डेंगू से पीड़ित बच्ची की जिंदगी के लिए फ़्लाईट से लाया गया दुर्लभ ब्लड
माँ ब्लड सेंटर द्वारा रेयरेस्ट ऑफ रेयर बॉम्बे ब्लड ग्रुप निःशुल्क उपलब्ध कराया गया
पटना,19 अगस्त(ओ पी पांडेय). जाति, धर्म और राजनीति से परे,एक दूसरे को बचाने के लिए जब कोई अपने अंतिम कोशिश तक प्रयास करते दिखता है तब लगता है कि वसुधैव कुटुंबकम की धारणा रखने वाला भारत का वह सचमुच एक भारतीय है. क्योंकि भारत ही है जो विश्व को अपना घर मानता है और मानव के परस्पर सहयोग के लिए हमेशा अपनी बाहें खोल तैयार रहता है. ऐसी ही कोशिश के लिए शुक्रवार को कुछ लोग तब दिखे जब एक नन्ही बच्ची की जान एक दुर्लभ ब्लड के आभाव में खतरे में दिख रही थी. बच्ची की जान बस उस दुर्लभ खून के आभाव में बस टकटकी लगाए एक दूसरे की सहायता करने वालों से जैसे सवाल कर रही थी कि क्या मुझे बचा पाओगे? फिर क्या था जो मदद के लिए बढ़े हाथों ने जो हाथ बढ़ाया तो बिहार की पटना से मुंबई की दूरी भी कम पड़ गयी और उस दुर्लभ ब्लड को लाने के लिए विमान का सहारा लिया गया. विमान से ब्लड आया और फिर जिंदगी की जंग लड़ रही बच्ची ने मुस्कुरा कर जैसे सबको शुक्रिया कहा.
कहानी है पटना के एम्स में इलाज करा रही रोहतास निवासी 14 साल की एक बच्ची का जो डेंगू से पीड़ित थी. एम्स पटना द्वारा माँ ब्लड सेंटर को बॉम्बे ब्लड ग्रुप का एक यूनिट उपलब्ध कराने के लिए एक पत्र प्रेषित किया गया. मां ब्लड सेंटर से जुड़े डॉ. यू. पी. सिन्हा के नेतृत्व में अमर तथा अमन द्वारा जब पीड़ित बच्ची के खून के नमूने की जांच की गई तो सब हैरत में पड़ गए. उस बच्ची के खून का नमूना बॉम्बे ब्लड ग्रुप था. मां ब्लड सेंटर के संस्थापक मुकेश हिसारिया के अथक प्रयास के बावजुद भी पटना के किसी भी ब्लड सेंटर / ब्लड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड नहीं मिला.
अंततः बिहार के बाहर विभिन्न ब्लड बैंकों से उक्त ग्रुप का ब्लड प्राप्त करने के प्रयास के क्रम में उन्होंने मुंबई के लाईफ ब्लड काउंसिल के विनय शेट्टी से संपर्क स्थापित किया. विनय शेट्टी के अद्भुत सेवा भावना के फलस्वरूप सायन ब्लड सेंटर, मुंबई और काई वामनराव ओक ब्लड बैंक, थाणे के सौजन्य से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का दुर्लभ ब्लड का आपूर्ति संभव हो पाया.
माँ ब्लड सेंटर द्वारा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर बॉम्बे ब्लड ग्रुप का यूनिट प्राप्त किया गया और एम्स पटना को इसे निःशुल्क मुहैया कराया गया. प्रक्रिया पूरा करते ही फ्लाइट से उस दुर्लभ ब्लड को पटना पहुँचाया गया जिसके बाद डेंगू पीड़ित बच्ची का इलाज सेफ जोन में आ गया.
मानव सेवा से जुड़े सभी कर्मयोगियों एवं माँ ब्लड सेंटर द्वारा किये गए सराहनीय प्रयास से इतनी दूर से ब्लड की उपलब्धता ने फिर से एक बार साबित कर दिया कि दुनिया मे फैले हम सब एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं.
ब्लड ग्रुप के बारे में जानिए ये बातें
ब्लड ग्रुप आठ तरह के आमतौर पर इंसानों में पाए जाते हैं जो A+, B+, AB+, 0+ या A-, B-, AB-, 0- के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन एक ऐसा ब्लड ग्रुप भी है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. दुनिया भर में यह बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जिसकी वजह से इस ग्रुप का डोनर मिलना भी मुश्किल होता है. यह बहुत कम लोगों के शरीर में पाया जाता है जिसके कारण इसे गोल्डन ब्लड भी कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम आर.एच. नल ब्लड ग्रुप (Rh Null Blood Group) है. कहा जाता है कि इस ब्लड ग्रुप को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है, क्योंकि किसी भी ब्लड ग्रुप के साथ यह आसानी से मैच हो जाता है. यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर Null (Rh-null) होता है.