लोगों से बातें की । उन्होंने कहा कि सिस्टम आमलोगों के लिए अब नहीं रह गया है। आदमी देखकर देश का कानून काम करता है। जेलों में 60 फीसदी से अधिक निर्दोष लोग बंद हैं उनके मुकदमें आज भी चल रहे हैं।
पूर्व डीजीपी ने कहा कि एक थानाक्षेत्र में 10 ईमानदार सामाजिक कार्यकर्ता पूरी हुकूमत को झुका सकता है। यह देश ना तो हिंदुओं का है और ना मुसलमानों समेत अन्य पंथों का। भारत की सनातन संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की है।
आश्चर्य है कि आज भगवान राम और कृष्ण को भी लोगों ने जातीय आधार पर बांट लिया है।अब कौन से देवता को कौन पूजेगा ये परम्परा जो शुरू हुई है उससे सामाजिक वैमनस्य पैदा हो रहा है और साथ ही लोगों में कटुता की भावना बढ़ गई है।उन्होंने कहा कि चेतना का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। बीमार मन का इलाज अध्यात्म में ही संभव है। कोरोना काल में तड़प कर जो मौतें हो रही थी या जिस लेबल पर भ्रटाचार की जड़ें गहरी हो गई है उससे क्या लगता है कि किसका दोष है सारा दोष सिस्टम और सरकार का है। मन ही बीमार है तो इलाज मन का करना पड़ेगा और मन का इलाज तो सिर्फ आध्यात्म में ही है । पूर्व पत्रकार और जाप के वरिष्ठ नेता श्याम सुंदर ने कहा कि पूर्व डीजीपी ने जो बातें कही है वो बिहार क्या देश के सामने भी यही संकट है इस पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है लोग जातीय उन्माद और आपसी वैमनस्य फैलाने में ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं।