पंडित रामानन्द तिवारी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि

राजकीय सम्मान के साथ हुआ कार्यक्रम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि




पुत्र शिवानन्द तिवारी और पौत्र राहुल तिवारी ने दी पुष्पांजलि

स्व० पंडित रामानन्द तिवारी जी की जयंती के अवसर पर आयोजित राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गाँधी मैदान पटना के उत्तर पश्चिम कोने पर स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, स्व. पंडित रामानन्द तिवारी के पुत्र पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी एवं उनके पौत्र विधायक राहुल तिवारी के साथ-साथ बिहार राज्य नागरिक परिषद के पूर्व महासचिव अरविंद कुमार सहित अनेक गणमान्य लोगों ने भी उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के कलाकारों द्वारा आरती पूजन, भजन, कीर्तन एवं देशभक्ति गीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।

कौन थे रामानंद तिवारी उर्फ़ पानी पांडे

स्व▪ रामानन्द तिवारी का समूचा जीवन जन-साधारण के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। स्वतंत्रता -संग्राम सेनानी,राजनीतिक-सामाजिक-कार्यकर्त्ता,राजनेता और सांसद के रूप में उनके जीवन का हर चरण गरीब,उत्पीड़ित, कमजोर वर्गो पर समाज में हो रहे अत्यचारों के खिलाफ लम्बी संघर्ष की कहानी है।रामानन्द तिवारी का जन्म ग्राम-रामडिहरा,जिला भोजपुर (बिहार) में सन् 1909 में हुआ। हालाँकि उन्हें उच्च शिक्षा के औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं हुई,लेकिन वह राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में पूरी सूझ-बुझ के साथ समाज में छाई विषमताओं के विरूद्ध संघर्षरत रहे। सर्वप्रथम उन्होंने कांग्रेस समाजवादी दल के सिपाही के रूप में कार्य शुरू किया। धीरे-धीरे वह अपनी जन-सेवा के कारण बहुत लोकप्रिय हो गए और उन्हें सन् 1967 में संयुक्त समाजवादी दल का अध्यक्ष चुना गया।

उनके जीवन का अधिकांश भाग श्रमिकों की लड़ाई लड़ने और समाजवादी आदर्शो को आगे बढ़ाने में बीता। 15 वर्षो तक वह बिहार पुलिस और कर्मचारी एसोसिएशन और आँल इंडिया टेलीग्राफ यूनियन के चैयरमैन बने रहे और बंगाल कोल काँग्रेस मजदूर यूनियन और राष्ट्रीय नवनिर्माण मजदूर सभा के अध्यक्ष पद को उन्होंने विभूषित किया।बिहार-विधान सभा के 1952 से 1972  तक सदस्य रहे और बिहार राज्य मंन्त्रिमंण्डल में सन् 1967  में गृह मंत्री बने। 1977  में जनता पार्टी के गठन हो जाने के बाद लोक-सभा के सदस्य चुने गए।

बिहार राज्य के गृहमंत्री होने के नाते उन्होंने पुलिस कर्मचारियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए अनेक नियम बनाने के प्रयत्न किए। इतना ही नहीं कॉलेज या स्कूल की शिक्षा प्राप्त किए बिना भी उन्होंने कई पुस्तकें लिखी जिसमें” हमारा कसूर ” तथा ” सिपाहियों की कहानी : आँकड़ो की जबानी ” इत्यादी शामिल है।

स्व▪ रामानन्द तिवारी ने साधारण परिवार में जन्म लेकर जिस निर्भयता और साहस के साथ गरीबों और पद-दलितों के कल्याण के लिए समाज में जो कार्य किया ; वह इस बात का सबूत है कि धन और साधन सम्पन्न-व्यक्ति ही महान समाज सेवी बनने या राजनेता बनने में समर्थ नहीं ; बल्कि साधारण व्यक्ति भी लगन निष्ठा के साथ समाजवादी समाज स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। स्व▪ रामानन्द तिवारी को सही श्रद्धांजलि यही होगी कि आज की पीढ़ी समतावादी समाज स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने,जाति और धर्म-मूलक भेद-भाव को खत्म करने की दिशा में अग्रसर हो।

अरुण भोले,संयोजक,स्व. रामानन्द तिवारी स्मृति संस्थान.

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By pnc

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