हाईकोर्ट ने कहा बिहार में हो रहा है उल्टा,पहले बनता है इंफ्रास्ट्रक्चर तब बनता है कानून




संवैधानिक न्‍यायालय तो बेल कोर्ट बनकर रह गए हैं : हाईकोर्ट
किसी भी कानून के लिए पहले उस पर काम होना जरुरी

पटना हाईकोर्ट राज्य के उत्पाद न्यायालयों की बुनियादी सुविधाओं के विकास के मामले पर सुनवाई करते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की है. न्यायाधीश राजन गुप्ता एवं मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने राज्य में उत्पाद न्यायालयों के बुनियादी ढांचे  के मुद्दे पर सरकार के रवैये पर मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में पहले इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करते हैं, उसके बाद कानून लाया जाता, लेकिन यहां पहले कानून लाया जा रहा है, उसके बाद बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है. यह सिलसिला 2016 से चलता आ रहा है.
खंडपीठ ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि इस कानून की वजह से संवैधानिक न्यायालय बेल कोर्ट में तब्दील हो गए हैं. इस पर राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए  महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस संबंध में तत्परता से काम कर रही है. पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को उत्पाद कोर्ट के लिए बुनियादी सुविधाओं के संबंध में विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया था.


कोर्ट ने जानना चाहा था कि इन न्यायालयों के गठन में विलंब क्यों हो रहा हैं. कोर्ट ने पूछा था कि राज्य के सीबीआई श्रम न्यायालय व अन्य कोर्ट के लिए अलग अलग भवन की व्यवस्था है, तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है. महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं. साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं. उन्होंने सभी मुद्दों पर जवाब देने के लिए कोर्ट से और समय की मांग की. इस मामले पर कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई अप्रैल तीसरे सप्ताह में होगी.

By pnc

Related Post