21 लोग मारे गए और दर्जनों गंभीर रूप से थे घायल
मंदिर मस्जिद विवाद में भूल गए 21 लोगों की मौत
शादी के लिए लाए गए बिखरे पड़े गिफ्ट , चारों तरफ जमे पड़े खून के धब्बे, लाशें, दहशत में भागे सैकड़ों भक्तों की लावारिस चप्पलें-जूते— होली के एक हफ्ते पहले वाराणसी के संकट मोचन मंदिर के आंगन में फटे अमोनियम नाइट्रेट और तेल से भरे प्रेसरकूकर्स ने गलियों तक को इन्हीं अवशेषों के रंगों से रंग डाला था. इसके 15 मिनट बाद ही दो और बम रेलवे स्टेशन पर फटे. 21 लोग मारे गए और दर्जनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे.विश्व की प्राचीनतम शहरों में से एक में हुए इस बम धमाके के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का नाम सामने आया था.
काशी की शान और ‘महामना की बगिया’ कहे जाने वाले ‘बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी’ के नजदीक स्थित लोकप्रिय संकट मोचन हनुमान मंदिर को भी इस बम ब्लास्ट में निशाना बनाया गया था. 2005 और 2006 ही नहीं, बल्कि 2008 में भी वाराणसी में बम धमाका हुआ था. उस साल 23 नवंबर को वहाँ हुए धमाके के बाद उत्तर प्रदेश में ‘आतंक रोधी दस्ता’ का गठन किया गया और इसकी एक यूनिट को वाराणसी में तैनात किया गया. सभी घाटों, बीएचयू , मंदिरों, सारनाथ, रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड और मॉल्स में एंट्री के लिए कुछ नियम-कायदे तय किए गए. इन सबके बावजूद 2010 में दशाश्वमेध घाट पर आतंकियों ने बम ब्लास्ट कर दिया.
आज लोग ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सदियों पुराने विवाद में उलझे हैं लेकिन विडम्बना देखिये कि कुछ ही साल पहले हुए नरसंहार को भारत के लोग भूल चुके हैं. हालांकि कई राज्यों की पुलिस को लगता है कि उसे मालूम है कि 2006 में उस दिन क्या हुआ था और उस कांड को अंजाम देने वालों में से कुछ लोग जेल में बंद भी हैं लेकिन उन पर मुकदमा चलाने की कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही है.
देवबंद के मशहूर मदरसे का छात्र और फूलपुर की एक मस्जिद का इमाम रहे स्थानीय निवासी मोहम्मद वलीउल्लाह को अपने पास एक असॉल्ट राइफल, हथगोले और प्लास्टिक विस्फोटक आदि रखने के कारण 10 साल कैद की सज़ा दे दी गई थी लेकिन उसे वास्तव में बमकांड के लिए सजा नहीं दी गई थी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोप लगाया था कि वलीउल्लाह ने तीन बांग्लादेशी आतंकवादियों को विस्फोटक और प्रेशर कूकर दिए थे. वे तीन बांग्लादेशी आतंकवादी कौन थे यह कभी पता नहीं लगाया गया ! अब इसमें जांच एजेंसी क्या कर रही है कोई खबर नहीं है.
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