फेफड़ों के अलावा भी टीबी कई प्रकार की होती है. इसमें से ही एक होती है दिमाग की टीबी. ऐसे तो दिमाग की टीबी एक-दूसरे से नहीं फैलती लेकिन, जब फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है तो उसके मुंह से निकली बूंदे दूसरे व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाती हैं. ये बूंदे यदि दिमाग में प्रवेश कर जाती है तो व्यक्ति के दिमाग में टीबी या ब्रेन टीबी होने की संभावना होती है. टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है. इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है. मगर टीबी कई प्रकार की होती है, जैसे कि ब्रेन, आंख, आंत, जननांग, रीढ़ की हड्डी आदि.
सिर दर्द और उल्टी को हल्के में ना लें
कोरोना संक्रमण से उसके साइड इफेक्ट से लोगों की परेशानियाँ अभी ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है,नई नई मुसीबतें मुंह बाए खड़ी है और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना के बाद किसी की आंखों की रोशनी कम हो गई, तो किसी के शरीर में दर्द की शिकायत बनी रहती है. कोरोना के बाद अगर सिर दर्द अक्सर हो रहा हो, तो ये ब्रेन टीबी हो सकता है. अब चिकित्सकों ने कहा है कि कोरोना के साइड इफेक्ट में ब्रेन टीबी भी जुड़ गया है. उल्टी, सिर दर्द, थकान की वजह से लोग सिर दर्द की दवा खा रहे हैं. जबकि, समस्या अधिक होने पर अनहोनी की आशंका रहती है. बिहार के अस्पतालों में हर महीने 250 और पटना में 100 से अधिक मरीज आ रहे हैं. जबकि, कोविड से पहले महीने में 25 से 35 मरीज ब्रेन टीबी के पहुंचते थे. इसके साथ ही टीबी से संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ है.
आईजीआईएमएस के न्यूरो मेडिसिन विभाग के चिकित्सक के मुताबिक, बीमारियों की पहचान के बाद इलाज में आसानी होती है. मेनिनजाइटिस और न्यूरो सिस्टेसाइकोसिस के बीच अंतर के लिए रिसर्च की आवश्यकता है. पंजाब और दिल्ली में आईसीएमआर की मदद से किया जा रहा है. इससे बीमारियों की पहचान के साथ ही इलाज में मदद मिल रही है,झिल्लियों में सूजन आने के चलते मेनिनजाइटिस से संक्रमित व्यक्ति में सिरदर्द, बुखार, उल्टी, त्वचा और होंठ का पीला होना, ठंड लगना आदि लक्षण पाए जाते हैं. जबकि, न्यूरो सिस्टेसाइकोसिस में मानसिक एकाग्रता कमी होती है.
न्यूरो फिजिशियन डॉ उदयन नारायण का कहना है कि कोविड संक्रमण से ठीक हुए व्यक्तियों को भी मानसिक, शारीरिक बीमारियां हुई हैं. कोविड के प्रभाव से सीने में टीवी के रोगियों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.ब्रेन टीबी से पीड़ित को सिरदर्द, उल्टी, थकान, बुखार, गर्दन में अकड़न, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, बार-बार बेहोश होने की शिकायत रहती है. ऐसे मरीजों को तत्काल डॉक्टरों से सलाह लेकर इसका पता लगाने के लिए सीएसए, एक्सरे, सीबी नेट, ब्लड टेस्ट, एमआरआई, सिटी स्कैन करवाना चाहिए. कमजोर इम्युनिटी वाले रोगियों के साथ शराब और सिगरेट पीने वाले मरीजों को सबसे अधिक ब्रेन टीबी का खतरा रहता है. इसके साथ ही फेफड़े के टीबी मरीजों को ब्रेन टीबी का सबसे अधिक खतरा रहता है.
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