लोकनर्तक पुनेश पार्थ बच्चों के हुए मुरीद, कहा लोक नृत्य के बारीकियों की देंगे बच्चों को तालीम
रविंद्र भारती और ओ पी कश्यप ने तीसरे दिन थियेटर की बारीकियों को बताया
आरा, 20 जुलाई. कुछ युवा कुछ लोग को पीट रहे थे और कुछ को धमका रहे थे. इस बीच कुछ लोग दहशत के मारे चिल्ला रहे थे और कुछ की साँसे फूली हुई थी….. ये नजारा था रमना के दक्षिणी रोड में स्थित मंगलम दी वेन्यू के हॉल के अंदर का. जैसे ही हॉल के अंदर हुआ तो लगा जैसे काठ मार गया. हल्ला-हंगामा देखकर सचमुच डर के मारे जम गया. कुछ देर बार डरा रहे युवाओं के हाथ पर नजर गया तो उन्होंने उंगलियों को गन का शेप दिया था. यह देखकर लगा कि अरे ये तो बनावटी है. दरअसल हॉल के अंदर बच्चे प्लेन हाइजैक का सीन कर रहे थे. जहाँ अभिनव एवं ऐक्ट द्वारा आयोजित 20 दिवसीय नाट्य कार्यशाला के तीसरे दिन वरिष्ठ रंगकर्मी व निर्देशक रविन्द्र भारती बच्चों को अभिनय के लिए मूल तत्वों की उपयोगिता को बता रहे थे. बच्चे उनके द्वारा बताए गए फिलिंग, ऑब्जरवेशन और रिकॉल की विधि को अपना कर उनके द्वारा दिये गए सिचुएशन को तुरंत क्रिएट कर रहे थे.
अभिनय के इस कार्यशाला में तीसरे दिन फीलिंग, ऑब्सरबेशन और रिकॉल की तकनीकी चीजो के बारे में जाना. इन तीनो को कैसे एक व्यक्ति के अंदर विकसित किया जाय और फिर कैसे थियेटर में इसे यूज किया जाय इसको बच्चों ने समझा. तरह-तरह के सिचुएशन को तुरंत करने के लिए बच्चों को दिया गया जिसे बच्चों ने बड़े सहजता से किया और लगा जैसे परिपक्व अभिनेता इसे कर रहे हैं. उनकी आपस मे कोऑर्डिनेशन ऐसा था मानो सबने कई दिनों तक प्रैक्टिस किया हो.
युवा रंगकर्मी ओ पी कश्यप ने डिक्शन,अनुशासन, और वॉयस के वैरिएशन के बारे में बताया और उसको विकसित करने के तरीकों के बारे में बताया. तीसरे दिन कार्यशाला में कई अतिथियो का भी आगमन हुआ जिन्होंने बच्चों के बीच अपने जीवन के अनुभव को शेयर किया. विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित मशहूर लोकनर्तक पुनेश पार्थ, लेखक राजेन्द्र शर्मा पुष्कर, रंगकर्मी-पत्रकार मंगलेश तिवारी और रोबोटिक टेक्नोलॉजी पर कार्य करने वाले लव कुमार ने आज नाट्य कार्यशाला में बच्चों के बीच अपने अनुभव शेयर किए. आये सभी अथितियों ने बच्चों के कार्य को सराहा और महा कि ऐसे कार्यशाला का होना बेहद जरूरी है. ऐसे कार्यशालाओं के जरिये कई नई प्रतिभाओं को निखारा जा सकता है. गेस्ट के रूप में आये पुनेश पार्थ बच्चों की प्रतिभा देख उनके मुरीद हो गए और जब बच्चों ने उनसे ट्रेनिग के लिए समय मांगा तो उन्होंने बच्चों से वादा किया कि वे आने वाले दिनों में लोक नृत्य के गुर इस कार्यशाला में आकर जरुए देंगे. कार्यशाला का मैनेजमेंट मनोज श्रीवास्तव दिख रहे हैं.
आरा से सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट