हृदय में छेद वाले बच्चों का भी संभव है इलाज

बच्चों के हृदय में छेद समेत कई गंभीर बीमारियों का इलाज है संभव

RSBK के माध्यम से 42 बीमारियों का होता है नि:शुल्क इलाज




बच्चों में जन्म के समय से हुई बीमारी या विकृति का पता लगाकर किया जाता है इलाज

बक्सर, 10 मई . जिले में कई ऐसे गरीब व जरूरतमंद परिवार हैं, जो माली हालत ठीक नहीं होनें के कारण बच्चों की गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं करा पाते हैं. जिसके कारण बच्चों को जीवन भर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे ही परिवार के बच्चों को देखते हुए सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं संचालित हैं. जिनमें से एक है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK), जिसके माध्यम से गरीब परिवार के बच्चों का इलाज संभव है. RBSK के तहत बच्चे के जन्म से लेकर 18 साल तक के बच्चों में अगर किसी भी प्रकार की बीमारी हो तो सरकार उसका पूरा उपचार करवाती है. खासकर 18 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. जिसके तहत मुख्य रूप बच्चों में जन्म के समय से हुई बीमारी या विकृति का पता लगाकर उसका पूरा इलाज किया जाता है

आयुष चिकित्सक बच्चों की करते हैं स्क्रीनिंग
RBSK के जिला समन्वयक डॉ. विकास कुमार ने बताया, स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम जिले के हर आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है. तब टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं. ऐसे में जब सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी दिया जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होने की स्थिति में उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए संबंधित PHC में भेजा जाता है. वहीं, टीम में शामिल एएनएम के द्वारा बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल की जाती . फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित किया जाता है।

साल में दो बार होती है आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्क्रीनिंग
RBSK कार्यक्रम में शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है. 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती. ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो. आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि हर छह म9हीने पर और स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है.स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है.

बच्चों में चार डी पर फोकस किया जाता है
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों में चार डी पर फोकस किया जाता है. जिनमें में डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी, डिसीज, डेवलपमेंट डिलेज इन्क्लूडिंग डिसएबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता है। RBSK के तहत पहले 39 प्रकार की बीमारियां शामिल थीं. लेकिन अब तीन और बीमारियों को जोड़ दिया गया है. इनमें ट्यूबरक्लोसिस, लेप्रोसी और बौनापन शामिल है. इस प्रकार अब बच्चों की 42 प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाता है.

कार्यक्रम का लाभ उठाएं अभिभावक

डॉ. अनिल भट्ट, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बक्सर ने बताया कि बच्‍चों में कुछ प्रकार के रोग समूह बेहद आम है जैसे दांत, हृदय संबंधी अथवा श्‍वसन संबंधी रोग. यदि इनकी शुरूआती पहचान कर ली जायें तो उपचार संभव है. इन परेशानियों की शुरूआती जांच और उपचार से रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. RBSK के मध्यम से अस्‍पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आती और बच्‍चों में सुधार होता है. अभिभावक अपने नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में संपर्क कर इस कार्यक्रम का लाभ जरूरी उठाएं.

बक्सर से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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